यमुना एक्सप्रेस वे की सुरक्षा में बाधक बन रहे अवैध ढ़ाबा

मनमर्जी फेसिंग काटकर बना रखे हैं अवैध ढाबे

भास्कर समाचार सेवा

बाजना। यमुना एक्सप्रेस की सुरक्षा को एक्सप्रेस वे के सर्विस रोड पर चल रहे ढ़ाबों व चाय की दुकानों से खतरा बना हुआ है। इनसे एक्सप्रेस वे की सुरक्षा में बाधा दिख रही है,फिर भी टोल प्रबंधक द्वारा अवैध ढ़ाबों को लेकर की गई शिकायत पर पुलिस द्वारा कोई भी कार्रवाई नहीं की गई।
मथुरा जनपद की सीमा में एक्सप्रेस वे की लंबाई सबसे अधिक है,यहाँ एक्सप्रेस वे के सर्विस रोड़ पर बाजना से लेकर बलदेव तक तमाम ढाबे व चाय,पंचर आदि की दुकानें हैं।इन दुकानदारों ने अपनी सुविधा के लिए एक्सप्रेस वे के सहारे लगी कंटीले तारों की फेंसिंग को तोड़ कर एक्सप्रेस वे पर चढ़ने उतरने का रास्ता भी बना लिया है।
इन ढाबों के कारण अक्सर एक्सप्रेस वे पर वाहन चालक वाहनों को खड़ा कर खाने पीने के लिए नीचे उतर आते हैं,और वाहन एक्सप्रेस वे पर कभी कभी तो घण्टों खड़े रहते हैं।जिसके चलते एक्सीडेंट के साथ साथ वाहनों में चोरी व लूट का खतरा बना रहता है।
अवैध ढाबों को बंद कराने के लिए कई बार जेपी ग्रुप व यमुना एक्सप्रेस वे प्राधिकरण द्वारा पुलिस प्रशासन से सहयोग भी मांगा गया,पर पुलिस या प्रशासन ने कोई गम्भीरता नहीं दिखाई। जबकि कई बार लूट या चोरी जैसी वारदातें होने पर कई ढाबा संचालकों की भूमिका संदिग्ध पाई गई थी। एक्सप्रेस वे के अधिकारी इस बारे में कई बार स्थानीय पुलिस से भी शिकायत कर चुके हैं।इन ढाबों पर असामाजिक तत्वों का जमाबड़ा रहता है। वहीं सूत्रों के मुताबिक ढाबों पर नशीले पदार्थों की बिक्री भी की जा रही है।चर्चा है कि सम्बन्धित थानों की पुलिस अवैध ढाबों से सेवा लेती रहती है।

नहीं है सुगम सफर

यमुना एक्सप्रेस वे की स्थापना के बाद लोगों ने सोचा था कि अब आगरा से नोएडा का सफर सुगम और बिना कष्ट वाला होगा पर ऐसा कुछ नहीं है। बेहिसाब हो रहे सड़क हादसों के साथ ही लूट पाट की घटनाएँ भी एक्सप्रेस वे के सुरक्षाकर्मी और पुलिस भी नहीं रोक पा रही है। एक्सप्रेस वे पर लूट के बहुत से मामलों को या तो पुलिस छिपा जाती है या फिर उसे मिनिमाइज कर देती है। एक्सप्रेस वे पर कहीं का भी अपराधी अपराध करने के बाद बड़ी आसानी से कहीं भी चला जाता है।

मात्र 12 दरोगाओं के भरोसे एक्सप्रेस वे की सुरक्षा

165 किलोमीटर लंबे एक्सप्रेस वे पर आगरा से नॉएडा तक 12 दारोगा 42 सिपाही के अलावा एक्सप्रेस वे और जेपी ग्रुप के दर्जनों सुरक्षा कर्मियों के हर वक्त भृमण में रहने के बाद भी घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं। एक्सप्रेस वे पर 12 गाड़ियां कम्पनी के सुरक्षा कर्मियों की रहती हैं तो 18 गाड़ियां पुलिस की भी रहती हैं। इसके अलावा 6 इनोवा कार टोलों पर आपात स्थिति के लिए हर वक्त तैयार रहती हैं। इसके अलावा फेसिलिटी पर पर्याप्त मात्रा में सुरक्षा कर्मी रहते हैं और रोड पर हर 15 किलोमीटर पर सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं।

रास्ते मे गाड़ी रोकने पर हो सकते हो लूट का शिकार

एक्सप्रेस वे पर सफर करते समय सबसे महत्वपूर्ण है कि अपनी गाड़ी को रास्ता में न रोकें।वाहनों को केवल फेसिलिटी पर रोकें। गाड़ी में किसी तरह की आवाज आने पर अचानक गाड़ी न रोक कर एक्सप्रेस वे के टोल फ्री नम्बर पर काल करें। हाइवे साथी एप्प का सहारा लें और गाड़ी को एक्सप्रेस वे पर बनी फैसिलिटी सेंटर पर ही रोकें और टोल फ्री नम्बर की मदद लें।

केवल शराब पकड़ने और एक्सीडेंट तक सीमित है पुलिस

एक्सप्रेस वे की टोल चौकियों पर तैनात पुलिस कर्मी केवल शराब पकड़ने और एक्सीडेंट को अटेंड करने तक ही सीमित हैं। असलियत में अवैध कारोबार का सुगम रास्ता एक्सप्रेस वे बन गया है।बस यही वजह है कि पुलिस भी लूट जैसी घटनाओं को इस विश्व स्तरीय रोड पर कैसे रोका जाए,इस ओर ज्यादा ध्यान नहीं देती।बस शराब जैसे अवैध कारोबार और डग्गेमार वाहनों की तलाश में ही रहती है,क्यों कि इन मामलों में पर्दे के पीछे बड़ा खेल होता है।

ट्रैफिक पुलिस लगी रहती है अवैध वसूली में।

यमुना एक्सप्रेस वे पर तैनात ट्रैफिक पुलिस स्टाफ केवल वाहन चालकों को चालान का भय दिखा कर अवैध वसूली में लिप्त दिखते हैं। ट्रैफिक पुलिस के गोरखधंधा में शामिल होने का आरोप लगाते हुए एक्सप्रेस वे प्रबन्धन पूर्व में एक कर्मचारी को बर्खास्त कर चुका है,हालांकि ये मामला अभी कोर्ट में विचाराधीन है। पुलिस से जुड़े सूत्र बताते हैं कि यमुना एक्सप्रेस वे पर पोस्टिंग के लिए ट्रैफिक पुलिस कर्मी व टोल चौकी कर्मी अब्बल किस्म की जुगाड़ का सहारा लेते हैं। वहीं कई बार टोल मांट के पुलिस कर्मी शिकायत पाने पर दण्डित भी किये जा चुके हैं।

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