कानपुर : पोलियो से बचाव के लिए ओपीवी व आईपीवी बेहद सुरक्षित

कानपुर | जन्म से लेकर पांच वर्ष तक के बच्चों को पोलियो (लकवा) से बचाव के लिए ओरल पोलियो वायरस वैक्सीन (ओपीवी) व फ्रेक्शनल इनएक्टिव पोलियो वायरस वैक्सीन (एफआईपीवी) बेहद सुरक्षित और प्रभावी है। इसलिए बच्चों का पोलियो से बचाव बेहद जरूरी है। यह कहना है मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ आलोक रंजन का है।

उन्होंने यह बातें रविवार को जिला महिला अस्पताल, डफरिन में पोलियो उन्मूलन अभियान के शुभारम्भ के दौरान कहीं। इस दौरान सीएमओ सहित जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ यूबी सिंह ने जन्म से लेकर पाँच वर्ष तक के बच्चों को पोलियो ड्राप “दो बूंद ज़िन्दगी की” पिलाई। साथ ही बताया की 11 दिसम्बर से पंद्रह दिसम्बर तक स्वास्थ्य विभाग की टीम घर घर जाकर दवा पिलाएंगी । छूटे हुए बच्चों को दवा पिलाने के लिए 17 दिसम्बर को बी टीम चलेगी।

इस दौरान मुख्य चिकित्सक अधीक्षिका डॉ सीमा द्विवेदी, एसीएमओ डॉ सुबोध प्रकाश एवं सहयोगी संस्था विश्व स्वास्थ्य संगठन, यूएनडीपी सहित यूनिसेफ के प्रतिनधि व चिकित्सालय के अधिकारी, कर्मचारी मौजूद रहे।शहरी क्षेत्र के 10 बूथों सहित ब्लॉक सरसौल के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का जिला प्रतिरक्षण अधिकारी द्वारा निरीक्षण किया गया।

इसके साथ ही उन्होंने वहाँ मौजूद अभिभावकों से आह्वान किया कि अपने बच्चों को पोलियो बचाव की खुराक अवश्य पिलायें। जिला प्रतिरक्षण अधिकारी ने बताया कि जनपद में जन्म से लेकर पांच वर्ष तक के करीब 5.96 लाख बच्चों को पोलियो की खुराक पिलाने का लक्ष्य रखा गया है।

साथ ही बताया की अभियान के दौरान उपलब्ध कराई जाने वाली दवा कोल्ड चेन में रखी जाती है जो पूरी तरह से सुरक्षित और असरदार है । नजदीकी बूथ के बारे में जानकारी के लिए लोगों को आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता से सम्पर्क करना चाहिए ।

अपनी 10 माह की बिटिया पोलियो की ड्राप पिलाने  पहुँचे सुतरखाना मोहल्ला निवासी उत्तम द्विवेदी  ने कहा कि आज हमने अपने बच्चे को पोलियो ड्रॉप की दवा पिलवाई। सभी लोगों को अपने बच्चों को पोलियो की दवा अवश्य पिलानी चाहिए। एक अन्य लाभार्थी रामकुमार ने कहा कि आज हमने अपने बच्चों को पोलियो की ड्राप पिलवाई और सभी प्रकार के टीके सरकारी टीकाकरण केंद्र से ही लगवाएं हैं।

सभी लोगों को अपने बच्चों को पोलियो की दवा अवश्य पिलानी चाहिए और नियमित टीकाकरण भी समय अनुसार अवश्य कराना चाहिए। 02 अक्टूबर 1994 को शुरू हुआ था पल्स पोलियो प्रतिरक्षण कार्यक्रम  डॉ यूबी सिंह ने बताया कि वर्ष 1994 तक वैश्विक पल्स पोलियो के 60 फीसदी मामले भारत में थे।

इसे देखते हुए 02 अक्टूबर 1994 को पल्स पोलियो प्रतिरक्षण कार्यक्रम शुरू किया गया था। समुदाय की सहभागिता और जनजागरूकता से यह अभियान सफल रहा और भारत में पोलियो का आखिरी मामला 13 जनवरी 2011 को पश्चिमी बंगाल के हावड़ा में पाया गया ।

देश को 27 मार्च 2014 को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पोलियो मुक्त का प्रमाणन भी दे दिया है । पाकिस्तान, अफगानिस्तान समेत दुनिया के कुछ और देशों में पोलियो का वायरस सक्रिय तौर पर मौजूद है। यही वजह है कि अभी भी शून्य से पांच वर्ष तक के बच्चों को इस वायरस से प्रतिरक्षित करने के लिए पल्स पोलियो की दवा पिलवाना अनिवार्य है। इस साल पडोसी देश में पल्स पोलियो के छह मामले सामने आए हैं जो भारत के लिए भी चिंताजनक हैं।

Dainikbhaskarup.com अब WhatsApp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरें
https://whatsapp.com/channel/0029Va6qmccKmCPR4tbuw90X

खबरें और भी हैं...

अपना शहर चुनें