
- सौ फीसदी ओडीएफ के बाद भी नगर पंचायत में लोग खुले में शौच जाने को मजबूर
- यदि क्षेत्र में एक किमी के दायरे में सामुदायिक शौचालय हैं तो सभी को शौचालय अनिवार्य नहीं – अभय रंजन ईओ
किशनी/मैनपुरी- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान के अन्र्तगत सभी को शौचालय में शौच जाने की मुहिम को तब झटका लग जाता है जब लोग सौ फीसदी ओडीएफ डैक्लेरेशन के बाद भी खुले में शौच जाने के लिये बाध्य हैं।
नगर पंचायत के दसों वार्डों को खुले में शौचमुक्त बनाने के लिये सरकार ने प्रति शौचालय आठ हजार रूपयों की आर्थिक सहायता दी। इसके बाद नगर पंचायत को ओडीएफ यानी खुले में शौच मुक्त घोषित कर यह मान लिया गया कि नगर पंचायत का कोई परिवार अब खुले में शौच के लिये नहीं जाता।
इस घोषणा के बाद नगर पंचायत ने खूब वाहवाही लूटी। इसके अलावा एक गैर सरकारी संस्था क्यूसीआई से भी न0पं0 का सर्वे किया और सौ फीसदी ओडीएफ पर अपनी मुहर लगा दी। पर सच्चाई इससे इतर है। वास्तविकता यह है कि आज भी नगर पंचायत के लगभग हर वार्ड में लोग खुले में शौच को जाने के लिये मजबूर हैं। गांव बटपरू, चन्द्रपुर, न0 घासी, जिजई, चमरपुर, हरीसिंहपुर आदि में कोई शौचालय नहीं है। इसके लिये नगर पंचायत का तर्क है कि वहां पर मौजूद बारात घरों में लोग शौच के लिये जा सकते हैं। पर यह कुतर्क सभी के गले नहीं उतर सकता। इसमें चमरपुर के लोगों को न0 सुखे, जिजई के लोगों को खडेपुर आना पडे़गा। गौरतलब है कि उक्त शौचालय इतनी दूरी पर स्थित है कि वहां पर रोजाना जाना मुश्किल ही नहीं असम्भव है। रविवार को खड़सरिया के कई ग्रामीणों ने प्रदर्शन कर डीएम से अपने लिये शौचालय की मांग की। ग्रामीणों ने बताया कि दो साल पूर्व गांव में एक सामुदायिक शौचालय का निर्माण किया गया था।
जिसमें दो पुरूष तथा दो महिलाओं के लिये टॉयलेट सीट लगाई गई थी। पानी के लिये एक सवमर्सिवल भी लगाई थी। पर कई माह से सवमर्सिवल खराब पड़ी है। सुबह और शाम को शौच जाने वालों की संख्या इतनी अधिक हो जाती है कि लोग उसमें जा ही नहीं पाते। उक्त शौचालय की सफाई के लिये सफाई कर्मी भी नहीं जाता। परिणाम स्वरूप लोग खेतों की राह पकड लेते हंै। ग्रामीणों ने डीएम से शौचालय के लिये अनुदान की मांग की है। प्रदर्शन करने वालों में रामकली, किरन, लतादेवी, मौरश्री, रेखा, लाडली देवी, रोस्की देवी, गीता, कमलेश कुमारी, कमला, मनवीर, सत्यराम, सर्वेश, विपिन, कायमसिंह, नरेश,तथा सुनील आदि थे। इसमें रामकली, श्रीमती तथा मनवीर की एक एक किस्त दो साल पूर्व आई थी।