सेहत के लिए फायदेमंद हैं इंसान के आंसू, ना हो यकीन तो पढ़ ले ये खबर….

तो आंसू बहने लगते हैं। जिस तरह से आईना हमारे बाहरी व्‍यक्‍तित्‍व को दर्शाता है वैसे ही आंसू भी हमारे अंदर छिपे दर्द को बयां करते हैं।

वैसे तो जानवरों को भी तकलीफ होती है और दर्द होने पर वो भी रोते हैं लेकिन उनके आंसुओं को इतना महत्‍व नहीं दिया जाता है। इंसानों की बात करें तो वो ही शायद इस धरती पर एकमात्र ऐसा प्राणी है जिसके आंसुओं और तकलीफ को महत्‍व दिया जाता है।

अगर कभी आपने देखा हो तो मनुष्‍य के आंसू नमकीन होते हैं। क्‍या आपने कभी सोचा है कि आंखों से निकलने वाले आंसुओं में नमक कहां से आता है या ये नमकीन क्‍यों होते हैं ?

दोस्‍तों आज हम इस पोस्‍ट के ज़रिए इंसान के आंसू में क्या होता है ।

इंसान के आंसू

इंसान के आंसू में क्‍या होता है

वैज्ञानिकों की मानें तो इंसानों के आंसू में सोडियम क्‍लोराइड होता है। इसके अलावा आंसू में लाइसोजयम पाया जाता है। आंसू की प्रत्‍येक बूंद लिपिट और अन्‍यफैट की बाहरी लेयर या इनरलेयरम्‍यूकस से बनी होती है। दोनों लेयर एक सैंडविच की तरह एक पानी की लेयर बनाते हैं।

क्‍यों निकलते हैं आंसू

ओहियोस्‍टेट यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों का कहना है कि उन्‍होंने पहली बार आंसू में पाई जाने वाले कुछ नई लेयर के बारे में पता लगाया है। इन लेयर्स को फैटीएसिड के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा वैज्ञानिकों को आंसू में ओलेमाइ भी मिला जोकिब्रेन और केंद्रीय तंत्रिता मंत्र में पहले देखा गया था।

ओलेमाइड को हमारे स्‍लीपप्रोसेस से जुड़ा हुआ माना जाता है। अगर आंखों में जरूरत से ज्‍यादाओलेमाइड बन गया तो लिपिड परत नमी को लॉक करने की अपनी क्षमता खो सकती है। इसकी वजह से त्‍वचा संबंधित कई विकार हो सकते हैं।

सेहत के लिए फायदेमंद हैं इंसान के आंसू

आंसू आने से आंखों में नमी बनी रहती है और आंखों में सूखापन नहीं होता है। आंसू से आंखे साफ और कीटाणुरहित होती हैं। आंसू आंख की अश्रु नलिकाओं से निकलने वाला तरल पदार्थ है जो पानी और नमक के मिश्रण से बना होता है।

दोस्‍तों, आंसुओं के मामले में इसान दूसरे जीवों जैसे कि जानवरों से बहुत अलग है और अपने नज़दीकीरिश्‍तेदारचिंपाजी से भी। अगर हमारे चेहरे से आंसुओं को हटा दिया जाए तो चेहरे पर दुख के भाव काफी कम हो जाते हैं। वहीं दूसरी ओर आंसुओं के साथ व्‍यक्‍तिज्‍यादा दुखी लगता है।

इंसान के आंसू

इसका मतलब साफ है कि आंसुओं के साथ हम अपने दुख को आसानी से व्‍यक्‍त कर सकते हैं और ये हमारे सच में दुखी होने का सबूत भी हैं। हालांकि, वैज्ञानिकों की मानें तो अकेले में तकिए के नीचे सिर छिपाकर रोने से कोई फायदा नहीं मिलता है।

इंसान के आंसू –

तो दोस्‍तों, अगर आप सेहतमंद रहना चाहते हैं और अपनी आंखों को कीटाणुओं से बचाकर रखना चाहते हैं तो जान लीजिए कि थोड़ा-बहुत रोना तो चल जाएगा। इसमें कोई दिक्‍कत नहीं है। इससे आप ना केवल अपना दुख दिखा पाते हैं बल्कि आंखों को भी स्‍वस्‍थ रख सकते हैं।

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