
कानपुर | सीएसए के कुलपति डॉक्टर डीआर सिंह के निर्देश के क्रम में कल्याणपुर स्थित सब्जी अनुभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ आई एन शुक्ला ने किसानों हेतु तरबूज उजागर कमाए अधिक लाभ नामक एडवाइजरी जारी की है। उन्होंने बताया कि तरबूज गर्मी के मौसम में उगाई जाने वाली प्रमुख कद्दू वर्गीय फसल है। डॉक्टर शुक्ला ने कहा कि क्षेत्रफल की दृष्टि से उत्तर प्रदेश में 15.18 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल है। जो देश में प्रथम स्थान पर है। उन्होंने बताया की पोषक तत्वों की दृष्टि से 100 ग्राम पके तरबूज से 30 कैलोरी ऊर्जा,92% पानी, 8 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 0.6 ग्राम प्रोटीन,0.2 ग्राम वसा तथा 112 मिलीग्राम पोटाश पाया जाता है। पानी की अधिक मात्रा होने से इसके सेवन से लू या गर्मी से बचा जा सकता है। उन्होंने बताया कि इसमें लाइकोपिन, सिट्रलीन, विटामिन ए एवं विटामिन सी पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। यह शरीर में डिहाइड्रेशन को रोकता है।डॉ शुक्ला ने बताया कि इसकी बुवाई के लिए 20 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान अनुकूल रहता है। जिसे किसान भाई 20 मार्च तक वही कर सकते हैं। उन्होंने तरबूज की उन्नतशील प्रजातियों के बारे में बताया कि दुर्गापुरा मीठा, शुगर बेबी, दुर्गापुरा केसर और अर्कामानिक अरकाज्योति प्रमुख हैं।
तरबूज का बीज 3.5 से 4 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर बुआई करना चाहिए। बुवाई के पूर्व बीजों को अच्छी प्रकार से शोधित कर लें। इसमें 100 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 किलोग्राम फास्फोरस एवं 60 किलोग्राम पोटाश की आवश्यकता होती है। उन्होंने बताया कि किसान भाई यदि सही प्रबंधन कर तरबूज की खेती करते हैं तो 300 से 350 किलो कुंतल प्रति हेक्टेयर उत्पादन प्राप्त होता है।