लखीमपुर : ट्रेंकुलाइज के बाद युवकों की जान लेने वाला आदमखोर बाघ पिंजरे में कैद

दैनिक भास्कर ब्यूरो ,

बांकेगंज खीरी। ब्लाक बांकेगंज की ग्राम पंचायत खंजनपुर के मजरा वासुकपुर में बुधवार को बाघ के हमले से राजाराम के 35 वर्षीय पुत्र नारेन्द्र की मौत हो गयी थी। जिसके शव को पुलिस ने पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया था। गुरुवार को शव जब गांव पहुंचा तो सभी की आंखें नम हो गयीं। मृतक की पत्नी मीना रो-रोकर बार-बार बेहोश हो जाती थी। तीनों बच्चे अपने पिता के शरीर से लिपटकर अपने पिता को याद कर रो रहे थे। अधिकांश ग्रामीणों की जुबान पर यही वाक्य थे कि यदि वन विभाग पहले जाग जाता और बाघ को पकड़ने के लिए जो पिंजरा अब लगाया गया है, वह पहले लगाया जाता तो नारेन्द्र की जान न जाती और तीन बच्चों के सिर से बाप का साया न हटता।

नारेन्द्र की चारों बहनें रो-रोकर यही कह रहीं थीं कि वह तो भैया दूज के त्योहार की तैयारी कर रही थी, उन्हें क्या पता था कि त्योहार के ही दिन यह सब देखना पड़ेगा। भाई दूज के दिन हुई इस घटना से गांव में किसी ने भैया दूज तक नहीं मनाया। सभी लोग पूरा दिन ही खेत में ही डटे रहे थे।

हालांकि, गुरुवार को अंतिम संस्कार होने के बाद शाम को बाघिन को ट्रेंक्यूलाइज कर उसे पकड़ तो लिया गया लेकिन, लोगों के दिलों में दहशत और आक्रोश अब भी व्याप्त है। बता दे घटना वासुकपुर गांव से करीब 150 मीटर दूरी की है और इस जगह पर पहले भी बाघ देखा गया था। गुरुवार को भी उससे कुछ दूरी पर बाघ ने एक गोवंश को अपना निवाला बनाया। वहीं उसके आसपास क्षेत्र की बात की जाय तो खंजनपुर, ढाका, जटपुरा, परवस्तनगर, ग्रन्ट नम्बर 3 आदि जगह पर लोगों ने कई बार बाघ को देखा। वन विभाग से इसकी शिकायत भी की लेकिन, वन विभाग की ओर से केवल पगचिन्ह को अपने कैमरे में कैद कर पेट्रोलिंग कर खानापूर्ति कर ली जाती थी।

मैलानी वन रेंजर ने कई बार रिपोर्ट बनाकर भेजी मैलानी वन रेंजर अनिल कुमार ने बताया कि उच्चाधिकारियों को क्षेत्र में बाघ होने की कई बार रिपोर्ट बनाकर भेजी लेकिन, उच्चाधिकारियों ने मामले को संज्ञान न लिया।  फिलहाल नरेन्द्र की मौत के बाद ग्रामीणों के बढ़ते आक्रोश को देखते हुए पीसीसीएफ वन्य जीव ने जब ट्रेंक्यूलाइज के आदेश दिये तब पूरी टीम बाघिन के लोकेशन पर पहुंच गयी। गुरुवार की शाम को वह एक गौवंश के शिकार के बाद उसे खाने आयी थी कि वन विभाग ने उसे ट्रेंक्यूलाइज कर पिंजरे में कैद कर लिया और देर रात उसे दुधवा टाइगर रिजर्व के मुख्यालय ले जाया गया, जहां से उसे जंगल में सुरक्षित स्थान पर छोड़ दिया गया।

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