
मंदबुद्धि जैसी कई जटिलताओं को दूर करने की मुहिम
एसजी पीजीआई, लखनऊ में ऐसे बच्चों की मुफ्त जांच और इलाज की व्यवस्था
आनुवांशिक बीमारियों से बचाव को लेकर बहराइच व श्रावस्ती में चल रहा पायलट प्रोजेक्ट
बहराइच l जन्म लेने वाले दो से चार फीसदी बच्चे जन्मजात दोष जैसे ज्यादा उँगलियाँ , कटे होंठ या दिल में छेद आदि की समस्या से ग्रसित होते हैं। दूसरी ओर आनुवांशिक बीमारी में जन्म के समय स्वस्थ दिखाई देने वाले शिशु में थैलेसीमिया, हीमोफीलिया व मंदबुद्धि जैसी कई जटिलताएँ हो सकती हैं। इसके लिए जन्में सभी नवजात की 24 घंटे के अंदर जांच व समय से इलाज करके कुछ बीमारियों के दुष्परिणामों से उन्हे बचाया जा सकता है।
यह बातें नवजात शिशु परीक्षण तथा थैलेसीमिया जागरूकता कार्यक्रम के तहत एसजीपीजीआई लखनऊ से आईं मेडिकल जेनेटिक्स विभाग की डॉ शुभा फड़के ने कहीं । उन्होने बताया कि आनुवांशिक बीमारियों की रोकथाम के लिए प्रदेश के जनपद बहराइच व श्रावस्ती में पायलेट प्रोजेक्ट “उम्मीद” चलाया जा रहा है । इसके तहत इन जिलों के जिला महिला अस्पताल में जन्मे सभी नवजात के रक्त का नमूना लेकर एसजीपीजीआई लखनऊ भेजा जाता है। जांच रिपोर्ट में आनुवांशिक दोष पाये जाने पर अविभावक को इसकी सूचना दी जाती है। इस तरह जन्म के 14 दिन के बाद इलाज शुरू कर उसे ठीक किया जा सकता है। इस प्रोजेक्ट के लिये डिपार्टमेंट आफ बायोटेक्नॉलॉजी ने आर्थिक मदद प्रदान की है।
आनुवांशिक बीमारियों से मिलेगी निजात
डॉ० शुभा ने बताया – जन्म के तीन दिन के अंदर लिए गए शिशुओं की खून की जांच से पांच आनुवांशिक बीमारियों का पता लगाया जाता है। इसमें जन्मजात थायराइड की कमी एक गंभीर बीमारी है जो बच्चों में मंदबुद्धि का कारण बनती है। यह 1000 बच्चों में से एक बच्चे में पाई जाती है। समय से इलाज करने से बच्चों को मंदबुद्धि से बचाया जा सकता है। इसके लिए जिला महिला अस्पताल के पैथालोजी विभाग में एसजीपीजीआई के थैलेसीमिया मैनेजर से मिलकर या मोबाइल नंबर 7905801741 पर संपर्क कर निःशुल्क जांच कराई जा सकती है।
रोकथाम हमेशा इलाज से बेहतर
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ सतीश कुमार सिंह ने बताया कि आनुवांशिक बीमारियाँ माता अथवा पिता या दोनों से बच्चे को मिल सकती हैं। हालांकि इसमें उनका कोई दोष नहीं होता। इसके लिए गर्भवती अथवा गर्भ धारण करने से पूर्व माता पिता की जांच कर बीमारी का पता लगाया जा सकता है। इसके साथ ही जिनके परिवार में आनुवांशिक दोष का इतिहास रहा हो उन्हे बच्चे की प्लानिंग से पहले जांच अवश्य करानी चाहिए। उन्होने बताया – जनपद में मई 2019 से अब तक 2402 गर्भवती की थैलेसीमिया जांच की गयी है। इसमें 71 महिलाएं कैरियर के रूप मे चिन्हित की गईं । वहीं नवजात शिशुओं के कुल 5600 जांच नमूने लिए गए जिसमें 69 बच्चे पॉज़िटिव पाये गए हैं जिनका इलाज एसजीपीजीआई से चल रहा है।
आनुवांशिक बीमारी के संभावित लक्षण
◆ खून की कमी होना और बार बार खून चढ़वाना
◆ जिगर तिल्ली बढ़ना और प्लेटलेट तथा डबल्यूबीसी की कमी होना
◆ बच्चे के विकास की गति कम ( मंदबुद्धि )होना
◆ लंबाई कम होना
◆ चेहरे में भारीपन, उँगलियों में जकड़न होना
◆ परिवार में बार – बार गर्भपात होना
◆ नवजात शिशु या बच्चे की एक वर्ष की आयु से पूर्व मृत्यु
◆ बचाव जरूरी :
◆ जन्म के 24 घंटे के बाद खून की जांच से रोग की पहचान करना
◆ शादी से पहले लड़के व लड़की के खून की जांच कराना
◆ नजदीकी रिश्ते में विवाह करने से बचना
◆ गर्भधारण से चार महीने के अन्दर भ्रूण की जाँच कराना