लखीमपुर खीरी के निघासन की मुख्य नदी शारदा से जुड़ा घाघी नाले की साफ सफाई न होने से किसान बारिश के मानसून को निहारते हुए बाढ़ की जटिल समस्या से उभरने के लिए तैयारी करने लगे है। नदी के तराई में बसे गावो के वाशिंदों सहित किसानों की धड़कनें बीते दिनों बाढ़ व कटान से हुई तबाही को याद कर रुकने लगी है। बाढ़ के पानी मे डूबी फसलो सहित तेज बहाव में बहे अपनो का वह मंजर उनके माथे की चिंता बढ़ा रहा है।क्योंकि शारदा नदी के घाघी नाले में जमा गाद की सफाई का इस वर्ष कोई काम नही हुआ है। जबकि तराई के किसानों ने बीते वर्ष नाले से गाद को हटवाने की मांग की थी। लेकिन कार्य शुरू होने से पूर्व ही नाले में पानी आ गया था जिसके कारण कार्य ग्रामीणों की मांग के मुताबिक पूरा नहीं हो पाया था।चुनाव बाद सफाई की उम्मीद थी लेकिन वह भी टूटती दिख रही है।
लुधौरी के घाघी नाले के बंधा को बनाने व ऊंचा करने व नाले में जमा गाद की सफाई की मांग गत वर्ष किसानों ने जिम्मेदारो से की थी पर समय रहते कार्य पूरा नही हो पाया था। गाद सफाई का कार्य पूरा न होने से तेज बहाव में बह कर आई मिट्टी, बालू ने नाले को ठहर कर उसकी गहराई काफी कम कर दी है जिससे बीते वर्षो की तरह बाढ़ की आशंका बढ़ गई है जो मैदानी क्षेत्र के गांवों को ही नही बल्कि हजारो एकड़ खड़ी फसलों को अपनी चपेट में ले कर क्षेत्र को तबाही की ओर ले जाने की आशंका का संकेत दे रहा है।
गोविंदपुर फार्म के पास निकला घाघी नाला शारदा नदी से सीधे जुड़ा होने की वजह से बाढ़ के दिनों में गोविंदपुर फार्म, रानीगंज, राजीहार, लुधौरी, बैलहा, मंडप फार्म, लालपुर, पुरैना, सेमरापुरवा के अलावा तकरीबन पचास गावो तक इसका पानी पहुँच कर बड़ी आबादी को प्रभावित करता है। तीन साल पहले यहां के ग्रामीणों ने नाले के पानी से हजारो एकड़ जमीन पर खड़ी फसलों के हुए नुकसान को देखते हुए आंदोलन करते हुए जलसमाधि ले लेने तक की घोषणा कर दी थी।
जलसमाधि की जानकारी पर पहुंचे तत्कालीन एसडीएम को बंधक बना लिया था। बाढ़ खंड के अफसरों को घेरकर वहां से भगा दिया था। इसके बाद वहां बाढ़ खंड और ग्राम पंचायत की तरफ से बोरियां भरकर व ईंटे पाटकर बहाव को किसी तरह रोका गया था। दर्जनों गांवों के ग्रामीणों की मांग पर पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय मिश्र टेनी ने करीब डेढ़ किलोमीटर तक मिट्टी पटाई कराने के बाद बंधे को बनवाया था। लेकिन इस बार बारिश के मौसम में बाढ़ आने के संकेत साफ तौर पर दिखाई दे रहे है। हालात फिर से वैसे ही होने के आसार बने हैं।