कानपुर थानों में नहीं हो रही सुनवाई, अफसरों के यहां पहुंच रहे पीड़ित

कानपुर। पुलिस कमिश्नरी लागू होते ही शहर में आईपीएफ अफसरों की तादात बढ़ गयी लेकिन थाना स्तर पर पुलिसिया व्यवस्था पुराने ढर्रे पर ही चल रही है। हर रोज पुलिस आयुक्त, ज्वाइंट सीपी, डीसीपी के यहां फरियादियों की भीड़ बता रही है कि थानों में कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खेला हो रहा है। हर रोज अफसरों के यहां सौ से ज्यादा लोग शिकायत लेकर पहुंच रहे है। कमिश्नरी व्यवस्था लागू होने के बाद जहां पुलिसिंग में सुधार हुआ है वहीं हर अफसर की जवाबदेही भी तय हुई है। फोर्स की कमी भी अब नहीं रही। पर थानों में फरियादियों के साथ आज भी ऐसा सलूक किया जाता है मानों वही अपराधी है। ऐसे एक नहीं कई मामले अक्सर सामने आ चुके है। अफसरों के यहां आने वाली ज्यादातर शिकायतों में मुकदमा दर्ज न करना, मुकदमा दज्र होने के बाद गिरफ्तारी न होना।

वहीं शिकायतें पहुंचने के बाद थाने, चौकी बुलाकर धंटो बैठाये रखने जैसे मामले आये दिन अफसरों के यहां पहुंचते है। बुधवार को केआईटी में बेटे के साथ मारपीट करने वालों की गिरफ्तारी न होने की शिकायत पहुंची, तो वहीं नौबस्ता में भी मोहर सिंह कुछ ऐसी ही शिकायत लेकर पहुंचे थे। चेन लूट, मोबाइल लूट जैसे मामलों में तो पुलिस मुकदमा दर्ज करने में पीड़ितों को इतना भगाती है कि वह खुद हार मान जाता है। वहंी जांच के नाम पर पुलिस जहां आरोपियों को बड़ी सफाई से मुकदमे ंसे बाहर कर देती है तो वहीं किसी को भी नामजद करने में माहिर है। भले ही पीड़ित ने तहरीर और 164 के बयान में आरोपियों के नाम लिये हो ऐसे दो मामले सामने आ चुके है।

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