गिडोह के हुरंगा में तड़ातड़ बरसीं लाठियां गिडोह के हुरंगा के साथ ही नंदगांव में फाग महोत्सव का समापन

भास्कर समाचार सेवा

नंदगांव। बसंत पंचमी से नंदगांव बरसाना से शुरू हुई होली का समापन गिडोह के हुरंगा के बाद शुक्रवार को हो गया। फाग महोत्सव के नाम से ब्रज में सबसे लम्बा चलने वाला उत्सव है। नंदगांव के समीप स्थित गिडोह गांव में शुक्रवार केा द्वापर जैसा नजारा देखने को मिला। नंदगांव के हुरियारे पारम्परिक वेषभूषा से सुसज्जित हो पैदल ही गिडोह गांव पहुंचे। बलदाऊ प्रतीक ध्वजा के साथ होली के रसियाओं केा ढप, झांझ, ढोल और नगाडे के साथ गाते बजाते अपनी मस्ती में मस्त हुरियारे प्राईमरी स्कूल पर पहुंचे। इस दौरान ग्रामीणों ने हुरियारों के माथे पर गुलाल लगाकर स्वागत किया। हुरियारे होली के रसिया और समाज गायन करते लाला वाली गली से होते हुए गांव के मध्य बने बीच के मंदिर पहुंचे। मंदिर में विराज मान राधाकृष्ण जी के सामने हुरियारों ने होली गायन किया। हुरियारों ने बलदाऊ जी से हुरंगा में साथ चलकर खेलने का भी आग्रह किया। हंसी ठिठोली और पद गायन करते हुरियारे मंदिर से हवेली वाली गली होते हुए लठामार होली वाला चौक पर एकत्रित हुए। इस दौरान ग्रामीणों ने नंदगांव के हुरियारे और सरदारी का गुलाल लगा और गुलाल की पंखुडियां बरसाकर भव्य स्वागत किया। पीछे पीछे समाज के लोग मेरी राम राम पंचन ते जब ते भूल गयौ एवं अन्य होली के रसिया नगाडे, ढप, ढांझ के साथ गाते बजाते हुक्कों की गुडगुडाहट के साथ पहुंचते हैं। हुरंगा चौक में पहले से तैयार सोलह श्रृंगार से सुसज्जित अपनी लाठियों को तैयार किए हुरियारिन पंक्तिबद्ध होकर झामें पीटने के लिए इशारे की बाट जोह रहीं थीं। हुरियारे नाच, गायन और हंसी ठिठोली के साथ उनकेा लाठी चलाने पर मजबूर करने लगे। इसी बीच हुरियारों को दाऊ दादा के प्रतीक ध्वज से लठामार के आयोजन का आदेश प्राप्त होता है। आदेश मिलते ही हुरियारिन भी प्रेम पगी लाठियों का प्रहार हुरियारों पर करने लगती हैं। उसी प्रहार से बचने के लिए हुरियारे लकडी के हत्थों से अपना बचाव करते हैं। लगभग आधा घंटे चली लठामार के दौरान दर्शक रोमांचित होकर राधाकृष्ण के जयघोष करने लगे।

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