जाने कब बदल पाएगी पाकिस्तान में हजारा मुसलमानों की दशा व दिशा


–डा. आचार्य राहुल चतुर्वेदी—-

हजारा समूह अफगानिस्तान व पाकिस्तान में रहने वाली शिया मुसमलानों की एक कौम है। हजारा फारसी,मंगोलियाई और तुर्क वंश का एक अफगान जातीय मायनिरीटी गु्रप है। इन्हे मंगोल शासक चंगेज खान का वंशज भी कहा जाता है। ऐसा बताया जाता है कि तालिबान के आंतकवादियों ने लाखों- हजारों लोगों को तबाह किया है। आज अफगानिस्तान में लगभग 30 लाख हजारा मुसलमान रहते हैं।

जो पश्तून व ताजिकों के बाद सबसे बड़ी कौम है। वहीं पाकिस्तान में इनकी जनसंख्या 15 लाख के करीब है। यह समूह शुद्व मंगोल नहीं,बल्कि मंगोलों के मध्य एशिया की दूसरी जातियों के मेल से बना जैसे तुंषारी लोग,कुषाण लोग
या उस इलाके में ईरानी भाषाएं बोलने वाले लोग हैं। पाकिस्तान में यह बलूचिस्तान की राजधानी केटटा में बसे हुए हैं लेकिन इन्हें न तो पाकिस्तान ने अपनाया और न ही अफगानिस्तान ने। जब अफगानिस्तान में तालिबानी शासन था तब भी हजारा मुसलानों पर भारी हिंसा हुई थी। वहां से जान बचाकर हजारा शियाओं को बड़ा समुदाय भागकर पाकिस्तान और ईरान में जाकर बस गया था। ईरान ने तो शिया होने के कारण इन्हें स्वीकार कर लिया था लेकिन पाकिस्तान न अपना सका। पाकिस्तान में आम तौर पर ये लोग मुख्यधारा में नही है, बल्कि खनन जैसे कामों में इनका इस्तेमाल होता है।

इस साल की शुरूआत मे ही पाकिस्तान के बलूचिस्तान आतंवादियों ने हजारा समुदाय के 11 मजदूरों की हत्या कर दी थी। ये सभी कोयला खदान में काम करने वाले मजदूर थे। हजारा समुदाय के लोग रोज किसी न किसी आतंकवादी घटना के शिकार होते रहते हैं। मंगोलों के चेहरे-मोहरे वाला यह गु्रप अलग से पहचान में आजाता है और फिर इन्हें छांट-छांटकर सजा मिलती है। मानवाधिकार संस्थाप हयूमन राइटस वाच ने माना था कि आंकड़े हजारों में रहे होंगे लेकिन उनका कोई पुष्ट प्रमाण नही मिल सका है। माना जाता है कि शुद्वता को लेकर कटटरपंथी मुसलमानों का आग्रह इसकी वजह है। सामाजिक कार्यकर्ताओं का मानना है कि हजारा को निशाना बंद करने के लिए बहुत कुछ किए जाने की जरूरत है। मगर शिया मुस्लिमों का कहना है कि उनके बच्चे और मर्द सुबह को स्कूल और काम पर जा सके और रात में घर लौट सके। उन्हें जीने का अधिकार चाहिए। कई सालों से शिकार हो रहे हजारा मुस्लिमों को इंसाफ मिलना चाहिए और पाकिस्तान सरकार को चाहिए कि वह इस अल्पसंख्यक समुदाय की सुरक्षा करे और आश्वस्त करे कि वे पाकिस्तान में बराबर के नागरिक हैं।

— लेखक दैनिक भास्कर के संपादकीय सलाहकार हैं

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