कानपुर : वायुसेना स्टेशन के बेस रिपेयर डिपो के प्लेटिनम जुबली समारोह का हुआ भव्य आयोजन

  • नौ हजार फीट ऊंचाई से तिरंगा लेकर कूदे वॉरियर्स
  • एक साथ नौ ड्रोन आसमान में उड़े, जिसमें एक ड्रोन लीडर
  • वायु सेना के योद्धाओं ने हैरतअंगेज कारनामों का प्रदर्शन करके लोगों को किया रोमांचित

दैनिक भास्कर ब्यूरो ,

कानपुर। वायुसेना स्टेशन चकेरी स्थित बेस रिपेयर डिपो (बीआरडी) के प्लेटिनम जुबली समारोह का आयोजन शुक्रवार को किया गया। इसमें वायु सेना के योद्धाओं ने आसमान से लेकर जमीन तक हैरतअंगेज कारनामों का प्रदर्शन करके लोगों को रोमांचित कर दिया।

आकाश गंगा की टीम के सदस्यों ने नौ हजार फीट की ऊंचाई से 120 मील की रफ्तार के साथ छलांग लगाई। तिरंगा लेकर जब योद्धा नीचे उतरे, तो मैदान तालियों से गूंज उठा। एयर वॉरियर ड्रिल टीम अरजन (एडब्ल्यूडीटी) के सदस्यों ने चार किलो भार की थ्री नॉट थ्री राइफल से शानदार प्रदर्शन किया। वहीं आईआईटी कानपुर के विभ्रम और स्वाम ड्रोन का प्रदर्शन किया गया।इसके पश्चात एएन-32 के तीन विमानों सतलज ने विजय निशान बनाकर लोगों को हतप्रद कर दिया। 

समारोह की शुरूआत एयर मार्शल विभास पांडे (एयर ऑफिसर कमाडिंग इन चीफ अनुरक्षण कमान) एयरफोर्स स्टेशन के एयर कमोडोर एमके प्रवीण और बीआरडी के कमान अधिकारी ग्रुप कैप्टन दीपक नामदेव ने की। सबसे पहले आकाश गंगा टीम के सदस्यों ने स्काई डाइविंग का प्रदर्शन किया। आईआईटी के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रो. अभिषेक, प्रो. केतन की देखरेख में छात्रों की ओर से तैयार ड्रोन का प्रदर्शन हुआ।

सबसे पहले हेलीकाप्टर ड्रोन विभ्रम ने फ्लैग के साथ आसमान में उड़़कर मुख्य अतिथि से अनुमति ली। ड्रोन ने अपनी विभिन्न उपलब्धियों को भी समझाया। इसके बाद स्वाम ड्रोन ने सभी को रोमांचित कर दिया। एक साथ नौ ड्रोन आसमान में उड़े, जिसमें एक ड्रोन लीडर था। उसके निर्देशों का पालन अन्य आठ ड्रोन कर रहे थे। फिर, एयर वारियर राइफल ड्रिल का प्रदर्शन हुआ। जिसमें राइफल से की जा रही कलाबाजियों ने न सिर्फ रोमांचित किया बल्कि लोगों को तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया।

अंत में तीन एएन-32 विमान ने एक साथ आसमान में विजय निशान के साथ उड़ान भरी। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि विभास पांडे ने एक विशेष दिवस कवर, काफी टेबल बुक का विमोचन किया। एयर मार्शल विभास पांडे एयर ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ, अनुरक्षण कमान ने बताया कि भारतीय वायुसेना ड्रोन का इस्तेमाल तो कर रही है। ड्रोन के इस्तेमाल के खिलाफ भी खुद को तैयार किया जा रहा है। 

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