कानपुर। पाक्सो एक्ट में राहत पाने के लिये एक आरोपी के परिजनों ने पिता का नाम और उम्र में ऐसा खेल किया कि पुलिस भी चकरा गयी। अब अंदरखाने इस मामले की भी जांच कराने के लिये एक पीड़ित ने अफसरों से शिकायत की है। साथ ही इस मामले में एक और भ्रष्टाचार की बू आने लगी जिसमें यूपीसीडा और ईपीएफ विभाग को भी गुमराह किये जाने की आशंका है। पूरे खेल में आरोपी की मां और डीएम आफिस में तैनात चाचा मास्टर माइंड बताया जा रहा है।
पिता का नाम बदल दिया, उम्र बदल दी और ले रहें पेंशन
दरअसल मामला काकादेव के हॉस्टल कारोबारी से जुड़ा है जिसकी नाबालिग बेटी को फंसा कर तेजाबमिल निवासी नाबालिग ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर ब्लैकमेल किया। नाबालिग ने रेप भी किया था इस मामले में पुलिस ने भी लापरवाही बरती। दरअसल मामले में असली खेल तब सामने आया जब नगर निगम से जारी जन्म प्रमाण पत्र में सेवाधाम अस्पताल में पैदाईस और उम्र 9-07-2005 दर्शा कर आरोपी की यूपीएसआईडी, अब यूपीसीडा से पेंशन शुरू करा दी गयी।
पाक्सों एक्ट में राहत पाने के लिये नाबालिग के परिजनों ने किया खेल
वहीं आरोपी के पिता की मौत के बाद मां सुमन को मृतक आश्रित में नौकरी मिल गयी थी। ईपीएफ आफिस मेंं जमा दस्तावेजों की माने तो जन्म प्रमाण पत्र, आधार प्रमाण पत्र में उम्र 2005 है वहीं पिता का नाम ओरिजनल है। जबकि वर्तमान में जो आधार, माकर् शीट है उसमें उम्र एक साल और कम है और तो और पिता का नाम भी बदला हुआ है। ऐसे में सवाल यह उठता है क्या जिस नाबालिग को विभाग पेंशन दे रहा है वह उसी मृतक आश्रित का बेटा है या कोई और है या फिर उसकी मां ने दूसरी शादी कर ली या फिर अभिभावक के तौर पर नाबालिग को दूसरा पिता मिल गया है। अगर इन तीनों में से एक भी बात सच है तो विभाग को लिखित सूचना देनी चाहिये थी, पर आरोपी की मां ने इस साल की पेंशन पाने के लिये जीवत प्रमाण पत्र में पुराने दस्तावेज ही लगा दिये या फिर विभाग ने आंखे बंद कर रखी ?
जो पेंशन पाने वाले के आधार कार्ड को चेक नहीं किया जा रहा है। इधर पुलिस ने भी लापरवाही की हदे पार की। इस मामले में कारोबारी द्वारा मुकदमा दर्ज कराये जाने के बाद डीएम आफिस में तैनात आरोपी के चाचा पर आरोप है उसने डाकघर जाकर आधार अपडेट करवाया था। क्या अपराधी के अपराध के बारे में जानने के बाद उसकी मदद करने वाले चाचा को पुलिस आरोपी बनायेगी। वहीं रेप, ब्लैकमेलिंग के मुकदमें में अरोपी की मां सुमन भी आरोपी है पुलिस ने उस पर शिकंजा नहीं कसा है। पूरे मामले में यूपीएसआईडीसी, अब यूपीसीडी के अफसरों से बात करने का प्रयास किया गया पर फोन नहीं उठा वहीं ईपीएफ कार्यालय में दस्तावेज चेक करने के बाद कुछ बताने की बात कही गयी।