अहमदाबाद. गुजरात सरकार ने बुधवार को इशरत जहां फर्जी मुठभेड़ मामले में जमानत पर चल रहे मुख्य आरोपी आईपीएस अधिकारी जीएल सिंघल को पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) के पद पर प्रमोशन कर दिया है। इसके अलावा सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ मामले में हाल ही में बॉम्बे हाईकोर्ट से बरी किए गए विपुल अग्रवाल को पुलिस विभाग में संयुक्त आयुक्त (प्रशासन) के पद पर पदोन्नत किया गया है।
सिंघल 2001 बैच के आईपीएस अफसर हैं
गुजरात सराकर ने मंगलवार को कुल छह पुलिस अफसरों को पदोन्नत किया। सीबीआई ने सात आईपीएस अफसरों के खिलाफ इशरत जहां मामले में आरोप पत्र दायर किया था। सिंघल 2001 बैच के आईपीएस अफसर हैं। इशरत जहां एनकाउंटर मामले में उन्हें सीबीआई ने 2013 में गिरफ्तार किया था। सीबीआई की ओर से तय वक्त में आरोप पत्र दाखिल नहीं किए जाने की वजह से उन्हें कोर्ट ने जमानत दे दी थी।
2004 में हुआ था एनकाउंटर
15 जून 2004 को अहमदाबाद में हुए एक पुलिस एनकाउंटर में युवती इशरत जहां, जावेद शेख, अमजद राणा और जीशान जौहर नाम के चार लोगों की मौत हुई थी। पुलिस के साथ-साथ खुफिया एजेंसियों ने भी दावा किया कि ये चारों लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी थे और उनकी योजना गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या करना था।
सोहराबुद्दीन मुठभेड़
सीबीआई के मुताबिक, गुजरात के आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) ने सोहराबुद्दीन शेख और उसकी पत्नी कौसर बी को उस वक्त अगवा कर लिया था जब वे हैदराबाद से महाराष्ट्र के सांगली जा रहे थे। यह दावा किया गया कि उसके पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के साथ संबंध थे। इसके बाद शेख के साथी तुलसीराम प्रजापति का भी एनकाउंटर हुआ था। अमित शाह तब गुजरात के गृह राज्यमंत्री थे। उन पर दोनों घटनाओं में शामिल होने का आरोप था। हाल ही में मुंबई की स्पेशल कोर्ट ने इस केस के सभी 22 आरोपियों को बरी कर दिया।