भारत सरकार ने आईआईटी बीएचयू को सौपी अहम जिम्मेदारी, पढ़िए पूरी खबर

वाराणसी. वास्तुकला, योजना एवं अभिकल्प विभाग, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी बीएचयू) को संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के अंतर्गत राष्ट्रीय संस्मारक प्राधिकरण ने विशेषज्ञ विरासत निकाय के तहत विशेषज्ञ के रूप में नामित किया है। इस संबंध में संस्थान के निदेशक प्रो प्रमोद कुमार जैन ने कहा है कि इस विभाग को देश के पूर्वी, मध्यवर्ती और उत्तरी क्षेत्रों में विरासत परामर्शदाता के उद्देश्य से स्थापित किया गया था। संस्थान का नया विभाग होने के नाते यह हमारी बड़ी उपलब्धि है।

अयोध्या, काशी की विरासत को संरक्षित करेगा आईआईटी बीएचयू

उन्होंने बताया कि हमारे धरोहर स्थल, सांस्कृतिक, राजनीतिक एवं सामाजिक संपन्न इतिहास के भाग हैं और इनके विरासत मूल्यों के कारण इन्हें संरक्षित रखने की आवश्यकता है। इस क्षेत्र में बहुत से स्थल विद्यमान हैं जो आईआईटी बीएचयू के अंतर्गत कवर किए जा सकते हैं, जैसे अयोध्या और काशी जो कि अपने सांस्कृतिक एवं धार्मिक विरासत के लिए जाने जाते हैं। अन्य स्थलों में सारनाथ (वाराणसी के निकट स्थित है और बुद्ध काल के उत्खनन एवं सम्राट अशोक द्वारा बनाए गए चार शेरों के वास्तविक मूर्ति जो गणतंत्र भारत का राष्ट्रीय प्रतीक है), सांची स्तूप, मध्य प्रदेश, नालंदा महाविहार (बिहार) का वास्तुकला स्थल, ताज महल, फतेहपुर सिकरी, इमामबाडा और लखनऊ के कुछ और भवनें तथा बहुत कुछ है।

एतिहासिक मूल्यों के सांकृतिक समृद्ध स्थलों के मरम्मत एवं संरक्षण हेतु परामर्श देगा आईआईटी बीएचयू

प्रो प्रमोद कुमार जैन ने कहा कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी बीएचयू),एतिहासिक मूल्यों के सांकृतिक समृद्ध स्थलों के मरम्मत एवं संरक्षण हेतु परामर्श देगा और उन स्थलों को भी जो भविष्य में चिन्हित किए जाएंगे । संस्थान का स्थान बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पवित्र शहर वाराणसी में स्थित है जो समृद्ध सांस्कृतिक एवं विरासत मूल्यों को समाविष्ट किए हुए है।

2019 से कार्यरत है आईआई्रटी बीएचयू का ये विभाग

बता दें कि ये विभाग 2019 (संस्थान के शताब्दी वर्ष) में स्थापित हुआ और धरोहर संरक्षण की दिशा में कार्य करके काफी उन्नति की। विभाग इसी क्षेत्र में देश के कुछ महान वास्तुविदों के साथ कार्य करता है ।

30 नए विशेषज्ञ विरासत निकाय नामित किए हैं भारत सरकार ने

केंद्रीय संरक्षित स्मारकों एवं संरक्षित क्षेत्रों के धरोहर उप- विधि को शीघ्र बनाए जाने के लिए एवं और अधिक विशेषज्ञ विरासत निकाय के नामांकन से संबंधित मुद्दे कुछ समय के लिए भारत सरकार के विचाराधीन थे। इस संबंध में, केंद्र सरकार ने संस्कृति मंत्रालय के दिनांक 10 मार्च 2014 के अधिसूचना में संशोधन किया और 30 नए विशेषज्ञ विरासत निकाय को नामित किया। नए विरासत निकाय का कार्य देश के विभिन्न क्षेत्राधिकार में धरोहर उप-विधि का निर्माण करना था । इसके अतिरिक्त, विरासत निकायों को ऊंचाई, अग्रभाग, जलनिकासी प्रणाली, सड़कों और साथ ही सेवा विनिर्माण जैसे धरोहर नियंत्रण से संबन्धित मुद्दों को देखने के लिए नामित किया जाता है ।

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