कानपुर: नौबस्ता थाना पुलिस और खनन अधिकारी का सामने आया गठजोड़

कानपुर जिले में अधिकारी खनन से जुड़े माफियाओं के हमदर्द बने बैठे हैं या सीधे तौर पर ऐसे अधिकारियों के लिए गुलाम शब्द का प्रयोग करे तो भी शायद गलत नहीं होगा। जरा इन तस्वीरों को देखिए कि खनन माफ़िया कैसे पुलिस के हाथ से संदिग्ध ट्रकों की चाभी छीनता है और पुलिस की मौजूदगी में जबरन ट्रकों को आनन–फानन में भगा देता है। इस दौरान मौके पर उपस्थित दो सब इंस्पेक्टर और सिपाही तमाशबीन बने रहते हैं।

मोहित बाजपेई का मोहित परिवहन नाम से ट्रांसपोर्ट है और अवैध खनन के काले कारोबार में लिप्त है। मौरंग के ओवर लोड ट्रको को कानपुर सहित अन्य शहरों में भेजने का है लेकिन मोहित बाजपेई खनिज परिवहन की आड़ में अपने संदिग्ध ट्रकों का इस्तेमाल अवैध मादक पदार्थों की तस्करी के लिए करता है जो की बेहद गंभीर आरोप है। मोहित बाजपेई की दबंगई और राजनैतिक रसूख देखिए यह खनन माफिया अपने ट्रको के नंबर प्लेट पर कालिख पोतकर चलवाता है, एक नहीं दो नहीं तीन भी नहीं बल्कि चार – चार ट्रक, मौके पर एक ही स्थान पर मौजूद हैं और इन सभी ट्रको के नंबर कालिख पोतकर छिपाए गए हैं।

पुलिस संदिग्ध ट्रको की पड़ताल करने पहुंचती है और ट्रक में मौजूद स्टॉफ से ट्रक की चाभियां ले लेती है। मौके पर मौजूद पुलिस कर्मी खनन आधिकारी सहित RTO अधिकारी का इंतजार कर रहे होते हैं लेकिन इसी बीच खनन माफिया मौके पर एक दर्जन से अधिक गुर्गों के साथ आ धमकता है और मौके पर उपस्थित नौबस्ता थाना पुलिस के तीन पुलिस कर्मियों से चाभी छीनकर अपने गुर्गों को दे देता है और बिना किसी जांच पड़ताल के ही चारो संदिग्ध ट्रकों को पुलिस की मौजूदगी में फरार करा देता है। इस दौरान खनन माफिया के डर से मौके पर उपस्थित सब इंस्पेक्टर और सिपाही बाइक लेकर भागते नजर आए। आपको बताते चले कि पुलिस की अभिरक्षा से ट्रक फरार हो जाने के बाद कानपुर नगर के खनन अधिकारी मौके पर पहुंचते हैं और बिना कोई कारवाई फिर चुपचाप वापस लौट जाते हैं।

कैमरे में कैद तस्वीरों से साफ़ पता चल रहा हैं कि खनन माफ़िया के आगे नौबस्ता थाना प्रभारी संजय पांडेय, कानपुर के खनन अधिकारी और संबंधित RTO अधिकारी पूरी तरह से घुटने टेक चुके हैं क्योंकि चारो संदिग्ध ट्रक शहर के अंदर कैसे पहुंचे और कैसे पुलिस की मौजूदगी के दौरान बिना किसी जांच पड़ताल के फरार करा दिए गए ? अब तक पूरे मामले में किसी भी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की गई है जबकि मामला बेहद गंभीर है।

सबसे अहम बात यह है कि नौबस्ता थाना प्रभारी संजय पाण्डेय की भूमिका संदिग्ध है क्योंकि इस पूरे घटनाक्रम की कवरेज कर रहे पत्रकारों के साथ खनन माफिया उसके गुर्गे मारपीट, गाली-गलौज करते हैं, मोबाइल तोड़ देते हैं वो भी पुलिस की मौजूदगी में। जब थाने में जाकर उसी दिन तहरीर दी जाती है तो उस पर मुकदमा दर्ज नहीं होता है। रात में उन्हीं पत्रकारों में से एक के पास धमकी भरी व्हाट्सएप कॉल आती है।

जिस पर अगले दिन उस पत्रकार के प्रार्थना पत्र पर पुलिस के आला अफसरों के कहने पर थाना प्रभारी मुकदमा दर्ज करते हैं लेकिन साथ ही उसके 24 घंटे बाद खनन माफिया की ओर से मुकदमा लिखाने वाले पत्रकारों के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लेते हैं। जिसको लेकर नाराज पत्रकारों का प्रतिनिधिमंडल पुलिस कमिश्नर बीपी जोगदंड से बुधवार को मिलता है उनको सारे घटनाक्रम से अवगत कराते हुए सबूत दिखाए जाते हैं जिस पर कमिश्नर ने थाना प्रभारी को फोन पर फटकार लगाते हुए उनकी कार्यशैली पर नाराजगी व्यक्त करते हुए पत्रकारों के खिलाफ दर्ज़ मुकदमे को खत्म करने के मौखिक आदेश दे दिए।

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