बांकेगंज/ लखीमपुर खीरी बांकेगंज ग्रामीण क्षेत्र के किसान आवारा पशुओं से फसलों को बर्बाद होने से बचाने के लिए परेशान हैं । किसान इसकी शिकायत प्रशासन से करते है लेकिन समस्या का कोई स्थाई समाधान नहीं निकलता है। कई इलाकों में पशुओं की वजह से किसानों की पूरी फसल तक तबाह हो जाती है। किसानों का आरोप है कि उनकी फसल को सुरक्षित करने के लिए सरकार की तरफ से कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। आवारा पशुओं से फसल की सुरक्षा करना कठिन काम है। अपनी फसल को इन आवारा पशुओं से बचाने के लिए किसान कड़ाके की ठंड में खेत पर रखवाली करता है। किसानों की सरसों, मसूर और गेहूं की फसल मार्च के महीने में पककर तैयार होगी।
आवारा पशुओं से किसान परेशान
लेकिन खेतों में अभी फसल बचाना मुश्किल हो रहा है। सबसे अधिक समस्या उन किसानों को हो रही है जिनके खेत सड़क किनारे है क्योंकि आवारा मवेशी रोड पर झुंड बनाकर निकलते हैं और आसपास खड़ी फसल को चर लेते हैं। ग्रामीण इलाकों में पशुपालक गायों को पालते हैं। जब तक गाय दूध देती है तब तक चारा पानी खिलाकर घर में रखते हैं। लेकिन जैसे ही गाय दूध देना बंद कर देती है, ग्रामीण इन्हें खूंटे से बांधे रखने के बजाए आवारा छोड़ देते हे। वहीं गायें चारे की तलाश में किसानों के खेतों में पहुंचती हैं और फसल को नष्ट करती हैं।
किसानों के लिए आवारा मवेशियों की वजह से फसल की रखवाली करना मुश्किल हो गया है। कभी प्राकृतिक आपदा तो कभी मानवीय आपदा के चलते किसानों को खेत में हर साल घाटा सहन करना पड़ रहा है। उन्होंने आवारा पशुओं को प्रतिबंधित करने की मांग प्रशासन से की है। लेकिन जिम्मेदार इस समस्या का हल खोजने में असफल साबित हुए है। बता दे कि पिछले 6 माह से गोशाले का निर्माण कार्य चल रहा है लेकिन अभी तक पूरा ना हो सका यही वजह है कि किसानों को हर साल खेती में घाटा सहन करना पड़ रहा है।