जमीन सरकने के खौफ से मौलानाओं को ऐतराज

हाइलाइट्स

  • मुस्लिम इलाकों में मंदिरों की भूमि खुर्द-बुर्द करने का हुआ खेल
  • पंचसाला रिकार्ड में हेराफेरी के जरिए पहलवानों ने चढ़वाए नाम
  • 125 मंदिरों में किया गया कब्जा, अब तक 20 हुए कब्जामुक्त
  • वर्ष 1992 के दंगों के बाद अधिकांश देवस्थलों पर अतिक्रमण

भास्कर ब्यूरो

कानपुर : चोरी फिर सीनाजोरी… यह कहावत शहर के चुनिंदा मौलानाओं पर सटीक साबित होती है, जिन्होंने मुस्लिम मोहल्लों में मंदिरों को कब्जामुक्त करने के अभियान को बेजा बताते हुए प्रशासनिक दखलंदाजी की चाहत जताई है। जवाब में फायरब्रांड महापौर ने कदम पीछे नहीं खींचने का फरमान सुना दिया है। देवस्थलों से अवैध कब्जा हटाने पर ऐतराज की वजह खोजने पर मालूम हुआ कि ‘जमीन’ सरकने के खौफ के कारण मौलानाओं में नाराजगी है। जमीन यानी मुस्लिम इलाकों में रसूख-पकड़ के साथ-साथ अरबों की भूमि। निजी संस्था के सर्वे में साबित हुआ है कि, विभिन्न मंदिरों और हिंदू ट्रस्टों की 30 हजार गज से ज्यादा जमीन को नगर निगम के रिकार्ड में हेराफेरी के जरिए खुर्द-बुर्द किया गया है। फिलवक्त भी करोड़ों की जमीन की खरीद-फरोख्त का नापाक अभियान जारी है। ऐसे में लापता मंदिरों की खोज जारी रही तो बेशकीमती जमीन हाथ से सरकने के साथ-साथ मुस्लिम बिरादरी पर पक़ड भी कमजोर होगी।

125 गुमशुदा मंदिरों में 20 हुए कब्जामुक्त

महापौर प्रमिला पाण्डेय ने अपने पहले कार्यकाल में मुस्लिम इलाकों में लापता मंदिरों के जीर्णोद्धार का वादा किया था। नगर निगम के रिकार्ड के मुताबिक, विभिन्न मुस्लिम इलाकों में 125 मंदिर स्थापित हैं, लेकिन मौके पर मंदिरों का अस्तित्व नदारद है। संभल की घटना के बाद ‘शहर की अम्मा’ प्रमिला पाण्डेय लाव-लश्कर लेकर मंदिरों को कब्जामुक्त कराने निकलीं तो एक पखवारे में 20 मंदिरों को मोक्ष मिल गया। लुधौरा इलाके में मंदिर खोजने के बाद खुलास हुआ कि मूर्तियों को खंडित कर दिया गया था। किसी मंदिर के परिसर में बिरयानी बनती मिली तो किसी देवस्थल में चमड़े का कारोबार मिला था। तमाम मंदिरों से करोड़ों की कीमत वाली अष्टधातु की मूर्तियां भी गायब मिली हैं। फिलहाल, फोर्स की व्यस्तता तथा सर्दी के सितम के चलते अभियान की रफ्तार मंद हुई तो चुनिंदा मौलानाओं ने मंदिरों की रिहाई को फिजूल बताते हुए शहर के अमन-चैन को खतरे में करार दिया।

