
एक ऐसी दुनिया में जहां तकनीक भविष्य का निर्माण करती है, भारत में लाखों वंचित छात्र पीछे छूट रहे हैं, विशेषकर लड़कियां । डिजिटल अंतर सिर्फ कंप्यूटर तक पहुंच का मामला नहीं है, बल्कि यह नए अवसरों, सशक्तिकरण और गरीबी से बाहर निकलने से जुड़ा है | इस बदलाव के लिए 16 साल की रिया राम, जो ब्रिटिश स्कूल में कक्षा 11 की छात्रा हैं, ने ‘टेकफॉरऑल’ (www.techforall.in) नाम की पहल शुरू की है। इसके जरिए वह ग्रामीण भारत के छात्रों को कंप्यूटर की शिक्षा दे रही हैं।
आधुनिक कंप्यूटर लैब स्थापित करके, कुशल शिक्षकों की भर्ती करके और तकनीकी कार्यशालाओं का आयोजन करके, रिया सुनिश्चित कर रही हैं कि किसी भी बच्चे की क्षमता डिजिटल पहुंच की कमी के कारण सीमित न हो।
‘टेकफॉरऑल’ के माध्यम से रिया ने दयालपुर, उंचागांव और नरियाला के तीन सरकारी स्कूलों में कंप्यूटर लैब स्थापित किए हैं, जिससे 3,000 छात्रों को जरूरी डिजिटल ज्ञान मिल रहा है। इन लैब में न सिर्फ कंप्यूटर की बेसिक जानकारी दी जाती है, बल्कि छात्रों को आगे की पढ़ाई और नौकरी के लिए भी तैयार किया जाता है ।
कंप्यूटर लैब स्थापित करना एक बड़ी चुनौती है, लेकिन रिया ने इसे संभव बनाने के लिए नवीन दृष्टिकोण अपनाए हैं। उन्होंने नृत्य प्रदर्शन, दानदाताओं से सीधी बातचीत और छोटे व्यवसायों के साथ साझेदारी के माध्यम से 20 लाख रुपये जुटाए हैं। उनके लगातार प्रयासों से कई लोग उनके साथ जुड़ गए हैं, जो डिजिटल अंतर खत्म करने के उनके सपने में विश्वास रखते हैं।
रिया अब अपने प्रयासों को और व्यापक बनाने के लिए एक साहसिक योजना पर काम कर रही हैं। उन्होंने तीन और सरकारी स्कूलों की पहचान की है, जहां अगले दो महीनों में नई कंप्यूटर लैब स्थापित की जाएंगी। लेकिन यह तो सिर्फ शुरुआत है—रिया का लक्ष्य अगले वर्ष तक ‘टेकफॉरऑल’ को 50 से अधिक स्कूलों तक पहुँचाना है, जिससे हजारों और छात्रों का भविष्य बदले। इस विस्तार को तेज करने के लिए उन्होंने ‘मृदु कौल फाउंडेशन’ के साथ साझेदारी की है और सीएसआर-उन्मुख संगठनों के साथ सक्रिय रूप से जुड़ रही हैं। वह मानती हैं कि कंपनियों और दानदाताओं के साथ मिलकर काम करने से डिजिटल अंतर जल्दी खत्म किया जा सकता है।
रिया का मिशन केवल कंप्यूटर तक पहुंच प्रदान करना नहीं है—वह युवा लड़कियों को उन डिजिटल कौशलों से सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जो आज की तकनीकी दुनिया में सफल होने के लिए आवश्यक हैं। वह पूरी तरह मानती है कि तकनीक में जीवन बदलने और पूरे समुदाय को आगे बढ़ाने की शक्ति है। रिया कहती हैं, “तकनीक एक बड़ा बदलाव ला सकती है, और मैं सुनिश्चित करना चाहती हूं कि हर बच्चे, खासकर लड़कियों, को इसका लाभ मिले। शिक्षा और तकनीक पर हर बच्चे का समान अधिकार होना चाहिए, यह किसी विशेष वर्ग तक सीमित नहीं रहना चाहिए|”
