
कानपुर। उपाध्यक्ष केेडीए अरविन्द सिंह द्वारा प्राधिकरण की पूर्ववर्ती संस्थाओं द्वारा सशर्त आवंटित भूमि के सम्बन्ध में पूर्व में की गयी लीज़डीड की शर्तों का परीक्षण करने के सम्बन्धित अधिकारियों को निर्देशित किया गया। परीक्षणोपरान्त आवंटी द्वारा डीड की बड़ी या अधिकतर शर्तों का उल्लंघन किया गया हो तो उसे डीड में दिये गये प्राविधानों के अनुसार प्राधिकरण के कब्जें में पुनः लिये जाने के विधिक प्रक्रिया के तहत कार्यवाही के निर्देश दिये गये है।
उपाध्यक्ष के निर्देश के क्रम में 21 मई को भूखण्ड संख्या 86, ब्लाक-बी, स्कीम-7 (क्षेत्रफल 2994.5 वर्गमी.) गुटैया (भवन संख्या 7/196, स्वरूप नगर) एवं प्लाट संख्या 4 (2.89 एकड़) हरिहर नाथ शास्त्री नगर में पूर्ववर्ती संस्था द्वारा आवंटित लगभग 290 करोड़ की भूमि प्राधिकरण की पूर्ववर्ती संस्था इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट द्वारा की गयी डीड की शर्तों का उल्लंघन करने पर पुनर्प्रवेश के आदेश प्रदान करते हुये भूखण्ड का कब्जा वापस प्राप्त किया गया था।
इसी कड़ी में, उपाध्यक्ष के निर्देशन में भूखण्ड संख्या 196 ई-ब्लाक किदवई नगर में क्षेत्रफल 6.56 एकड़ ( 26547 वर्गमी ) भूमि का भी कानपुर डेवलपमेण्ट बोर्ड द्वारा 9 सितंबर 1957 को की गयी लीज़डीड की शर्तों का उल्लंघन करने के कारण व मा. सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिये गये आदेश के अनुपालन में पूर्व में पारित आदेशों के क्रम में प्राधिकरण की टीम द्वारा बुधवार को भूखण्ड का नियमतः भौतिक कब्जा वापस प्राप्त करते हुये भूमि के चारो ओर बाउण्ड्रीवाल बनाते हुये प्राधिकरण का बोर्ड लगा दिये गया।
कानपुर डेवलपमेण्ट बोर्ड ने उक्त डीड महेश भट्ट विद्यालय सोसायटी द्वारा मैनेजर राम गोपाल शर्मा के पक्ष में विद्यालय तथा प्ले ग्राउण्ड हेतु निष्पादित की गयी थी। लीज़ डीड की शर्ताें के अनुसार संस्था को मानचित्र स्वीकृत कराकर एक वर्ष के अन्दर विद्यालय तथा प्ले ग्राउण्ड का निर्माण कराया जाना था, अनुपालन नहीं किया गया।
सोसायटी द्वारा वर्ष 1963 में प्रश्नगत भूखण्ड आयुर्वेदिक विद्यालय को हस्तान्तरित कर दिया। विद्यालय के निर्माण तथा संचालन हेतु विद्यालय के कार्यदायी संस्था को वर्ष 1963 से विद्यालय का निर्माण करवाने तथा विद्यालय का विधिवत संचालन करने का पर्याप्त समय था इस अवधि में कार्यदायी संस्था के सामने कोई भी विधिक अथवा अन्य कोई बाधा नहीं थी। विद्यालय के निर्माण हेतु प्राधिकरण द्वारा तीन बार मानचित्र स्वीकृत कर पर्याप्त अवसर दिये गये परन्तु संस्था द्वारा न तो स्वीकृत मानचित्र के अनुसार विद्यालय का पूर्ण निर्माण कराया गया और न ही नियमानुसार विद्यालय का संचालन किया गया। भूखण्ड जिसका क्षेत्रफल 6.56 एकड़ है। जनहित में विद्यालय के निर्माण एवं संचालन हेतु संस्था को आवंटित की गयी थी ऐसी दशा में इतने लम्बे अन्तराल में विद्यालय का निर्माण तथा संचालन न कर पाने के कारण संस्था का पट्टा अधिकार समाप्त करना विधि सम्मत् पाया गया एवं उक्त भूखण्ड के सम्बन्ध में पूर्ववर्ती संस्था द्वारा निष्पादित लीज़डीड की शर्तों का उल्लंघन करने के कारण आवंटन निरस्त करते हुये भूखण्डों को पुनः कानपुर विकास प्राधिकरण द्वारा वापस प्राप्त किये जाने के आदेश नियमों के तहत पूर्व में ही पारित कर दिए गये थे।जिसका वर्तमान बाज़ार मूल्य 400 करोड़ आंकलित है।
प्राधिकरण द्वारा अपनी नई रणनीति के तहत कब्जा खाली होते ही भूखण्ड का टीएस सर्वे प्रारम्भ कराते हुये बाउण्ड्रीवाल का निर्माण भी तत्काल प्रारम्भ करा दिया गया है। उपाध्यक्ष अरविन्द सिंह के निर्देशन में अबतक 10 माह में प्राधिकरण द्वारा शहर के विभिन्न क्षेत्रों में स्थित प्राधिकरण स्वामित्व की 1000 करोड़ अनुमानित मूल्य की भूमि अवैध कब्जे/अतिक्रमण से मुक्त कराते हुये प्राधिकरण के कब्जे में लिया गया।