श्रीनगर : जम्मू और कश्मीर में सियासी हलचल बढ़ गयी है. इस बीच राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा को भंग कर दिया है। पीडीपी चीफ महबूबा मुफ्ती द्वारा चिट्ठी लिखने के कुछ देर बाद ही गवर्नर सत्यपाल मलिक ने विधानसभा भंग करने का शासनादेश जारी कर दिया। आपको बता दें कि बुधवार शाम में ही पीपल्स डेमोक्रैटिक पार्टी की चीफ महबूबा मुफ्ती ने राज्यपाल को पत्र लिखकर सरकार बनाने का दावा पेश करने की बात कही थी।
JKNC has been pressing for assembly dissolution for 5 months now. It can’t be a coincidence that within minutes of Mehbooba Mufti Sahiba letter staking claim the order to dissolve the assembly suddenly appears.
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) November 21, 2018
उन्होंने कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के समर्थन से सरकार बनाने का दावा पेश किया। वहीं पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष सज्जाद लोन ने भी गर्वनर को पत्र लिखकर सरकार बनाने का दावा किया था। उन्होंने दावा किया कि उनके पास बीजेपी और 18 अन्य विधायकों का समर्थन है।
उन्होंने पत्र शेयर करते हुए ट्वीट किया था कि इसे राजभवन भेजने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा था कि जल्द ही आपसे (गवर्नर) मुलाकात होगी। गवर्नर को भेजे पत्र में महबूबा ने लिखा है, ‘जैसा कि आपको पता है पीपल्स डेमोक्रैटिक पार्टी राज्य की विधानसभा में 29 सदस्यों के साथ सबसे बड़ी पार्टी है। आपको मीडिया रिपोर्टों से पता चल गया होगा कि कांग्रेस और नैशनल कॉन्फ्रैंस ने राज्य में सरकार बनाने के लिए हमारी पार्टी को समर्थन देने का फैसला किया है।’
महबूबा ने आगे लिखा, ‘नैशनल कॉन्फ्रैंस के पास 15 और कांग्रेस के पास 12 सदस्य हैं और ऐसे में कुल संख्या 56 हो जाती है। चूंकि मैं श्रीनगर में हूं, तत्काल आपसे मुलाकात करना संभव नहीं है और इसलिए यह आपको सूचना देने के लिए है कि हम आपकी सुविधानुसार जल्द ही राज्य में सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए मिलना चाहते हैं।’
19 जून से राज्य में राष्ट्रपति शासन
आपको बता दें कि राज्य में विधानसभा निलंबित चल रही है और 19 जून से यहां राज्यपाल शासन लगा हुआ है। बुधवार को कई बैठकें हुईं। एक सूत्र ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर बताया, ‘इसका मकसद राज्य में नई सरकार के गठन का रास्ता साफ करना है जिससे एक निर्वाचित सरकार आ सके और राज्यपाल शासन की वजह से पैदा हुई राजनीतिक अस्थिरता को खत्म किया जा सके।’
बनेगा नया सियासी समीकरण
परंपरागत रूप से परस्पर विरोधी पीडीपी और एनसी का साथ आना राज्य में राजनीति को नया आकार दे सकता है। NC ने 2014 में विधानसभा चुनावों के बाद पीडीपी को समर्थन देने की बात कही थी लेकिन पीडीपी ने इस प्रस्ताव को ठुकरा कर भाजपा से गठजोड़ कर लिया था। माना जाता है कि 19 जून को सरकार गिरने के बाद पीपल्स कांफ्रेंस के नेता सज्जाद लोन ने बीजेपी और नाराज पीडीपी विधायकों के साथ मिलकर गठजोड़ बनाने की कोशिश की थी। पीपल्स कांफ्रेंस के यहां दो विधायक है।