योगेश श्रीवास्तव
लखनऊ। एक ओर जहां भारतीय जनता पार्टी को सबक सिखाने की गरज से महागठबंधन के गठन की कोशिशे जारी हैं वहीं दूसरी ओर भाजपा कुनबें में उठापटक शुरू हो गई हैं। भाजपा शासित राज्य हरियाणा और राजस्थान में उपेक्षा और अनदेखी किए जाने वाले नेताओं ने कल्याण सिंह,उमाभारती,और शंकर सिंह बाघेला का रास्ता अख्तियार किये जाने का निर्णय लिया है। राजस्थान जहां इसी साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने है वहां भाजपा के वरिष्ठï नेता और केन्द्र में मंत्री रहे जसवंत सिंह के पुत्र विधायक मानवेन्द्र सिंह ने पार्टी से किनारा करने का मन बना लिया है। उनके कांग्रेस में शामिल होने की संभावना है।
इस बावत उन्होंने आगामी २२ सितंबर को अपने क्षेत्र मारवाड़ में एक बड़ी रैली का आयोजन किया है। इस रैली में कांग्रेस के राष्टï्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के भाग लेने की संभावना है। मानवेन्द्र सिंह की पत्नी चित्रा पहले से ही राजस्थान की सीएम वसुधरा राजे सिंधिया के खिलाफ मोर्चा खोल चुकी है। वसुंधरा से नाराज चल रहे मानवेन्द्र सिंह पिछले दो महीने से भाजपा की होने वाली गतिविधियां में भी नहीं शामिल हो रहे है न ही वे श्रीमती सिंधिया की गौरव यात्रा में ही शामिल हो रहे है। मानवेन्द्र सिंह के ही नक्शेकदम पर हरियाणा में कुरूक्षेत्र के सांसद राजकुमार सैनी ने बगावत का झंडा बुलन्द कर दिया है।
उन्होंने बिना देर किए पार्टी से बगावत करने के साथ ही लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी के गठन का एलान कर दिया है। २०१४ के लोकसभा चुनाव में राजकुमार सैनी ने कांग्रेस के नवीन जिन्दल को पराजित किया था। सैनी ने पार्टी के एलान के साथ ही हरियाणा की सभी १० लोकसभा और ९० विधानसभा सीटों पर चुनाव लडऩे का एलान भी कर दिया हैं। इन दोनों नेताओं के बागी तेवरों में फिलवक्त तात्कालिक नुकसान राजस्थान में भाजपा को हो सकता है। इसी साल के आखिर में वहां चुनाव होने है। राजस्थान में मानवेन्द्र सिंह की भाजपा से नाराजगी कांग्रेस के लिए मानों मुंह मांगी मुराद साबित हो रही है। हालांकि मानवेन्द्र की नाराजगी को लेकर भाजपा नेतृत्व को कोई हैरानी नहीं है। पार्टी नेताओं का कहना है कि वे पिछले दो महीनों से पार्टी के होने वाले आयोजनों में नहीं शामिल हो रहे है।
भाजपा में यह दिग्गज भी दिखा चुके है बागी तेवर
यूपी में दो बार सीएम रहे कल्याण सिंह भी दो बार बागी तेवर दिखा चुके है। मुख्यमंत्री पद से हटने के कुछ दिन बाद ही उन्होंने पहले राष्टï्रीय क्रांति पार्टी,और दूसरी बार भाजपा से अलग होने के बाद जनक्रांति पार्टी
का गठन कर किया था लेकिन पार्टी से अलग होने के बाद वे न तो स्वयं ज्यादा दिन अकेले चल पाएं न ही पार्टी चला पाए और दोनों बार ही पार्टी का विलय करते हुए भाजपा में शामिल हो गए। भाजपा सरकारों में कैबिनेट मंत्री रहे सरजीत सिंह डंग भी भाजपा से नाराज होकर एक पार्टी का गठन कर चुके है लेकिन वे भी बाद में भाजपा में शामिल हो गए। भाजपा के राष्टï्रीय महासचिव रहे और अटल को भाजपा का मुखौटा बताने वाले केएन गोविंदाचार्य भी भाजपा से बाहर होने के बाद राष्टï्रवादी मोर्चा का गठन कर चुके है।
उमा और बाघेला पकड़ चुके है अलग राह
भाजपा की फायरब्रांड क ही जाने वाले नेत्री मप्र की पूर्व मुख्यमंत्री और मोदी मंत्रिमंडल की सदस्य उमा भारती भी अपनी उपेक्षा के चलते भाजपा से अलग होकर भारतीय जनशक्ति बना चुकी है लेकिन वे भी कल्याण सिंह की ही तरह ज्यादा दिन भाजपा से दूर नहीं रह सकी और अंततोगत्वा भाजपा में शािमल हो गई। इसी तरह गुजरात में भाजपा के कद्दावर नेता रहे और वहां मुख्यमंत्री रह चुके शंकर सिंह बाघेला भी भाजपा से बगावत करके राष्टï्रीय जनता पार्टी का गठन कर चुके है और बाद में उन्होंने अपने दल का कांग्रेस में विलय कर दिया। वे गुजरात की कोपड़वंज लोकसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर संसद पहुंचे और पूर्ववर्ती यूपीए सरकारों में कैबिनेट मंत्री बने। वे दुबारा भाजपा में नहीं गए।
यूपी में एससीएसटी के विरोध में उठे स्वर
एक ओर जहां एससीएसटी एक्ट के विरोध में यूपी में भाजपा के सिटिग एमएलए सुरेन्द्र सिंह के स्वर बागी है तो दूसरी ओर पार्टी के पूर्व विधायक शशिबाला पुंडीर ने जहां पार्टी से इस्तीफा दे दिया है वहीं दूसरे पूर्व विधायक गंगा सिंह चौहान ने इसके विरोध में बड़ी रैली करने का एलान किया है।