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Seema Pal
- फंडिंग के सवाल पर बोले डोनाल्ड ट्रंप का रूखा बयान
- ट्रंप ने कहा- ‘भारत के पास पैसा बहुत, 21 मिलियन डॉलर क्यों दें’
- भारत से अमेरिका की बढ़ रही व्यापारिक दूरी
वॉशिंगटन : एलन मस्क के नेतृत्व में सरकारी दक्षता विभाग (DOGE) ने USAID द्वारा भारत को दी जाने वाली सहायता में कटौती की है। खासकर, भारत को अमेरिका द्वारा 21 मिलियन डॉलर की फंडिंग करने से डोनाल्ड ट्रंप ने साफ इनकार कर दिया है। कुछ दिन पहले ही DOGE ने घोषणा की थी कि USAID भारत समेत दुनियाभर के कई देशों को अमेरिका द्वारा मिलने वाली आर्थिक सहायता पर रोक लगा रहा है। इसके बाद ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमिरेका यात्रा की थी। हालांकि पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा का भी डोनाल्ड ट्रंप पर कोई असर नहीं पड़ा।
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भारत को फंडिंग पर डोनाल्ड ट्रंप का तीखा रवैया
USAID, जो अमेरिकी सरकार की एक शाखा है, विकासशील देशों में विभिन्न योजनाओं के लिए फंडिंग प्रदान करती है। भारत को जो 21 मिलियन डॉलर की फंडिंग मिलती थी, वह मुख्य रूप से चुनावों में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए थी। इस फंडिंग के बारे में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आलोचना की थी। उनका कहना था कि भारत एक समृद्ध देश है और इसे अमेरिका से फंडिंग की जरूरत नहीं है। ट्रंप ने यह भी कहा कि भारत में उच्च कर दरें हैं और अमेरिकी कंपनियों के लिए वहां व्यापार करना मुश्किल है। इसके बावजूद, वह भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सम्मान करते हैं, जो हाल ही में अमेरिका यात्रा पर गए थे।
पीएम मोदी के आर्थिक सलाहकार ने कहा- सबसे बड़ा घोटाला
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आर्थिक सलाहकार संजीव सान्याल ने USAID द्वारा भारत को दी जाने वाली फंडिंग पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने इसे “मानव इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला” करार दिया। सान्याल के अनुसार, फंडिंग का उपयोग किसे हुआ और इसके परिणाम क्या थे, यह स्पष्ट नहीं है। उन्होंने खासकर उस 21 मिलियन डॉलर पर सवाल उठाया, जो भारत में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए खर्च किए गए थे। इसके अलावा, उन्होंने यह भी बताया कि बांग्लादेश और नेपाल में भी USAID ने बड़े पैमाने पर फंडिंग की थी, जिसका उपयोग राजनीतिक माहौल मजबूत करने के लिए किया गया था।
अमेरिकी फंड पर राजनीति में छिड़ी जंग
इस फंडिंग को लेकर राजनीति में भी बहस छिड़ गई है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने सवाल उठाया कि जब भारत एक स्वतंत्र और मजबूत लोकतंत्र है, तो उसे विदेशी फंडिंग की आवश्यकता क्यों है? भाजपा ने इसे भारतीय चुनावों में विदेशी दखलअंदाजी करार दिया। पार्टी ने यह भी सवाल किया कि इस फंडिंग से किसे लाभ हुआ, क्योंकि यह संभवतः सत्तारूढ़ दल को नहीं हुआ होगा।
इसके जवाब में, कांग्रेस पार्टी ने भाजपा पर पलटवार किया और यह सवाल उठाया कि क्या भाजपा यह कहना चाहती है कि 2014 के चुनाव में भारत में भाजपा की सत्ता में आने के लिए इस फंडिंग का कोई भूमिका थी।