आईआईटी कानपुर ने रंजीत सिंह रोज़ी शिक्षा केंद्र (आरएसके) में एक डिजाइन विकास केंद्र कला ग्राम का शुभारंभ किया है, जिसका उद्देश्य नवीन तकनीकों के ज़रिये पारम्परिक शिल्प को संरक्षित और पुनर्जीवित करना है। यह केंद्र कारीगरों के लिए नई सामग्री, तकनीक और बाज़ार के रुझानों का पता लगाने के लिए एक केंद्र के तौर पर काम करेगा और उत्पादों के सह-निर्माण के लिए शीर्ष संस्थानों के युवा डिज़ाइनरों के साथ सहयोग को बढ़ावा देगा।
फिलिप मॉरिस इंटरनेशनल इंक. (पीएमआई) के भारतीय सहयोगी आईपीएम इंडिया होलसेल ट्रेडिंग प्राइवेट लिमिटेड (आईपीएम इंडिया) के सीएसआर फंड द्वारा समर्थित इस पहल का महिला सशक्तीकरण पर पहले से ही सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। आईपीएम इंडिया में विदेश मामलों की निदेशक मैडम अनुश्री लक्ष्मीनारायणन ने स्थानीय कारीगरों को सशक्त बनाने में परियोजना के प्रयासों की सराहना की।समारोह में अन्य प्रतिष्ठित व्यक्तियों की भी उपस्थिति थी, जिनमें प्रो. अमेय कर्करे, संसाधन और पूर्व छात्रों के डीन; प्रो. सत्यकी रॉय, डिजाइन विभाग के प्रमुख; प्रो. सुधांशु एस सिंह, डिजाइन परियोजना के सह-पीआई; प्रो. अमरेन्द्र के. सिंह, पीआईसी टेक्नोपार्क@आईआईटीके; और प्रो. कलोल मंडल, सामग्री विज्ञान और इंजीनियरिंग विभाग, सहित अन्य लोग शामिल थे।
“कला ग्राम की समन्वयक डॉ. मोनिका ठाकुर ने बताया कि यह केंद्र कारीगरों को नए औज़ारों और तकनीकों के साथ प्रयोग करने, बाज़ार के रुझान जानने और पैकेजिंग रणनीतियों को सीखने के लिए एक स्थान प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि डिज़ाइन संस्थानों और स्टूडियोज़ के साथ सहयोग इन आदान-प्रदानों को सुविधाजनक बनाएगा।
आईआईटी कानपुर भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित रखते हुए इनोवेशन को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। कला ग्राम जैसी पहलों के माध्यम से, संस्थान न केवल ग्रामीण कारीगरों की आजीविका का इंतज़ाम कर रहा है, बल्कि पारंपरिक शिल्प और समकालीन डिज़ाइन के बीच की खाई को भी पाट रहा है। यह परियोजना शिक्षा और कौशल निर्माण के ज़रिये निरंतर विकास और सशक्तिकरण में योगदान देने के आईआईटी कानपुर के मिशन को दर्शाती है।