दैनिक भास्कर ब्यूरो ,
बिजुआ खीरी। पति पत्नी के अटूट प्रेम और समर्पण का पर्व करवाचौथ नजदीक है। ऐसे में शहरी क्षेत्र की महिलाएं करवा की चित्रकारी से बने कैलेंडर खरीद कर उन्हीं के द्वारा पूजा करती हैं। परंतु ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी दीवार पर करवा की चित्रकारी बनाई जाती है। करवा के दिन महिलाएं समूह में एकत्रित होकर उसी चित्रकारी की पूजा अर्चना करती हैं।
करवा चौथ पर्व करीब है जिसे लेकर सुहागिन महिलाएं चूड़ी, सौंदर्य प्रसाधन, करवा, साड़ी, श्रृंगार सामग्री बाजार से खरीद रही हैं वहीं करवा चौथ में करवा के कैलेंडर खूब बिक रहे हैं। साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में करवा की चित्रकारी दीवार पर बनाई जा रही है।
ग्रामीण अंचल क्षेत्र में आज भी महिलाएं दीवार पर अपनी लोक कला के माध्यम से करवा माता, गौरी गणेश, शंकर पार्वती, सूर्य चंद्रमा, कार्तिकेय, पशु,पक्षी, बिंदी और सुहाग के सामानों से सुसज्जित करवा की चित्रकारी दीवार पर अंकित करती हैं ।जिसमें उनकी सांस्कृतिक कला की एक अनूठी छवि नजर आती है ग्रामीण क्षेत्र में महिलाएं कई दिन पूर्व से ही करवा की चित्रकारी दीवार पर बनाने लगती हैं इसमें उनका एक अलग प्रेम झलकता है। ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं दीवार पर करवा की चित्रकारी बनाने के बाद एक साथ इकट्ठा होकर उसी चित्रकारी की पूजा करती है, करवा की कथा कहती हैं। जिसमें उनकी एकता की अलग मिसाल झलकती है ।
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