-नगरपंचायत का कचराघर बना गौवंश की कब्रगाह
-फिर मर गई तीन गायें,कई कर रहीं है मौत का इंतजार
मैनपुरी/किशनी। नगरपंचायत के गांव खडेपुर में स्थित कम्युनिटी अब गौ वंश के लिये साक्षात् यमलोग बन चुका है। यहां पर लाई गई हर गाय अब अपनी मौत का इंतजार कर रही है। चारे की कमी और बदइंतजामी के कारण गायें असमय ही मौत के मुंह में समाई जा रहीं हैं। औसतन हर रोज एक गाय मौत के मुंह में चली ही जाती है। यहां की गायें बेहद कमजोर हो चुकीं हैं।आखिर सूखा भूसा खाकर कोई गाय कब तक जिन्दा रह सकती है। जबकि पशुुु बिभाग प्रति गाय प्रति दिन के हिसाब से तीस रूपये कम्युनिटी सेंटर को प्रदान करता है। पशु बिभाग के डॉक्टर बीमार गायों का इलाज कर रहे है। पर बेहद कमजोर हो चुकी तथा बीमारी से टूट चुकी गाय ठीक हो जायेगी इसकी भी कोई गारण्टी नहीं है। डॉक्टर इलाज के बाद चले जाते है। उसके बाद उनकी देखभाल होती ही नहीं है। गौवंश को दाना के नाम पर सिर्फ सूखा भूसा ही दिया जाता है। लोगों का भी मानना है कि यदि गायों को समुचित दाना पानी मिले तो गायें कमजोर होकर इतनी बडी संख्या में न मरतीं।पिछले दो दिनों में चार गायों की मौत हो चुकी है।
अधिकतर गायें इतनी कमजोर हो चुकीं है कि उनसे उठा भी नहीं जाता है। नगरपंचायत के रसूखदार द्वारा निकाली गई कुछ गायें कम्युनिटी सेंटर के बाहर पडीं मौत की घडियां गिन रहीं हैं। येसी ही एक गाय कई दिनों से एक ही स्थान पर पडी है। उसके पास कर्मियों से कुछ सूखा भूसा तो डाल दिया है। पर भूसे में दाना मिला कर डालने की जहमत किसी ने नहीं उठााई।दाना चारा के अभाव में असमय मरी गायों को नगरपंचायत के कर्मी गाडी में लाद कर कचराघर में यूंही फैंक कर आजाते हैं। कुछ गायों को तो जमीन में दबा दिया जाता है। परन्तु कुछ गायें यूंही खुले में पडी रहतीं है जिन्हैं कुत्ते नौंच कर खाते रहते हैं इस कारण इलाके में बदबू भी फैली रहती है। अब तो लोग कहने लगे हैं कि सरकार यदि गायों का समुचित संरक्षण नहीं कर सकती है तो उन्हैं खुला ही छोड दें। कम से कम इस नारकीय जिंदगी से तो उन्हैं छुटकारा मिल जायेगा।
नहीं कराया जाता मृत गायों का पोस्टमार्टम
सूत्रों की मानें तो इसे बदइंतजामी की पराकाष्ठा कहा जाय तो गलत न होगा कि कम्युनिटी सेंटर में अब तक मर चुकीं एक सैकडा से अधिक गायों की सूचना न तो पशु चिकित्सा अधिकारी को दी गई और ना ही उनका पोस्टमार्टम कराया गया। जब भी डॉ0 दिलीप से पूछा जाता है कि कितनी गायों की मौत हुई है तो जबाब मिलता है कि मुझे नहीं पता। इससे स्पष्ट हो जाता है कि नगरपंचायत के कर्मचारी मनमानी करते हुये मृत गायों को कचराघर में फैंक कर अपने काम की इतिश्री कर लेते हैं। शायद किसी के इशारे पर वह एक ही सिद्धान्त पर काम करते हैं कि न पोस्टमार्टम होगा न मौत का कारण पता चलेगा।
गायों की गिनती रखने के लिये किया जा रहा है इयर टैगिंग
नगरपंचायत के रसूखदार द्वारा कमजोर गायों को बाहर धकेलने की खबरों से परेशान पशुुुुु बिभाग ने गायों की इयर टैगिंग करने का फैसला लिया है। इसके लिये काम शुरू भी हो चुका है। मंगलवार तक कुल 103 गायों की टैगिंग की जा चुकी है। पशु चिकित्सक दिलीप राठौर के अनुसार नगरपंचायत ने उनसे कुल दो सौ गायों की परिवरिस के लिये हामी भरी है। टैगिंग के बाद कर्मियों द्वारा गाय को बाहर निकालना मुश्किल हो जायेगा।उन्होंने बताया कि यदि नगरपंचायत सहयोग करे और ज्यादा मैन पॉवर उपलब्ध कराये तो टैंिगंग का काम जल्दी समाप्त हो सकता है।
चिकित्सक सिर्फ बीमारी का इलाज कर सकता है जानवरों की भूख का नहीं। गायों के दाना पानी तथा छाया का इंतजाम नगरपंचायत को ही करना होगा – डॉ0 दिलीप राठौर पशु चिकित्साधिकारी