ऐतराज दाखिल होते ही मिला करारा जवाब

उलमा अहले सुन्नत मशावर्ती बोर्ड के फैसले के तहत पुलिस कमिश्नर के नाम ज्ञापन में दावा किया गया है कि, बंद मंदिरों में हिंदू आबादी नहीं है, ऐसे में दूसरे एरिया से मूर्ति की पूजा करने के लिए लोग आएंगे, तो मुमकिन है कि, कोई पत्थर फेंककर शहर का माहौल बिगड़ सकता है। ज्ञापन में लिखा गया कि 1991 एक्ट में साफ लिखा गया है कि, पहले की यथास्थिति को कायम रखा जाए। बाबरी मस्जिद फैसले में यथास्थिति को कायम रखने की बात लिखी गई है। मौलानाओं के ऐतराज के तुरंत बाद महापौर प्रमिला पाण्डेय ने करारा जवाब देते हुए कहा है कि, अभियान जारी रहेगा। मंडलायुक्त और पुलिस कमिश्नर को पत्र भेजने के साथ ही महापौर ने मौलानाओं को चैलेंज दिया कि, अब कानूनी कार्रवाई होगी और मंदिरों में कब्जा करने वालों को जेल भिजवाया जाएगा। जिन्होंने कब्जा किया है, उनको जेल भिजवाऊंगी। उन्होंने कहाकि, मंदिर तो प्रत्येक कीमत पर खोजे जाएंगे, जिसे जो करना हो वो करने को आजाद है।

मंदिरों की जमीन पर मुस्लिमों के नाम दाखिल

मठ-मंदिर रक्षा समिति के प्रदेश अध्यक्ष अजय द्विवेदी के मुताबिक, शहर में  तकरीबन 350 मंदिरों में 125 लापता अथवा जीर्णशीर्ण हैं। अधिकांश मंदिरों में मुस्लिम बिरादरी का कब्जा है। उन्होंने समिति के सर्वे के जरिए बताया कि, 14 बीघा से ज्यादा जमीन को खुर्द-बुर्द किया गया है अथवा करने की तैयारी है। पड़ताल में मालूम हुआ है कि, नगर निगम के पंचसाला रिकार्ड में हेराफेरी के जरिए मंदिर मालिक के नाम दर्ज जमीनों में मुस्लिमों के नाम चढ़वाने के बाद बेचने का सिलसिला जारी हुआ, जोकि बदस्तूर जारी है। उदाहरण के तौर पर नई सड़क में 95/21 चक नंबर में 950 गज जमीन में चित्रगुप्त मंदिर का उल्लेख है। मंदिर की जमीन ट्रस्ट के नाम थी, लेकिन बाद में हेराफेरी के जरिए मुस्लिम परिवार का नाम चढ़ गया। इस जमीन पर विकास प्राधिकरण के अफसरों की मेहरबानी से अपार्टमेंट बन चुका है।

करोड़ों की जमीन हाथ से निकलने का डर

अजय द्विवेदी के मुताबिक, इसी प्रकार राधामाधव मंदिर, परमपुरवा के जालपादेवी मंदिर की पांच हजार गज जमीन, रामजानकी मंदिर ट्रस्ट की दस हजार गज जमीन के साथ-साथ दलेलपुरवा में मंदिर की छह हजार जमीन को खुर्द-बुर्द करने के साक्ष्य मौजूद हैं। पड़ताल में सामने आया है कि, महापौर के अभियान में मंदिर कब्जामुक्त होंगे तो मंदिर परिसर की जमीन भी खाली कराई जाएगी। मुस्लिम बिरादरी के हाथ से जमीन निकलने के कारण मौलानाओं पर विरोध करने का दबाव है। महापौर के विरोध में आवाज नहीं उठाने पर आवाम में अलग-थलग पड़ने का खौफ है। इसी कारण उलमा अहले सुन्नत मशावर्ती बोर्ड ने अमन-चैन को खतरा बताते हुए अभियान पर अंकुश की गुजारिश दर्ज कराई है। सूत्रों के मुताबिक, मंदिरों की कुछ जमीनों पर चुनिंदा मौलानाओं तथा उनके शार्गिदों का कब्जा कायम है, यह जमीन भी हाथ से निकल सकती है। अधिकांश जमीनों की खरीद-फरोख्त हो चुकी है, ऐसे में हाथ से जमीन निकलने पर हर्जाना अदा करना होगा, इस कारण भी विरोध के सुर बुलंद हुए हैं।

खबरें और भी हैं...

अपना शहर चुनें