चर्चाओं में सीतापुर जिले की हाॅट मिश्रिख-नैमिषारण्य पालिका सीट

नैमिषारण्य-सीतापुर। दिसंबर की तरफ बढ़ते हुए हर दिन के साथ जिले की राजनीतिक फिजाओं में निकाय चुनाव की सरगर्मी भी बढ़ने लगी है। ओबीसी आरक्षण का मुद्दा कोर्ट में जाने के कारण हाल फिलहाल चुनाव टलता नजर आ रहा है पर अभी भी चुनाव की सुगबुगाहट खत्म नहीं हुई है। ऐसे में सीतापुर जनपद की हॉट सीट मानी जाने वाली मिश्रिख नैमिषारण्य सीट भी चर्चाओं में आती दिख रही है। नैमिषारण्य तीर्थ के आध्यात्मिक महत्व के चलते चुनावी संदेश के लिहाज से भी ये सीट काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है।

पहले हुई ओबीसी महिला अब सामान्य होने का इंतजार

जब निकाय चुनाव की सीटों के लिए आरक्षण की सूची जारी हुई तो मिश्रिख-नैमिषारण्य की सीट ओबीसी महिला रखी गई। वही बीते दिनों ओबीसी आरक्षण का मामला कोर्ट में जाने के बाद राजनीतिक हलकों में इस सीट के सामान्य होने की संभावना जताई जा रही हैं। वैसे भी अगर हम मिश्रिख नैमिषारण्य नगर पालिका सीट की चुनावी गणित की बात करें तो 2011 की जनगणना के अनुसार पालिका क्षेत्र में अनुसूचित वर्ग की जनसंख्या 15 प्रतिशत, ओबीसी 38 प्रतिशत वहीं सामान्य वर्ग की जनसंख्या 46 प्रतिशत है।

बीते कई दशकों से यहां एससी, ओबीसी और फिर एससी वर्ग का ही व्यक्ति माननीय बनता चला आ रहा हैं, जबकि मिश्रिख लोकसभा सीट पहले से ही एससी है। वही मिश्रिख विधानसभा सीट भी 2012 के चुनाव से एससी हो चुकी है। मिश्रिख ब्लाक प्रमुख की सीट भी 2021 से पहले एससी ही चली आ रही थी जो 2021 में सामान्य घोषित हुई थी। ऐसे में इस सीट पर सामान्य वर्ग के प्रत्याशी बीते कई दशकों से मन मसोस कर ही रह रहे हैं।

नगर पालिका क्षेत्र में सामान्य वर्ग के जाने पहचाने ऐसे कई चेहरे हैं जो हर चुनाव के पहले जोर शोर से जनसंपर्क अभियान में जुड़ जाते हैं वही चुनाव की घोषणा होते ही सीट के आरक्षित वर्ग की श्रेणी में जाने की घोषणा सुनकर चुनाव आगे बढ़ने के साथ-साथ जिताऊ प्रत्याशी के पीछे पिछलग्गू बन कर ही रह जाते हैं। ऐसे में सामान्य वर्ग के माननीयों की चाहत रखने वालों लोगों के लिए इस बार एक बार फिर कोर्ट के आदेश के बाद इस सीट के सामान्य होने की उम्मीदें बढ़ गई हैं।

नगर पालिका अध्यक्षा व विधायक की रार में अटका क्षेत्र का विकास

नगरपालिका के क्षेत्रवासियों की माने तो 2017 में मिश्रिख नैमिषारण्य नगरपालिका सीट पर भाजपा के टिकट से सरला देवी निर्वाचित हुई थी जोकि मौजूदा विधायक रामकृष्ण भार्गव की रिश्ते में बहु लगती हैं। चुनाव जीतने के बाद बहू और ससुर के रिश्ते में काफी तल्खी आ गई और दोनों के सियासी रास्ते अलग-अलग हो गए। जिसका खामियाजा नगर पालिकावासियों को भुगतना पड़ा। नगर पालिका में साफ सफाई व्यवस्था और विकास कार्य काफी हद तक प्रभावित हुए। हालात ऐसे आ गए कि नगरपालिका अध्यक्षा के अधिकार भी सीज कर दिए गए थे जो काफी जद्दोजहद के बाद हाई कोर्ट से बहाल हुए। इस दौरान नगर पालिका ईओ आरपी सिंह की कार्यशैली भी सवालों के घेरे में रही।

इन 5 सालों के कार्यकाल में सफाई कर्मियों की कई बार हड़ताल भी नगर पालिका की जवाबदेही को सवालों के दायरे में खड़ी करती नजर आई। जिसके बाद अभी हाल में ही डीएम अनुज कुमार सिंह द्वारा गठित जांच के बाद नगर पालिका ईओ आरपी सिंह करीब 40 लाख रुपए की राशि के घोटाले के आरोप में निलंबित किए जा चुके हैं।

ब्राम्हण वर्ग के नेता की बात पर दिया वोट, पूरे 5 साल नही आये नजर

नैमिष तीर्थ के नगर पालिका वासियों को सबसे बड़ी शिकायत यही हैं कि उन्होंने क्षेत्र के ही ग्रामीण अंचल के एक बड़े ब्राह्मण नेता की बात पर विश्वास करते हुए सरला देवी को एकजुट होकर वोट दिया था, पर जीत के कुछ ही समय बाद वो ब्राह्मण नेता भी विधायक और अध्यक्ष के बीच रार की बात कहते हुए खुद का पल्ला झाड़ते नजर आये, ऐसे में क्षेत्रवासियों में ऐसे नेताओं के प्रति अविश्वास बढ़ता चला गया। ऐसे में क्षेत्रीय लोग ये कहते पाए गए कि चलो ठीक है अब कम से कम वो नेता तो किसी को वोट देने की बात कहते नजर नहीं आएंगे क्योंकि उनका पहले का ही वादा जो अधूरा रह गया।