कानपुर :  केडीए की सील बिल्डिंग में बस गया हॉस्पिटल

सीएमओ व एसीएमओ ने दिया लाइसेंस, दोनो अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध

स्वास्थ्य विभाग के साथ पुलिस भी इस कूटरचना में शामिल
कानपुर। सरकारी विभागो में हो रहे भ्रस्टाचार पर अंकुश लग पाना मुश्किल सा साबित हो रहा है। शहर के हर सरकारी विभागो में भ्रष्टाचार का चक्र तरह चल रहा है। सरकारी अमला अवैध को बैध करने के लिए सुविधा शुल्क के नाम पर मोटी उगाही करता है। हम आप को ऐसे ही एक विभाग के बारे में बताने जा रहे है जिसके नाम स्वास्थ्य विभाग है लेकिन स्वास्थ्य के नाम पर इस विभाग के अधिकारी आम जन मानस की जान से खिलवाड़ करने के लिए शहर में अनगिनत हॉस्पिटल के रूप में यमराजो को बैठा रखा है इन हॉस्पिटलों में इलाज के नाम पर गरीब जनता से जम कर उगाही होती है जिसके एक हिस्सा स्वास्थ्य विभाग को भी जाता है इसी लिए स्वास्थ्य विभाग के अधिकार मौन चुप्पी साधे हुए है इसी लिए कोई भी ऐरा गैरा स्वास्थ विभाग से हॉस्पिटल चलाने का लाइसेंस ले  लेता है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी ये भी नही जानने की कोशिश करते है कि जिस बिल्डिंग में हॉस्पिटल का संचालन होना है वो बिल्डिंग स्थिति क्या है।

हम आप को एक ऐसे हॉस्पिटल के बारे में बताने जा रहे है जिसको केडीए (कानपुर विकास प्रधिकरण) द्वारा सील किया गया था और आज भी वो बिल्डिंग कागजो में सील है लेकिन मुख्य चिकित्सा अधिकारी की मेहरबानी से सील बिल्डिंग में उमराव हॉस्पिटल का संचाल किया जा रहा है। आपको बताते चले कि केडीए (कानपुर विकास प्रधिकरण) के अधिशाषी अभियन्ता ने 14 सितम्बर, 2020 को बर्रा थाने में 621/17 डब्लू ब्लाक स्कीम-2 जूहीकलां के मालिक प्रभुदयाल वर्मा पर परिसर मेें अनाधिकृत निर्माण कार्य किए जाने के कारण उ0प्र0 नगर योजना एवं विकास अधिनियम 1973 यथा संशोधित 1997 की सुसंगत धाराओं में कार्यवाही करते हुए 3 फरवरी 2017 एवं 31/12/2018 को क्षेत्रीय पुलिस बल के सहयोग से सील कराया गया साथ पुलिस अभिरक्षा में देते हुए उसे निगरानी में रखने व दोबारा निर्माण न होने का अनुरोध किया था। लेकिन प्रभुदयाल ने सरकारी सील को तोड कर रात्री के समय चोरी छिपे निर्माण करवाना शुरू कर दिया। जिसकी जानकारी केडीए विभाग को होने पर उन्होंने क्षेत्रीय अवर अभियन्ता जनार्दन सिंह को 14 सितम्बर, 2019 को स्थल निरीक्षण के भेजा गया। अवर अभियन्ता जनार्दन सिंह ने जब निरीक्षण किया तो मामला सत्य पाया गया। जिस पर उन्होंने जांच में सत्यता पाई और अपनी जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए बर्रा थाने में 9 अक्टूबर, 2020 को मु.अ.सं.-0725/20 के अर्न्तग्त धारा 448, 447 व 188 में मुकदमा पंजीकृत किया गया  जिसकी विवेचना पुलिस द्वारा की जा रही है। यह तो रही प्रभुदयाल के खिलाफ केडीए की कार्यवाही,लेकिन अब बात करते है अपने नगर के सीमएओ और एसीएमओ डॉ. सुबोध प्रकाश की जिन्होंने भ्रष्टाचार को बढ़ावा देते हुए बिना किसी मानक और प्रपत्रो की जांच किए बिना पुलिस अभिरक्षा की बिल्डिंग 621/17 डब्लू ब्लाक जूहीकला को उमराव मल्टीस्पेशलटी हॉस्पिटल बनाने का लाइसेंस दे दिया। जिसका लाइसेंस संख्या- (सीएमईई 2118110) दिनांक 03/03/2021 को निर्गत किया गया। जिसमें मालिक के तौर पर प्रभुदयाल के बेटे मनीष वर्मा व हॉस्पिटल स्टाफ में डॉ. अनुराग वर्मा जीएसवीएम मेडिकल कालेज डॉ. सुबोध बाजपेई जीएसवीएम मेडिकल कालेज व दो जीएनएम मोनिका व निशा राठौर को सर्टिफिकेट में दर्शाया गया।

अब सवाल उठता है कि बिल्डिंग पुलिस अभिरक्षा में रहते हुए किस तरह से अस्पताल का संचालन हो रहा है और किस प्रक्रिया के अर्न्तगत अस्पताल का लाइसेंस दिया गया है। यही नही सीएमओ और एसीएमओ की मेहरबानी से सैकड़ो की तदात में शहर के हर गली मोहल्ले में अवैध तरीके से हॉस्पिटलो और नर्सिंगहोमो का संचालन किया जा रहा है।

आपके द्वारा मामला बताया गया है। एसीएमओ को भेज कर जांच करने के निर्देश दे दिए गए है। जो भी जांच में निकल कर आएगा उसी के अनुसार कार्यवाही की जाएगी।

(डॉ. नेपाल सिंह, सीएमओ)

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