मेघालयः मेघालय के कोयला खदान में फंसे 15 मजदूरों को बचाने के लिए सारे प्रयास विफल होते नजर आ रहे हैं. नौसेना के गोताखोर भी खदान के अंदर घुस नहीं पा रहें है, ये 15 मजदूर यहां पर 13 दिसंबर से फंसे है. 17 दिन बाद भी अभी तक कोई भी युक्ति अंदर जाने के लिए नहीं लग सकी है. अब प्रसाशन के साथ साथ-साथ मजदूरों के परिवार वाले भी उनके जीने की आस छोड़ चुके है. ऐसे में उन्होंने कहा की उनके अंतिम संस्कार के लिए लाश ही निकल दीजिये।
जिला पुलिस अधीक्षक (एसपी) सिल्वेस्टर नॉन्गटिंगर ने कहा कि खदान से पानी निकासी के लिए हाई पावर पंप और अन्य उपकरण लगाए गए हैं, लेकिन उसमें अभी कुछ समय लगेगा. भारतीय नौसेना और एनडीआरएफ की टीम शनिवार को खदान के अंदर उतरी और वहां पर एकत्र हुए पानी के स्तर का पता लगाया गया.
जिला प्रशासन ने बताया कि मैन पावर और मशीनों से जुड़े तकनीकी कारणों के चलते ऑपरेशन को शुरू नहीं किया जा सका. गोताखोरी के खास यंत्रों और उपकरणों से लैस नौसेना की 15 सदस्यों की टीम शनिवार को लुमथारी गांव में आपदा स्थल पर पहुंची. प्रशासनिक अधिकारियों ने बताया कि ओडिशा अग्निशमन एवं इमरजेंसी सर्विसेज़ खदान से पानी निकालने के लिए रविवार को अपने 10 बेहद शक्तिशाली पंप देगी.
उन्होंने बताया कि धनबाद के इंडियन स्कूल ऑफ माइन्स से विशेषज्ञों की एक टीम भी शनिवार को यहां पहुंची. उनके साथ एक खदान दुर्घटना में कई लोगों की जान बचाने वाले पंजाब से विशेषज्ञ जसवंत सिंह गिल भी यहां पहुंचे हैं जो इस ऑपरेशन में मदद करेंगे. प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि 370 फुट गहरे खदान से पानी बाहर निकालने का काम अभी शुरू नहीं हो पाया है क्योंकि पंप का संचालन देख रहे तकनीकी विशेषज्ञ इसकी तैयारी में जुटे हैं.
एनडीआरएफ के कर्मी हादसे के एक दिन बाद 14 दिसंबर से खदान में बचाव कार्यों में जुटे हुए हैं. बता दें कि पहाड़ी की चोटी पर स्थित इस खदान में 13 दिसंबर को पानी भर गया था, जब पास की लितेन नदी का पानी इसमें घुस गया था. इसकी वजह से 15 खनिक अंदर ही फंसे रह गए. इस हादसे में जीवित बचे एक आदमी ने शनिवार को कहा कि फंसे हुए मजदूरों के जिंदा बाहर निकलने की कोई संभावना नहीं है. फंसे हुए सात मजदूरों का परिवार पहले ही उनके जिंदा बाहर निकलने की उम्मीद छोड़ चुका है और अंतिम संस्कार के लिए सरकार से उनके शव को बाहर निकालने का आग्रह किया है.
वेस्ट गारो हिल्स जिले के मगुरमारी गांव के शोहर अली के बेटे, भाई और दामाद खदान में फंसे हुए हैं. शोहर अली ने कहा, ‘वे चाहते हैं कि खदान में फंसे उनके परिवार का शव मिल जाए ताकि उनका अंतिम संस्कार किया जा सके. उन्होंने कहा कि तीनों को 2000 रुपये की रोजाना मजदूरों का लालच दिया गया था. इस हादसे में जिंदा बचे असम के चिरांग जिले के साहिब अली ने कहा कि फंसे खनिकों को जीवित बाहर निकालना संभव नहीं है.
13 दिसंबर की रात को याद करते हुए अली ने कहा, ‘सभी लोगों ने सुबह करीब 5 बजे काम शुरू किया. सुबह करीब 7 बजे तक खदान पानी से भर गई. मैं 5-6 फीट अंदर था और कोयले से भरा रेड़ा बाहर ला रहा था. मैंने खदान के अंदर एक अजीब सी हवा महसूस की जो असामान्य थी. इसके साथ ही तेजी से पानी के बहने की आवाज आने लगी. साहिब अली ने कहा, ‘खदान में पूरा पानी भरा हुआ है. वहां फंसे किसी भी आदमी के जिंदा बचने की उम्मीद नहीं है. क्योंकि कोई आदमी कितने समय तक पानी में सांस ले सकता है.’