आरोपित डॉ. दीपक को लेकर कानपुर आई पुलिस ने किडनी कांड से जुड़ी घटना का किया खुलासा
जनपद से कई राज्यों में फैले हुए किडनी ट्रांसप्लांट के खेल में लिप्त पुलिस के हत्थे दिल्ली के पीएसआरआई अस्पताल का सीईओ चढ़ गया। शनिवार को दिल्ली से गिरफ्तार कर पुलिस उसे कानपुर लाई और फरवरी माह में प्रकाश में आए किडनी कांड से जुड़ी गुत्थी का खुलासा किया।
पुलिस अधीक्षक क्राइम राजेश यादव ने पुलिस लाइन में शनिवार को खुलासा किया। उन्होंने बताया कि 17 फरवरी बर्रा इलाके में रहने वाली संगीता देवी पत्नी राजेश कश्यप ने अवैध व फर्जी दस्तावेजों के आधार पर हो रही मानव अंग प्रत्यारोपण की शिकायत दर्ज कराई थी। तहरीर में उन्होंने श्याम मोहन तिवारी, मोहित निगम, गुलाम जुनैद, राजू राव उर्फ टी राजकुमार व करन पर उनके फर्जी आधार व पेन कार्ड बनाकर अंग प्रत्यार्पण कराने की बात कही। शिकायत के आधार पर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अनंत देव ने जनपद के साथ ही किडनी कांड की जड़े दिल्ली सहित अन्य प्रदेशों में जमे होने के चलते प्रदेश सरकार के आदेश पर स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) का गठन कर प्रकरण की जांच सौंपी।
जांच के दौरान दिल्ली स्थित पुष्पावती सिंहानिया रिसर्च इंस्टीट्यूट (पीएसआरआई) अस्पताल का नाम सामने आया, जिसके जरिये किडनी कांड को अवैध रूप से कानपुर, दिल्ली, लखनऊ, कोलकाता में फैले नेटवर्क की जानकारी हुई। इसके साथ ही बिचौलियों की भूमिका निभा रहे सुनीता वर्मा, सिप्पू राय, आसिम सिंकदर, संजय पाल, डॉ. केतन कौशिक, संजय पांडेय, मिथुन, आनंद, अरविंद, राजा उर्फ मोहम्मद उमर, रामू पांडेय, शमशाद अली, सबूर अहमद, विक्की सिंह, शैलेश सक्सेना व गौरव मिश्रा के नाम सामने आए। इनमें से दस आरोपितों को पुलिस ने एक-एक गिरफ्तार कर लिया।
एसपी क्राइम ने बताया कि इस प्रकरण में पीएसआरआई अस्पताल की भूमिका व प्रबंधन पर शिकंजा कसने पर को-आर्डिनेटर सुनीता वर्मा व मिथुन ने कोर्ट से अपने गिरफ्तारी के स्थगन आदेश ले लिये। इस बीच प्रकरण की जांच कर रही एसआईटी टीम को अस्पताल के सीईओ डॉ. दीपक शुक्ला द्वारा किडनी कांड का पूरा रैकेट चलाने के सबूत मिले। इसके आधार पर शुक्रवार को एसआईटी टीम में शामिल क्षेत्राधिकारी गीतांजलि, एसएसआई रामखिलाड़ी, एसआई विशेष कुमार और फजलगंज इंस्पेक्टर अनुराग मिश्रा ने दिल्ली में दबिश देकर आरोपित डॉ. दीपक शुक्ला को दबोच लिया।
शनिवार को उनसे प्रकरण से जुड़े बयान दर्ज किया, हालांकि बयान में उसने क्या कहा, यह पुलिस ने बताने से इनकार कर दिया लेकिन इतना जरुर बताया कि किडनी कांड में आरोपित डॉ. दीपक शुक्ला अहम भूमिका में था और उसके इशारे पर ही यह गोरखधंधे बेहद ही सफाई के साथ चलाया जा रहा था। गिरफ्तार आरोपित डॉ. दीपक को कोर्ट में पेश करते हुए जेल भेजने की कार्रवाई की जा रही है।
इन्हें भेजा जा चुका है जेल
किडनी कांड में अब तक पुलिस लखीमपुर खीरी निवासी गौरव मिश्र, पश्चिम बंगाल कोलकाता का टी राजकुमार राव, जयपुर का शैलेश सक्सेना, लखनऊ का सबूर अहमद, राजा, रामू पांडेय व शमशाद अली व कानपुर के पनकी निवासी विक्की सिंह, लाल कालोनी के श्याम तिवारी व सिपाही पुत्र हमीरपुर निवासी जुनैद को जेल भेज चुकी है।
यह अभी भी हैं फरार
प्रकरण में जांच के दौरान नौबस्ता का मोहित निगम, लखनऊ निवासी करन, आसिम सिकदर, आनंद, पीएसआरआइ की को-आर्डिनेटर सुनीता वर्मा व मिथुन, आजमगढ़ निवासी सिप्पू राय, कर्रही बर्रा निवासी संजय पाल और कथित डॉक्टर दिल्ली निवासी केतन कौशिक, दिल्ली निवासी संजय पांडेय, दिल्ली के प्रतिष्ठित अस्पताल की को-आर्डिनेटर सोनिका आरोपी पाये गये हैं, लेकिन अभी इनकी गिरफ्तारी नहीं हो सकी है। सुनीता व मिथुन को तो कोर्ट ने राहत दे रखी है। उन्हें कोर्ट से गिरफ्तारी के स्थगन आदेश हैं।
गहरी हैं किडनी कांड की जड़ें
पुलिस अधीक्षक क्राइम राजेश यादव ने बताया कि विवेचना शुरु हुई तो परत दर परत गिरोह की गहरी जड़ें सामने आईं। इसमें दिल्ली के कई नामी अस्पतालों की संलिप्तता भी उजागर हुई हैं। जांच के दौरान स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम ने दिल्ली में कई अस्पतालों से भी दस्तावेज कब्जे में लिए थे। इसमें सामने आया कि बेहद शातिर तरीके से फर्जी दस्तावेजों को तैयार कर अंग प्रत्यारोपण का खेल चल रहा था।