बढ़ी सियासी हलचल : क्या पाला बदलेंगे आजम खान, समर्थन में अब मायवती ने किया ट्वीट, रोजी-रोटी छीनने के आरोप

यूपी की राजनीति में सपा नेता आजम खान लगातार 17 दिन से सुर्खियों में बने हुए हैं। आज बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी आजम खान का समर्थन करते हुए 3 ट्वीट किए। उन्होंने कहा, “बीजेपी अपने शासन वाले राज्यों में मुस्लिम समुदाय को टारगेट कर रही है।”

इससे पहले कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम और प्रसपा अध्यक्ष शिवपाल यादव भी आजम खान से मिलने जेल पहुंचे थे। इसके बाद आजम की कमजोर होती जा रही राजनीति को हवा मिलना शुरू हो गई है। दरअसल, आजम की जमानत को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कानूनी लड़ाई चल रही है।

पिछले 27 महीने 15 दिन से आजम जेल में बंद हैं। उनको गुरुवार को लखनऊ की CBI कोर्ट में पेश किया गया। करीब 1 घंटे तक आजम की पेशी हुई। अखिलेश सरकार में हुए जल निगम भर्ती घोटाले में आजम की पेशी हुई थी। पर आज की पेशी में आजम पर आरोप तय नहीं हो सके।

मायावती ने कहा, “आजम को जेल में रखना न्याय का गला घोटना नहीं तो और क्या”
आज सुबह 8:45 पर ट्वीट करके मायावती ने आजम का समर्थन करते हुए अखिलेश यादव और बीजेपी पर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा, “यूपी और बाकी बीजेपी शासित राज्यों में कांग्रेस की तरह ही गरीबों, दलितों, अदिवासियों और मुस्लिमों को टारगेट कर जुल्म, ज्यादती और भय का शिकार बनाकर उन्हें परेशान किया जा रहा है।” उन्होंने लिखा- “आजम खान को करीब सवा 2 साल से जेल में बंद रखना न्याय का गला घोटना नहीं तो और क्या है?”

साल 1992 से सपा के साथ खड़े थे आजम, पर अब बड़े बदलाव की आशंका
आजम खान साल 1980 से राजनीति में सक्रिय हैं। साल 1992 में मुलायम ने जनता पार्टी से अलग होकर समाजवादी पार्टी का गठन किया तो आजम उनके बगल में खड़े दिखाई दिए। साल 2009 में रामपुर से जया प्रदा को उम्मीदवार बनाए जाने पर आजम ने पार्टी का विरोध किया था। इसके बाद उन्हें सपा से निकाल दिया गया था।

हालांकि, 1 साल के अंदर ही उन्होंने दोबारा सपा जॉइन कर ली थी। उन पर 80 से ज्यादा मुक़दमे दर्ज थे। जिसके बाद साल 2020 में उन्होंने रामपुर की अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया था। साल 2022 तक यूपी में बेहतर प्रदर्शन का भरोसा दिलाकर सपा ने आजम खान को अपने साथ जोड़कर रखा था। लेकिन सपा हार गई।

फरवरी 2020 से सीतापुर जेल से बंद आजम से अखिलेश यादव एक बार भी मिलने नहीं गए। यही वजह थी कि अखिलेश के दूत माने जा रहे विधायक रविदास मेहरोत्रा जब जेल में उनसे मुलाकात करने गए तो उन्होंने मना कर दिया। आजम को उम्मीद थी कि विधायक बनने के बाद सपा के विधायक दल का नेता उन्हें चुना जाएगा। नेता बनने के बाद उन्हें कानूनी तौर पर भी राहत मिल सकती थी। लेकिन अखिलेश ने सांसदी छोड़कर उनकी इस उम्मीद पर भी पानी फेर दिया।

यूपी चुनाव के वक्त आजम खान ने अपने समर्थकों के लिए 1 दर्जन सीट की डिमांड की थी। उसको भी पूरा नहीं किया गया। अब सीतापुर जेल में जिस तरह नेताओं का जमघट लग रहा है उससे यूपी में विपक्ष की राजनीति बदलाव आना संभव है।

