नयी दिल्ली। भारत और सऊदी अरब ने आतंकवाद को भावी पीढ़ी के लिए सबसे बड़ा खतरा बताते हुए आज इस बात पर सहमति जतायी कि मानवता विरोधी इस खतरे को बढ़ावा देने वाले देशों पर दबाव बढ़ाने आतंकवाद का ढांचा ध्वस्त करने तथा आतंकियों एवं उनके समर्थकों को सजा दिलाना बहुत जरूरी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और सऊदी अरब के शाहज़ादे मोहम्मद बिन सलमान बिन अब्दुल अजीज अल सऊद के बीच यहां हैदराबाद हाउस में हुई प्रतिनिधिमंडल स्तर की बैठक में सहमति जतायी गयी। दाेनों देशों ने निवेश, पर्यटन, आवास एवं सांस्कृतिक एवं मीडिया आदान प्रदान के पांच करारों पर हस्ताक्षर किये गये।
बैठक के बाद मोदी ने अपने वक्तव्य में कहा कि अपने सामरिक वातावरण के संदर्भ में, हमने आपसी रक्षा सहयोग को मज़बूत करने और उसका विस्तार करने पर भी सफल चर्चा की है। पिछले हफ्ते पुलवामा में हुआ बर्बर आतंकवादी हमला, इस मानवता विरोधी खतरे से दुनिया पर छाए कहर की एक और क्रूर निशानी है। उन्होंने कहा, “इस खतरे से प्रभावशाली ढंग से निपटने के लिए हम इस बात पर सहमत हैं कि आतंकवाद को किसी भी प्रकार का समर्थन दे रहे देशों पर सभी संभव दबाव बढ़ाने की आवश्यकता है। आतंकवाद का ढांचा नष्ट करना, इसको समर्थन समाप्त करना और आतंकवादियों एवं उनके समर्थकों को सजा दिलाना बहुत जरूरी है।”
#WATCH Prime Minister Narendra Modi receives Saudi Arabia Crown Prince Mohammed bin Salman upon his arrival in India. pic.twitter.com/huwzGrPhFG
— ANI (@ANI) February 19, 2019
प्रधानमंत्री ने कहा, “साथ ही अतिवाद के खिलाफ सहयोग और इसके लिए एक मज़बूत कार्ययोजना की भी ज़रूरत है, ताकि हिंसा और आतंक की ताकतें हमारे युवाओं को गुमराह न कर सकें। मुझे खुशी है कि सऊदी अरब और भारत इस बारे में साझा विचार रखते हैं।” शाहजादा सलमान ने अपने वक्तव्य में कहा, “जहां तक आतंकवाद एवं उग्रवाद का सवाल है। ये हम दोनों देशों के लिए समान रूप से चिंता का कारण है।
Delhi: Earlier visuals of delegation level talks between India and Saudi Arabia pic.twitter.com/AwPn1lxdp5
— ANI (@ANI) February 20, 2019
हम अपने मित्र भारत को बताना चाहेंगे कि हम इस दिशा में हर प्रकार से सहयोग करेंगे, चाहे वह खुफिया सूचनाओं का आदान प्रदान हो या अन्य कदम। हमारी अाने वाली पीढ़ी के भविष्य की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हम मिल कर काम करेंगे।” भारत एवं सऊदी अरब के नेताओं के इन बयानों को पाकिस्तान पर बड़े प्रहार के रूप में देखा जा रहा है। इससे पुलवामा हमले के बाद जैश ए मोहम्मद पर कार्रवाई किये जाने को लेकर पाकिस्तान पर दबाव बढ़ने की संभावना है