आत्म-निर्भर भारत के निर्माण में खादी की महत्वपूर्ण भूमिकाः डा0 नितेश धवन


भारत की जी0डी0पी0 में एम0एस0एम0ई0 का महत्वपूर्ण योगदान
भास्कर समाचार सेवा
बिजनौर।विवेक काॅंलेज, बिजनौर में लोक शिक्षण कार्यक्रम के अन्तर्गत एक दिवसीय संगोष्ठी, वाद-विवाद एवं निबंध प्रतियोगिता का आयोजन खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग, सूक्ष्म लद्यु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय, भारत सरकार के द्वारा किया गया। कार्यक्रम का मुख्य विषय आत्मनिर्भर भारत के लिये ग्रामीण उद्यमिता का निर्माण था।
कार्यक्रम का शुभारम्भ सर्वप्रथम मुख्य अतिथि डा0 नितेश धवन, निदेशक, खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (सूक्ष्म लद्यु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय, भारत सरकार) एवं काॅंलेज के सचिव इंजीनियर दीपक मित्तल तथा सहायक निदेशक मंडलीय कार्यालय मेरठ एच एन मीना के द्वारा किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि का स्वागत काॅंलेज के सचिव द्वारा पुष्प गुच्छ तथा स्मृति चिन्ह भेंट कर किया गया।
कार्यक्रम का आयोजन तीन सत्रो में किया गया जिसमें प्रथम सत्र में आत्म निर्भर भारत के लिये ग्रामीण उद्यमीता का निर्माण विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें आंमत्रित वकताओं ने अपने विचार रखे। सत्र में मुख्य वक्ता के रूप में डा0 नितेश धवन ने खादी और ग्रामोद्योग से परिचित कराते हुये बताया की खादी एक हाथ से काता हुआ और बुना प्राकृतिक रेशे का कपड़ा है। एम0एस0एम0ई0 की जानकारी देते हुये बताया की यह देश के जी0डी0पी0 मे लगभग 95 प्रतिशत फीसदी योगदन देती है एम0एस0एम0ई0 सभी देश में रोजगार का सबसे बड़ा नेटवर्क है। साथ ही डा0 नितेश धवन जी ने छात्र-छात्राओं को एम0एस0एम0ई0 की पंजीकरण एवं इनके चलायी जा रही सरकारी योजना विस्तृत जानकारी प्रदान की तथा बताया कि लोक शिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य सरकार द्वारा बनाई गई योजना को आप तक पहुॅंचाना है।
द्वितीय वक्ता के रूप में वर्धमान काॅंलेज के प्रोफेसर (डा0) एस0 के0 जोशी ने खादी और ग्रामोद्योग की महत्वता को बताते हुये अपने विचार व्यक्त किये उन्होने बताया कि खादी और गाॅंधी का अटूट सम्बन्ध है गाॅंधी जी ने सत्य और अंहिसा के साथ-साथ ग्रामोद्योग पर ध्यान दिया ताकि हम स्वालग्बी बने सामाजिक एवं आर्थिक स्तर पर आत्म निर्भर बने गाॅंधी जी ने अपने स्वीधनता आन्दोलन में यह प्रयास किया कि हमारे देश का घन दूसरे देश में ना जाये। जोशी ने अपने विचारो में यह भी बताया कि खादी वस्तु नही दर्शन है और गाॅंधी जी का दर्शन से अटूट रिश्ता है। हम लोग खादी से, ग्रामोद्योग से दूर जा रहे है यदि हमें आत्मनिर्भर बनना है तो निश्चित रूप से गाॅंव को साथ लेकर चलना पडेगा, ग्रामोद्योग को साथ लेकर चलना पडेगा साथ ही जोशी जी ने जानकारी भी दी कि एम0एस0एम0ई0एस0 ये अपने आप में 04 गुना ज्यादा से रोजगार सृज्ति करता है। 07 से 15 प्रतिशत पूंजी की लागत पर 25 प्रतिशत आउटपुट प्राप्त होता है और साथ 40 प्रतिशत रोजगार भी सृजित करता है। उन्होने कहा कि जिस प्रकार एयर इंडिया ने खादी और ग्रामोद्योग के साथ टाईअप किया है उनको ड्रेस अप वितरित किया जाता है उसी प्रकार भारत सरकार को भी सोचना पड़ेगा जहाॅं पर यूनिफाॅंर्म वितरित कि जा रही है वह खादी और ग्रामेद्योग के साथ टाईअप कर सकते जिससे लोगो को वित्तीय की कमी दूर होगी।
तत्पश्चात् कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुये डा0 निधि शुक्ला ने सामाजिक कार्यकत्र्ता कवियत्री, पत्रकार सुमन चैधरी को मंच पर आंमित्रत किया एवं उसे अपने विचार व्यक्त करने के लिये कहा श्रीमती सुमन चैधरी ने खादी और ग्रामोद्योग का बदलता चेहरा गाॅंधी से लेकर संमकालीन फैशन तक के बारे में अपने विचार व्यक्त किये। उन्होने बताया कि खादी और ग्रामोद्योग एक ऐसी परियोजना है जिसकी शुरूवात 1956 के तहत शुरू की थी। बदलते हुये वश्विकरण के दौर में खादी और ग्रामोद्योग का चेहरा भी बदल रहा है। हमें अपने पूर्वजों से मिली परम्परा, संस्कृति को आगे बढाये खादी वस्त्र नही विचार है समय-समय पर लोगो की सोच बदलती रहती है गाॅंधी के चरख से लेकर आज सोलर चरखे का प्रावधान किया जा रहा है। पहले हम खादी के नाम पर साड़ी रजाई तक होते थे परन्तु आज हमारे देश में खादी का उत्पादन बढ़ गया है और अपने देश के साथ-साथ खादी बाहर भी एक्सपर्ट हो रही है। खादी बदलते चेहरे के साथ युवाओं का ब्रांड बने चुका है और भारतीय संस्कृति का परिचाय भी है।
कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन किया जिसमें छात्र-छात्राओं ने कुटीर उद्योग बनाम पूंजी प्रधान उद्योग व भारत में आर्थिक विकास के लिए गंाधीवादी दृष्टिकोण आज भी प्रांसगिक है पर अपने-अपने विचारो को व्यक्त किया। प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पर गौरी द्वितीय सुरभी, खुशी तृतीय रही। वही निबंध प्रतियोगिता में सारिका प्रथम रेनू द्वितीय व रेशू मिश्रा तृतीय स्थान पर रही । कार्यक्रम के अन्त में सचिव इंजीनियर दीपक मिततल ने सभी अतिथि गण का आभार व्यक्त किया और कहा कि खादी एक ऐसा वस्त्र जिसका महत्व समझा जा सकता है खादी वस्त्रो की यह विशेषता है कि सर्दी में गर्म रखते है देश को आत्म निर्भर बनाने के लिये खादी के प्रचार प्रशार पर जोर दिया जाना चाहिए।
कार्यक्रम में समन्वयक डा0 जितेन्द्र कुमार वर्मा जी ने कहा कि खादी को प्रोत्साहित करना बहुत जरूरी है साथ ही ऐसी परिस्थिति भी उत्पन्न करनी चाहिए। कि खादी बुनना और पहना किसी की मजबूरी नही बल्कि गौरव व सम्मान का प्रतीक हो।
कार्यक्रम को सफल बनाने में शिक्षा विभाग एवं समाज कार्य विभाग के शिक्षको तथा छात्रो का विशेष सहयोग रहा एवं कार्यक्रम का संचालन डा0 निधि शुक्ला ने किया।

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