बहराइच सदर सीट की विरासत ही नही प्रतिष्ठा बचाने में लगे नेता

भाजपा-सपा दोनों की धड़कने तेज वोटरों पर धूम रही सम्मोहन की छड़ी

यहाँ मुस्लिम मतदाताओ की होगी निर्णायक भूमिका

बहराइच। हौले-हौले विधानसभा चुनाव की नजदीकियां तो दूसरी तरफ हांड कपा देने वाली सर्द हवाओं के झोंके मे वोटरों के मिजाज को न समझ पाना सपा को विरासत बचाने व भाजपा को प्रतिष्ठा बचाने के लिए वोटरों पर सम्मोहन की छड़ी धुमाने मे कितना नफा-नुकसान होगा फिलहाल भविष्य के ही गर्भ मे है। वैसे राजनैतिक गलियारों की छनती बयार जो संकेत लोगो के जेहन मे कौधी हुई है उससे तो यही लगता है कि वोटर इस बार कुछ चमत्कार न कर बैठे।जिससे राजनैतिक पण्डितो को भी पसीना छुड़ा रहा है। बताते चले बहराइच की सदर सीट से भाजपा ने तमाम विरोध के बावजूद पूर्व मन्त्री अनुपमा जायसवाल पर तो सपा ने पूर्व मन्त्री यासर शाह पर अपना दाँव लगा चुकी है। अब दोनों को यहाँ अपनी विरासत व सम्मान को बचाने के लिए पसीने छूट रहे हैं। रही बात कांग्रेस की तो  इस सीट पर कांग्रेस के जिलाध्यक्ष जय प्रकाश मिश्रा व बसपा से नईम अहमद खान चुनावी मैदान में आ चुके हैं जिससे वोटरों का मिजाज भाप पाने में भाजपा व सपा को पसीने छुड़ा रहा।जानकारों की माने तो वर्ष 1993 से वर्ष 2012 तक के चुनाव में डॉ वकार अहमद शाह ने अपना ही सिक्का यहाँ चलने दिया। जिस पर सपा सरकार में इन्हे विधानसभा का उपाध्यक्ष ही नही श्रम एवं सेवायोजन मंत्री भी बनाया गया। तभी उनके पुत्र यासर शाह वर्ष 2012 में मटेरा विधान सभा से चुनाव लड़ा और विधायक बन गए। लेकिन अपने पिता के बीमार होने के कारण यासर शाह को सपा नेत्तृत्व ने यासर शाह को ऊर्जा परिवहन फिर स्टाम्प एवं पंजीयन मन्त्री बनाया और वर्ष 2017 में यासर शाह ने फिर मटेरा से चुनाव लड़ा और 1596 मत की बढ़ोत्तरी कर चुनाव तो जीत गए पर संतुष्ट नही रहे। इस बार पिता की विरासत को बचाने के लिए बहराइच सदर सीट से है के लिए एड़ी से चोटी तक जोर लगा रहे हैं। वही दूसरी भाजपा प्रत्याशी अनुपमा जायसवाल इस सीट से वर्ष 2012 में पहली बार विधान सभा के चुनाव में जब उतरी तो जनता ने उन्हे तीसरे स्थान में जगह दी।

लेकिन वर्ष 2017 में उन्होंने डॉ० वकार अहमद शाह की पत्नी रूवाब सईदा को हराने  मे सफल हो गई और भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने इन्हे स्वतंत्र प्रभार का मन्त्री पद से नवाज दिया l पर अनुपमा जायसवाल से उनके कार्य व्यवहार से थोड़े दिनों बाद मन्त्री पद ले लिया गया। इस बार भाजपा संघटन ने अनुपमा जायसवाल पर विश्वास जता कर उन्हे मैदान में उतारा तो जरूर है पर लोगो की नाराजगी अभी थमने का नाम नही ले रही वैसे जानकारों की माने तो बहराइच सदर सीट का निर्णायक वोट मुस्लिम वोटरों का ही है l जो लोगो का खेल बिगाड़ भी सकता है और बना भी जिसके लिए लोग शह व मात का खेल खेल रहे है। इस विधान सभा सीट पर कुल तीन लाख नब्बे हजार पाँच सौ छियानवे मतदाता है।

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