कांग्रेस नेता प्रमोद कृष्णम और प्रसपा अध्यक्ष शिवपाल यादव ने जेल में आजम से मुलाकात की
25 अप्रैल 2022 : आचार्य ने कहा, “कुछ ऐसा होने वाला है जिससे पूरे देश की राजनीति पर बड़ा असर पड़ेगा”

कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम आजम खान से मिलने पहुंचे। दोनों के बीच करीब डेढ़ घंटे तक बातचीत हुई। बाहर आने के बाद प्रमोद ने कहा, “आजम की जेल में हालत बहुत खराब है। एक पट्टी पर सोते हैं। आजम जैसा नेता बकरी या दारू की बोतल चुराएगा ये बातें हजम नहीं होतीं।

प्रमोद कृष्णम ने ये दावा भी किया कि आजम के जेल से बाहर आने के बाद यूपी की राजनीति में बड़ा उलटफेर होने वाला है। उन्होंने कहा, “आजम को लेकर शिवपाल यादव कोई बड़ा राजनीतिक कदम उठाने वाले हैं जिसका असर पूरे देश की राजनीति पर पड़ेगा।”

शिवपाल यादव ने भी आजम से मुलाकात की थी…

22 अप्रैल 2022 : शिवपाल के योगी से मुलाकात के बाद आजम से मिलने के कई सियासी मायने

शिवपाल यादव भी आजम खान से मिलने पहुंचे थे। करीब एक घंटे की मुलाकात के बाद शिवपाल जेल से बहार आए। उन्होंने कहा, “आजम खान को राजनीति का लम्बा अनुभव है। मैं उन्हें सीनियर नेता के तौर पर देखता हूं।

इससे पहले योगी आदित्यनाथ से मुलाकात कर चुके थे शिवपाल यादव
आजम खान से मुलाकात से पहले शिवपाल यादव सीएम योगी से मुलाकात कर चुके थे। उनकी योगी से मुलाकात के बाद आजम से मुलाकात करने के अलग- अलग सियासी मायने निकाले जा रहे हैं।

शिवपाल-आजम की जोड़ी से मुस्लिम यादव वोट बैंक पर पड़ सकता बड़ा असर

साल 2024 में लोकसभा चुनाव होने वाले हैं। भाजपा ने चुनाव की तैयारी करना शुरू कर दिया है। दूसरी तरफ यूपी विधानसभा चुनाव में हारने के बाद विपक्षी दलों में सिर-फुटौव्वल शुरू हो गई है। सभी पार्टीज अपने-अपने स्तर पर मुस्लिम वोट बैंक साधने में लगी हैं। यूपी विधानसभा चुनाव 2022 और 2019 लोकसभा चुनाव के नतीजों के हिसाब से यूपी में मुस्लिम वोट बैंक का दो-तिहाई हिस्सा सपा से जुड़ा हुआ है।

साथ ही इस बार सपा 47 सीटों से छलांग लगाकर 111 सीटों पर पहुंच गई है। आजम खान भी 55 हजार 141 वोटों से रामपुर से जीते थे। यूपी विधानसभा की 403 सीटों में से 143 सीटों पर मुस्लिम वोटों का असर है और आजम खान को मुस्लिमों के प्रतिनिधी के तौर पर देखा जाता रहा है। ऐसे में आजम खान बहुत महत्त्वपूर्ण हो जाते हैं। उनके साथ ही जरूरी हो जाता है उनके पीछे जुड़ा मुस्लिम वोट बैंक। इसलिए सीतापुर जेल में सभी विपक्षी नेता आजम के साथ राजनीति साधने में लगे हैं।

यानी एक तरह मुस्लिम के सबसे बड़े नेता माने जाने वाले आजम हैं तो दूसरी तरफ शिवपाल की यादवों पर अच्छी पकड़ है। ऐसे में सपा के कोर वोट बैंक समझे जाने वाले ‘मुस्लिम-यादव’ फैक्टर को इन दोनों की जोड़ी डैमेज कर सकती है।

खबरें और भी हैं...

अपना शहर चुनें