भास्कर समाचार सेवा
गोवर्धन :सुहागिन को संतान का सुख कंगन से बना कुंड में स्नान करने से मिलता है। ये कोई साधारण कंगन कुंड नहीं, बल्कि ब्रजभूमि की महारानी राधारानी के कंगन से बना कुंड है। राधाकुंड अरिष्टासुर की नगरी अरीठ वन थी। अरिष्टासुर बलवान व तेज दहाड़ वाला राक्षस था। उसकी दहाड़ से आसपास के नगरों में गर्भवती के गर्भ गिर जाते थे। गाय चराने के दौरान अरिष्टासुर ने बछड़े का रूप रखकर भगवान कृष्ण को मारने की कोशिश की। कान्हा के हाथों बछड़े का वध करने से उन्हें गोहत्या का पाप लग गया। प्रायश्चित के लिए श्रीकृष्ण ने बांसुरी से कुंड बनवाया और तीर्थों का जल यहां एकत्रित किया। इसी तरह राधारानी ने भी अपने कंगन से कुंड खोदा और तीर्थों का जल एकत्र किया, जब दोनों कुंड भर गए तो कृष्ण और राधा ने रास किया। श्रीकृष्ण ने उन्हें वरदान दिया कि जो भी निसंतान दंपति अहोई अष्टमी की रात यहां स्नान करेगा, उसे सालभर के भीतर संतान की प्राप्ति होगी। इसका उल्लेख ब्रह्मा पुराण व गर्ग संहिता के गिर्राज खंड में है। अहोई अष्टमी स्नान 5 नवम्बर रात 12 बजे से 6 नवम्बर सुबह 7 बजे तक होगा। जिसमें लाखों की संख्या में श्रद्धालु, निसंतान दंपती संतान की चाह लेकर राधाकुंड पहुंचने लगे हैं. रविवार क़ी अर्धरात्रि को निसंतान दंपती राधारानी कुंड में आस्था की डुबकी लगाएंगे। स्नान कर श्रद्धालु श्रीराधा रानी से संतान प्राप्ति की कामना करेंगे। शनिवार को पुलिस और प्रशासन के अधिकारी व्यवस्थाओं में जुटे रहे। भीड़ में अपराधिक गतिविधियों को देखते हुए लोकल खुफिया एजेंसियां संदिग्धों की जांच में जुटी हुई है। आज खुफिया विभाग की टीम ने डॉग स्क्वायड, मेटल डिटेक्टर से दुकानों की चेकिंग की। पुलिस अधिकारी व्यवस्थाओं में जुटे हुए हैं। भीड़ में आपात स्थिति से निपटने के लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। राधारानी कुंड क्षेत्र को 3 सुपर जोन, 9 जोन, 27 सेक्टरों में विभाजित किया है। स्वास्थ्य विभाग ने छह कैंप लगाकर चिकित्सकों की टीम लगाई है। ऑक्सीजन सिलेंडर, एंबुलेंस, स्ट्रेकचर की व्यवस्थाएं की गई हैं।
द्वापर काल से चला आ रहा अहोई अष्टमी पर्व पर स्नान इस वर्ष 5 नवम्वर रात 12 बजे से 6 नवम्बर सुबह 9 बजे तक होगा। इसमें लाखों की संख्या में निसंतान दंपती संतान की चाह लेकर राधाकुंड में स्नान करने के बाद पैंठा फल राधारानी के जल में छोड़ने की परंपरा है। हर साल बढ़ रही श्रद्धालुओं क़ी सांख्या संतान की चाह लेकर आने वाले निसंतान दंपती दुनिया भर की चिकित्सा से जब निराश हो जाते हैं, तब जल रूप में विराजमान श्रीराधारानी के दरबार में आकर अपनी मन्नत मांगते हैं। ममता क़ी दरबार सजाए बैठी राधारानी अपना आशीर्वाद भक्तों को देती हैं। हर वर्ष आने वाले निसंतान दंपतियों की संख्या में बढ़ोत्तरी हो रही है।राधारानी कुंड के सजे घाट, बनाये स्वागत द्वार राधारानी कुंड के घाटों को रंग बिरंगी लाइटों से सजाया गया है। घाटों पर राधा नाम के गूंजते गीत राधाकुंड के वातावरण अलौकिक बना रहे हैं। एक-दूसरे में समाए हैं राधा और कृष्णकुंड राधा और कृष्ण कुंड अलग-अलग बने हुए हैं और 10 एकड़ भूमि में फैले हुए हैं। एक का जल श्वेत तो दूसरे का श्याम रंग है। दोनों कुंडों का जल एक दूसरे से मिला हुआ है, फिर भी दोनों का जल अलग-अलग रंग का दिखाई देता हैं. राधाकुंड में वाहनों का प्रवेश रहेगा बंद अहोई अष्टमी मेले में देश के कोने-कोने से श्रद्धालु पहुंचते हैं। पुलिस-प्रशासन और नगर पंचायत के अधिकारियों ने व्यवस्थाओं को अंतिम रूप दे दिया है। सीओ राम मोहन शर्मा ने बताया कि श्रद्धालुओं को ट्रैफिक जाम से परेशानी न हो इसके लिए वाहनों का प्रवेश नगर में पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया गया है। और परिकमार्थियों का रूट डायवर्जन कर दिया गया है. एसडीएम मयंक गोस्वामी ने बताया की नगर की खुली नालियों पर जाली लगा दी गई है। गोताखोर, नाव, प्रकाश व्यवस्था व खोया पाया केंद्र आदि मेला क़ी समुचित व्यवस्था कर ली गई है.