ईश्वर की कसम… एसएसपी के दबाव में लगाई गलत चार्जशीट, सुने बातचीत का ये ऑडियो

हेमन्त पाण्डेय

लखनऊ। बाजपेई जी सुनिये मैं भगवान को मानने वाला इंसान हूं। गलत नहीं बोलता हूं कतई। मेरा मंगल का व्रत है मैं ईश्वर की कसम खाकर कह सकता हूं। वो एसओ अगर कप्तान साहब से बात नहीं करता …. अजय राय … मैं किसी कीमत पर नहीं लगाता चार्जशीट आप क्या बात कर रहे हो। मेरी तो उससे बहुत कहासुनी हुई थी आप पूछ कर देखना। वो कह रहा था बार बार आप क्यों नहीं चार्जशीट लगा रहे हो।’

मैने कहा मैं तफ्तीश कर रहा हूं। जब कुछ मिलेगा तभी तो चार्जशीट लगाउंगा चार्जशीट लगाने लायक कोई एविडेंस तक तो मिल नहीं रहा है। कप्तान साहब का फोन उसके लिये आया था। उसने फिर कप्तान साहब से बात करा दी। येही वाले कलानिधि जी… उनसे बात हुई तो कहा अभी लगाईये तुरंत लगाइये। क्या करते हमारे साथ मजबूरी आ गई। पुलिस वालों ने बड़ा षड्यंत्र रच डालानिगोहा थानाक्षेत्र में स्थित डेरी फॉर्म की जमीन को कब्जा मुक्त करवाने के लिये पुलिस वालों ने बड़ा षड्यंत्र रच डाला। पीडि़त पत्रकार के खिलाफ धोखाधड़ी की रिपोर्ट दर्ज करवाई गइ्र्र और फिर जमीन खाली करवाने के लिये डराते धमकाते रहे।

फिर भी बात नहीं बनी तो एसएसपी कलानिधि नैथानी के दबाव में आनन फानन में फर्जी चार्जशीट लगा दी गई। एसएसपी का दबाव है हम कुछ नहीं कर सकतेवहीं पीडि़त पत्रकार अपने साथ हुई धोखाधड़ी के मामले में आरोपियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवाने के लिये चक्कर काटता रहा लेकिन उसकी कहीं सुनवाई नहीं हुई और हर जगह से फटकार कर भगा दिया जाता रहा। पीडि़त पत्रकार ने बार बार पुलिस से निष्पक्ष जांच की मांग की लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई । हर जगह से एक ही जवाब मिला एसएसपी कलानिधि नैथानी का दबाव है, हम कुछ नहीं कर सकते।

विवेचक प्रमोद शर्मा की ऑडियो रिकॉर्डिंग से साफ जाहिर है किस तरह से पुलिस वालों ने इस मामले में रातों रात फर्जी एविडेंस क्रियेट करके गलत चार्जशीट लगाकर कोर्ट भेज दी। इस मामले में प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार ने भी जांच का आश्वासन दिया लेकिन इस मामले में प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार ने भी जांच का आश्वासन दिया लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। यह है मामलाडेरी प्रोजेक्ट के नाम पर धोखाधड़ीजयद कुमार बाजपेई ने 26-12-2016 को सबरजिस्ट्रार मोहनलालगंज तहसील लखनऊ के यहां रजिस्टर्ड के तहत जमीन सहित डेरी फार्म को नौ वर्षों तक के लिये लीज पर लिया।

देना बैंक के कर्मचारी व अधिकारी के जरिये वर्ष 2017 के मार्च माह में डेरी पर पहले से ऋण होने की बात कही। इस ऋण में सीआरपीएफ के अधिकारी सुरेश चंद्र त्रिपाठी की पत्नी सुमन त्रिपाठी भी गारंटर हैं। इसका विरोध करते हुये जयद ने धोखाधड़ी की बात कही तो आरोपी जमीन खाली करने का दबाव बनाने लगे। किरायेदारी अनुबंध होने के बाद भी विपक्षीगण लगातार मानसिक और शारीरिक रूप से परेशान कर रहे।

कई बार मारपीट भी हुई और मामला थाने तक पहुंचा लेकिन हर बार पुलिस ने सतीश उपाध्याय की तरफदारी की। जमीन में सीआपीएफ के अधिकारी सुरेश चंद्र त्रिपाठी की हिस्सेदारी होने की वजह से पुलिस वालों ने ये खेल किया। इस मामले में पीडि़त पत्रकार के बयान तक नहीं लिये पत्रकार जयद बाजपेई के मुताबिक इस मामले में पुलिस ने उसके बयान तक नहीं दर्ज किये। अपनी बेगुनाही का सुबूत देने के लिये जयद बाजपेई पुलिस अधिकारियों के चक्कर काटते रहे और अपने साथ हुई धोखाधड़ी की रिपोर्ट दर्ज करने की गुहार लगाते रहे। फिर भी पुलिस ने जयद के खिलाफ फर्जी चार्जशीट तैयार कर अपराधी बना दिया। आरोप पत्र लगा कर न्यायालय भेज दिया गया है।

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