15 AUGUST Independence Day: क्या आपने देखा स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री का ये रूप

नई दिल्ली. आम तौर पर अपने भाषणों में विपक्षी नेताओं और पार्टियों पर हमले के लिए तुकबंदी और अनुप्रासिक अंदाज में व्यंग्य करने वाले पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) का स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर देशवासियों ने नया रूप देखा. पीएम मोदी ने अपने भाषण के अंत में आज अपने कवित्व-रूप का दीदार कराया. स्वतंत्रता दिवस संबोधन के आखिर में पीएम ने कविता की शैली में सरकार की आगामी योजनाओं की झलक पेश की. अपनी सरकार की तरफ से भविष्य का रोडमैप पेश किया.

हालांकि पीएम योजनाओं का विवरण दे रहे थे, लेकिन यह अंदाज भी कवितामय ही था. भाषण के अंत में पीएम मोदी ने एक कविता भी सुनाई. यह पहली बार था कि पीएम ने कविता सुनाकर अपना भाषण समाप्त किया. पीएम मोदी के इस कवि-रूप की बानगी आप भी देखिए.

पहली कविता- प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी की इच्छा

मैं बेसब्र हूं, क्योंकि हमसे कई देश आगे हैं, मेरे देश को उनसे आगे जाना है.
मैं बेचैन हूं, हमारे बच्चों के विकास में बाधा बने कुपोषण से देश को मुक्त कराने के लिए.
मैं व्याकुल हूं, देश के हर गरीब तक समुचित हेल्थ कवर पहुंचाने के लिए, ताकि वो बीमारी से लड़ सके.
मैं व्यग्र हूं, अपने नागरिकों की Quality of Life को सुधारने के लिए.
मैं अधीर हूं, क्योंकि हमें ज्ञान-आधारित चौथी औद्योगिक क्रांति की अगुवाई करनी है.
मैं आतुर हूं, क्योंकि मैं चाहता हूं कि देश अपनी क्षमताओं और संसाधनों का पूरा लाभ उठाए.

PM-Poet

दूसरी कविता – पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार के आगामी लक्ष्य
हर भारतीय के घर में शौचालय हो- Sanitation for All
हर भारतीय अपने मनचाहे क्षेत्र में कुशलता हासिल कर सके- Skill for All
हर भारतीय को अच्छी औऱ सस्ती स्वास्थ्य सेवा सुलभ हो- Health for All
हर भारतीय को बीमा का सुरक्षा कवच मिले- Insurance for All
हर भारतीय के पास अपना घर हो- Housing for All
हर भारतीय के घर में बिजली कनेक्शन हो- Power for All
हर भारतीय की रसोई धुआं मुक्त हो- Clean Cooking for All
हर भारतीय के घर में जरूरत के मुताबिक जल पहुंचे- Water for All
हर भारतीय इंटरनेट की दुनिया से जुड़ सके- Connectivity for All

तीसरी कविता- देश के लिए पीएम का प्रण
अपने मन में एक लक्ष्य लिए
मंज़िल अपनी प्रत्यक्ष लिए
हम तोड़ रहे हैं जंजीरें
हम बदल रहे हैं तस्वीरें
ये नवयुग है, नव भारत है
खुद लिखेंगे अपनी तकदीरें,

हम निकल पड़े हैं प्रण करके
अपना तन-मन अर्पण करके
जिद है एक सूर्य उगाना है
अम्बर से ऊंचा जाना है
एक भारत नया बनाना है
एक भारत नया बनाना है.

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