रिया की यात्रा युवाओं द्वारा किए जा रहे सकारात्मक बदलाव की ताकत का प्रतीक है। ‘टेकफॉरऑल’ के जरिए वह सिर्फ डिजिटल अंतर खत्म नहीं कर रही हैं, बल्कि यह भी दिखा रही हैं कि एक मेहनती इंसान बड़ा बदलाव ला सकता है। । जैसे-जैसे वह अपनी पहल का विस्तार कर रही हैं, उनकी कहानी इस बात का सशक्त प्रमाण है कि सार्थक बदलाव की शुरुआत कार्रवाई से होती है—और हर छोटा प्रयास एक बेहतर भविष्य का निर्माण कर सकता है।
‘टेकफॉरऑल’ के माध्यम से रिया ने दयालपुर, उंचागांव और नरियाला के तीन सरकारी स्कूलों में कंप्यूटर लैब स्थापित किए हैं, जिससे 3,000 छात्रों को जरूरी डिजिटल ज्ञान मिल रहा है। इन लैब में न सिर्फ कंप्यूटर की बेसिक जानकारी दी जाती है, बल्कि छात्रों को आगे की पढ़ाई और नौकरी के लिए भी तैयार किया जाता है ।
कंप्यूटर लैब स्थापित करना एक बड़ी चुनौती है, लेकिन रिया ने इसे संभव बनाने के लिए नवीन दृष्टिकोण अपनाए हैं। उन्होंने नृत्य प्रदर्शन, दानदाताओं से सीधी बातचीत और छोटे व्यवसायों के साथ साझेदारी के माध्यम से 20 लाख रुपये जुटाए हैं। उनके लगातार प्रयासों से कई लोग उनके साथ जुड़ गए हैं, जो डिजिटल अंतर खत्म करने के उनके सपने में विश्वास रखते हैं।
रिया अब अपने प्रयासों को और व्यापक बनाने के लिए एक साहसिक योजना पर काम कर रही हैं। उन्होंने तीन और सरकारी स्कूलों की पहचान की है, जहां अगले दो महीनों में नई कंप्यूटर लैब स्थापित की जाएंगी। लेकिन यह तो सिर्फ शुरुआत है—रिया का लक्ष्य अगले वर्ष तक ‘टेकफॉरऑल’ को 50 से अधिक स्कूलों तक पहुँचाना है, जिससे हजारों और छात्रों का भविष्य बदले। इस विस्तार को तेज करने के लिए उन्होंने ‘मृदु कौल फाउंडेशन’ के साथ साझेदारी की है और सीएसआर-उन्मुख संगठनों के साथ सक्रिय रूप से जुड़ रही हैं। वह मानती हैं कि कंपनियों और दानदाताओं के साथ मिलकर काम करने से डिजिटल अंतर जल्दी खत्म किया जा सकता है।
रिया का मिशन केवल कंप्यूटर तक पहुंच प्रदान करना नहीं है—वह युवा लड़कियों को उन डिजिटल कौशलों से सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जो आज की तकनीकी दुनिया में सफल होने के लिए आवश्यक हैं। वह पूरी तरह मानती है कि तकनीक में जीवन बदलने और पूरे समुदाय को आगे बढ़ाने की शक्ति है। रिया कहती हैं, “तकनीक एक बड़ा बदलाव ला सकती है, और मैं सुनिश्चित करना चाहती हूं कि हर बच्चे, खासकर लड़कियों, को इसका लाभ मिले। शिक्षा और तकनीक पर हर बच्चे का समान अधिकार होना चाहिए, यह किसी विशेष वर्ग तक सीमित नहीं रहना चाहिए|”
रिया की यात्रा युवाओं द्वारा किए जा रहे सकारात्मक बदलाव की ताकत का प्रतीक है। ‘टेकफॉरऑल’ के जरिए वह सिर्फ डिजिटल अंतर खत्म नहीं कर रही हैं, बल्कि यह भी दिखा रही हैं कि एक मेहनती इंसान बड़ा बदलाव ला सकता है। । जैसे-जैसे वह अपनी पहल का विस्तार कर रही हैं, उनकी कहानी इस बात का सशक्त प्रमाण है कि सार्थक बदलाव की शुरुआत कार्रवाई से होती है—और हर छोटा प्रयास एक बेहतर भविष्य का निर्माण कर सकता है।