नई दिल्ली। भारत के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने शुक्रवार 3 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामलों को सुलझाने में देरी और सुनवाई टालने पर चिंता जताई। CJI ने वकीलों से कहा कि हम नहीं चाहते कि ये (सुप्रीम कोर्ट) तारीख पर तारीख वाली अदालतें बन जाए। उन्होंने कहा कि हर रोज औसतन 154 मामले टाले जाते हैं। अगर इतने सारे मामले एडजर्नमेंट (स्थगन या टालना) में रहेंगे तो ये अदालत की अच्छी छवि नहीं दिखाता। साथ ही CJI ने वकीलों से अपील की- जब तक जरूरत न हो, तब तक सुनवाई टालने की मांग न करें।
दरअसल, CJI चंद्रचूड़ ने एक मामले की सुनवाई के दौरान पेश हुए वकील की ओर से एडजर्नमेंट की मांग पर नाराजगी जाहिर की। सुप्रीम कोर्ट लगातार लिस्टेड मामलों की सुनवाई कर रहा है और सबसे ज्यादा ए़डजर्नमेंट की मांग इन्हीं मामलों में की जाती है।
CJI ने एडजर्नमेंट मामलों में डेटा किया एकत्र
CJI ने कोर्ट में एडजर्नमेंट के मामलों के बारे में डेटा एकत्र किया। इस डेटा का एनालिसिस कर उन्होंने शुक्रवार को कोर्ट में कहा कि केवल सितंबर और अक्टूबर में 3,688 बार कोर्ट में सुनवाई टालने की मांग की गई। आज ही यानी 3 नवंबर को 178 मामलों की सुनवाई टालने की मांग की गई। औसतन हर रोज 154 केस एडजर्न होते हैं। उन्होंने कहा कि मैं कोर्ट में मामले के दाखिल होने से लेकर पहली सुनवाई के लिए आने तक की प्रक्रिया की निगरानी कर रहा हूं, ताकि ये सुनिश्चित किया जा सके कि न्याय मिलने में कम से कम समय लगे।
इन्हीं मामलों में ए़डजर्नमेंट की मांग क्यो- CJI चंद्रचूड़
CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि बीते दो महीने में एडजर्न किए गए मामलों की संख्या लिस्टेड मामलों से तीन गुना ज्यादा थी। हम मामलों की सुनवाई जल्द कर रहे हैं, लेकिन फिर उन्हीं मामलों में ए़डजर्नमेंट मांग लिया जाता है। उन्होंने ने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन और सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-ऑन रिकॉर्ड एसोसिएश के सदस्यों और वकीलों से अपील की कि जब तक जरूरी न हो सुनवाई टालने की मांग न करें।
माय लॉर्ड कहना बंद करें, आपको अपनी आधी सैलरी दूंगा
सुप्रीम कोर्ट के एक जज ने वकीलों की ओर से बार-बार ‘माय लॉर्ड’ और ‘योर लॉर्डशिप’ कहे जाने पर नाराजगी जताई। दरअसल, कोर्ट में एक नियमित मामले की सुनवाई चल रही थी। इस दौरान जस्टिस एएस बोपन्ना के साथ बेंच में जस्टिस पीएस नरसिम्हा भी बैठे थे। इस दौरान एक सीनियर एडवोकेट उन्हें बार-बार ‘माय लॉर्ड’ और ‘योर लॉर्डशिप’ कह रहे थे।
इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम पर SC में दूसरे दिन की सुनवाई
इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम मामले में 1 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में दूसरे दिन की सुनवाई हुई। केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड से राजनीतिक चंदे में पारदर्शिता आई है। पहले नकद में चंदा दिया जाता था, लेकिन अब चंदे की गोपनीयता दानदाताओं के हित में रखी गई है।
SC का सेम-सेक्स मैरिज को कानूनी मान्यता देने से इनकार
सेम सेक्स मैरिज को कानूनी मान्यता देने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है। मंगलवार यानी 17 अक्टूबर को 5 जजों की संविधान पीठ ने कहा कि कोर्ट स्पेशल मैरिज एक्ट में बदलाव नहीं कर सकता। कोर्ट सिर्फ कानून की व्याख्या कर उसे लागू करा सकता है।