कोरोना पर सरकार की नई गाइडलाइंस जारी, अब (+) केस मिला तो नहीं होंगे निजी अस्पताल सील

लखनऊ
उत्तर प्रदेश में निजी अस्पतालों में किसी मरीज में कोरोना की पुष्टि होने पर उसे सील या बंद नहीं किया जाएगा। नई गाइडलाइंस के मुताबिक, अब हर निजी अस्पताल में आइसोलेशन वॉर्ड बनाना होगा। अस्पताल में भर्ती किसी मरीज में संक्रमण की पुष्टि होते ही उसे कोविड-19 अस्पताल में शिफ्ट किया जाएगा। वहीं, संक्रमित के आसपास भर्ती रहे मरीजों को तुरंत आइसोलेशन वॉर्ड में शिफ्ट किया जाएगा। इसके अलावा मरीज जिस वॉर्ड में भर्ती रहा हो, उसे खाली करवाने के बाद 24 घंटे में दो बार सैनिटाइज किया जाएगा।

प्रमुख सचिव ने कोरोना संक्रमित के वॉर्ड में भर्ती मरीजों, इलाज करने वाले डॉक्टर और कर्मचारियों की जांच और क्वारंटीन के लिए भी गाइडलाइंस जारी की हैं। प्रमुख सचिव अमित मोहन की ओर से जारी पत्र के मुताबिक, कोई संक्रमित मिलने पर निजी अस्पताल बंद करने के दूसरे मरीजों का इलाज भी ठप जाता था, लेकिन नई गाइंडलाइंस जारी होने से निजी अस्पतालों के साथ मरीजों को भी राहत मिलेगी।

.निजी अस्पतालों के संचालक परेशान
शहर में करीब 200 ऐसे निजी अस्पताल और नर्सिंग होम हैं, जहां महज 8 से 10 बेड हैं। इन अस्पतालों में गिने-चुने स्टाफ हैं और डॉक्टर भी महज एक या दो। इस बीच सीएमओ ने कोरोना संदिग्धों के इलाज के लिए सभी निजी अस्पतालों में आइसोलेशन वॉर्ड और अलग ओटी बनाने के निर्देश दिए हैं। सीएमओ के इस आदेश ने कम जगह और कम स्टाफ वाले अस्पतालों के सामने नई मुसीबत खड़ी कर दी है।

कोविड आइसोलेशन वॉर्ड के लिए अलग स्टाफ होना जरूरी है। इसके अलावा ओटी के लिए भी अलग स्टाफ रखना होगा। इसके अलावा जो डॉक्टर इन वॉर्डों में मरीजों को देखेंगे, वे भी सामान्य मरीजों का इलाज नहीं कर सकेंगे। ऐसे में जिन अस्पतालों में सिर्फ एक या दो डॉक्टर हैं, वहां कोविड वॉर्ड के लिए अलग स्टाफ और डॉक्टर की ड्यूटी तय करना बड़ी समस्या होगी। यही नहीं, कई निजी अस्पतालों के स्टाफ कोरोना वॉर्ड में ड्यूटी करने को भी तैयार नहीं हैं।

आय से ज्यादा होगा खर्च

ज्वाला अस्पताल की संचालिका व आईएमए लखनऊ की अध्यक्ष डॉ. रमा श्रीवास्तव के मुताबिक, अलग कोविड वॉर्ड बनाने पर स्टाफ के लिए पीपीई किट और मास्क समेत तमाम चीजों की जरूरत पड़ेगी। इस तरह एक स्टाफ पर 1200 रुपये प्रतिदिन का खर्च बढ़ जाएगा। वॉर्ड में कम से कम तीन से चार स्टाफ और डॉक्टर जरूरी हैं। इस तरह वॉर्ड चलाने में रोज पांच से छह हजार रुपये खर्च होंगे। वहीं, एक मरीज भर्ती होने पर रोजाना अधिकतम दो से तीन हजार रुपये रूम चार्ज लिया जा सकता है। ज्यादा खर्च और कम आय में कोविड वॉर्ड चलाना मुमकिन नहीं होगा।

मुश्किल होगा वॉर्ड बनाना
सुमित्रा मैटर्निटी सेंटर की संचालक डॉ. तृप्ति बंसल ने बताया कि अभी सीएमओ के आदेश के पालन के लिए कोई दबाव नहीं बनाया जा रहा, लेकिन अगर अलग वॉर्ड बनाने को कहा गया तो मुश्किल होगा। ज्यादातर छोटे अस्पतालों में इतना स्टाफ ही नहीं है। इसके अलावा लॉकडाउन में अतिरिक्त स्टाफ का नियुक्ति भी संभव नहीं होगी।

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