सीतापुर में अव्यवस्थाओं के पथ पर कैसे होगी ‘रामादल यात्रा’

नैमिषारण्यसीतापुर। आगामी 3 मार्च से हिंदू धर्म की सबसे प्राचीन यात्राओं में से एक नैमिषारण्य तीर्थ की 84 कोसीय परिक्रमा रामादल का शंखनाद होगा। इस परिक्रमा के बारे में कहा जाता है कि महर्षि दधीचि ने इस परिक्रमा का प्रारम्भ किया था वहीं भगवान श्रीराम द्वारा इस यात्रा को किए जाने के कारण इस परिक्रमा के श्रद्धालुओं के दल को रामादल भी कहते हैं। इस यात्रा में गृह प्रदेश के साथ ही देश के विभिन्न प्रदेशों व पड़ोसी देश नेपाल के भी श्रद्धालु बड़े ही उत्साह से इस परिक्रमा में भाग लेते हैं। ज्ञात हो कि इस परिक्रमा में हर बार श्रद्धालुओं को कई मूलभूत समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कमोबेश वैसी ही स्थिति इस बार भी श्रद्धालुओं के सामने आती दिखाई दे रही है। अगर अभी परिक्रमा में यात्रियों के सामने आने वाली समस्याओं की बात करें तो अभी भी कंकड़ व गड्ढा युक्त रोड , जर्जर पुलिया श्रद्धालुओं का इंतजार करती दिख रही है।

वही इस परिक्रमा के पड़ावों पर भी अभी तैयारियां पूरी नहीं हो सकी हैं। इस परिक्रमा के पहले पड़ाव कोरोना पर परिक्रमार्थियों के लिए न तो रैन बसेरा का निर्माण हो सका है और न ही यहाँ मौजूद तीर्थ में साफ सफाई व जल की व्यवस्था हो सकी है। परिक्रमा पड़ावों पर पर्याप्त जगह, साफ-सफाई, चिकित्सा व्यवस्था व सुरक्षा व्यवस्था हर बार बड़ा मुद्दा रहती हैं। 84 कोसीय परिक्रमा के तत्कालीन अध्यक्ष स्वर्गीय महंत भरतदास कोल्हुआ बरेठी पड़ाव पर अपने जीवनकाल में अवैध अतिक्रमण की समस्या कई बार उच्चाधिकारियों के सामने रख चुके हैं पर अभी तक इस समस्या का निस्तारण नहीं हो सका है। पहले पड़ाव की यात्रा में आने वाले कुनेरा तीर्थ पर अभी भी साफ सफाई कार्य नहीं हो सका है वही यहां पर अब तक तीर्थ में जल की पर्याप्त उपलब्धता कामचलाऊ ही रही है। ऐसे में इस बार भी परिक्रमा में श्रद्धालुओं के लिए पर्याप्त यात्री सुविधाओं पर अभी सवालिया निशान लगा हुआ है।

https://youtu.be/fiYv8SjlDZs?t=96

खबरें और भी हैं...

अपना शहर चुनें

हिमाचल में तबाही, लापता मजदूरों की तलाश जारी न हम डरे हैं और न यहां से जाएंगे एयर इंडिया विमान हादसे पर पीएम मोदी की समीक्षा बैठक क्या बेहतर – नौकरी या फिर बिजनेस पेट्स के साथ डेजी का डे आउट