8 पॉइंट्स में जानिए EVM में क्या है खास, इतनी है 1 मशीन की कीमत…

जानिए क्या है एक EVM की कीमत, इस बार इसमें क्या है खास

मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की गणना से वोटर वैरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल(वीवीपीएटी) मशीनों के मिलान को लेकर एक उच्चाधिकार समिति गठित की गई है, जिसके सुझाव मतगणना से पूर्व आ जाएंगे। इन सुझावों के बाद चुनाव आयोग मतगणना से पूर्व कोई निर्णय लेगा। दिल्ली में लोकसभा चुनाव के तिथियों की घोषणा करते हुए अरोड़ा ने कहा कि वोटिंग मशीनों से हुई मतगणना को सत्पापित करने के लिए वीवीपीएटी मशीनों से गणना की मांग पर अभी कोई निर्णय नहीं लिया गया है। इस संबंध में भारतीय सांख्यिकी संस्थान से जुड़ी एक उच्चाधिकार समिति गठित की गई है, जो सुझाव देगी। अरोड़ा ने आश्वासन दिया है कि समिति मतगणना के पूर्व ही इस संबंध में सुझाव दे देगी।

वह यह बताएगी कि वोटिंग मशीनों के नतीजों को सत्यापित करने के लिए कितनी प्रतिशत वीवीपैट मशीनों से गणना कर तुलना की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि समिति के सुझाव पर आयोग मतगणना के संबंध कोई निर्णय लेगा। कांग्रेस और अन्य क्षेत्रीय पार्टियां इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन पर विश्वास बहाली के मुद्दे पर चुनाव आयोग से ईवीएम से मतदान कराने की स्थि50 प्रतिशत वीवीपीएटी मशीनों से मतों की जांच कराना चाहती हैं। ईवीएम और वीवीपीएटी से साथ मतदान कराए जाने पर वीवीपीएटी मशीनों में पार्टी के नाम की एक पर्ची निकलती है। इस पर्ची को बॉक्स में गिरते हुए देखा जा सकता है। इन पर्चियों का इस्तेमाल कर ईवीएम के नतीजों के साथ तुलना कर सत्यापित किया जा सकता है। वर्तमान में आयोग एक पोलिंग बूथ की एक मशीन के आंकड़ों का ईवीएम से मिलान करता है।

बताते  चले  इस बार देश में अधिकतर सीटों पर ईवीएम के माध्यम से चुनाव कराए जाएंगे.

जानते हैं ईवीएम से जुड़ी हर बात…

जानिए क्या है एक EVM की कीमत, इस बार इसमें क्या है खास

इस बार यह नई सुविधा  

इस बार ईवीएम पर सभी उम्मीदवारों के नाम और चुनाव चिह्न के साथ उनकी तस्वीर भी होगी. वहीं इस बार सभी ईवीएम के साथ वेरीफाएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) मशीन भी लगी रहेंगी, जिसमें वोट देने के बाद एक पर्ची निकलेगी और आपके वोट की जानकारी होगी. साथ ही ईवीएम ले जाने वाले वाहनों में जीपीएस ट्रैकिंग सिस्टम भी लगा रहेगा, जिससे ध्यान रखा जा सके कि कौनसी ईवीएम किस स्थान पर है.

क्या होती है ईवीएम?

इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन पांच-मीटर केबल से जुड़ी दो यूनिट-एक कंट्रोल यूनिट और एक बैलेटिंग यूनिट-से बनी होती है. कंट्रोल यूनिट पीठासीन अधिकारी या मतदान अधिकारी के पास होती है और बैलेटिंग यूनिट वोटिंग कम्पार्टमेंट के अंदर रखी होती है. इसके माध्यम से आप अपना मत अपने पसंदीदा उम्मीदवार को दे सकते हैं.

कब से हुई शुरुआत?

बता दें कि भारत में पहली बार नवंबर 1998 में आयोजित 16 विधानसभा चुनावों में ईवीएम का इस्तेमाल किया गया था. इन चुनावों में मध्य प्रदेश की 5, राजस्थान की 5, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की 6 सीटों पर चुनाव करवाए गए थे.

बिना बिजली भी कर सकते हैं इस्तेमाल

ईवीएम 6 वोल्ट की एल्कलाइन साधारण बैटरी पर चलती है. इसलिए ईवीएम का ऐसे क्षेत्रों में भी इस्तेमाल किया जा सकता है जहां पर बिजली कनेक्शन नहीं है.

कितने वोटर्स पर एक ईवीएम

ईवीएम में अधिकतम 3840 मत दर्ज किए जा सकते हैं. वैसे एक मतदान केंद्र पर 1500 मतदाता ही वोट देते हैं, इसके आधार पर ईवीएम में वोटर्स की संख्या पर्याप्त है.

एक ईवीएम में 64 उम्मीदवारों के नाम शामिल किए जा सकते हैं.

हालांकि वोटिंग मशीन में 16 नाम ही होते हैं और अगर उम्मीदवारों की संख्या ज्यादा होती है तो वहां मशीनों की संख्या बढ़ा दी जाती है. वहीं अगर उम्मीदवारों की संख्या 64 से अधिक हो जाए तो वहां मत पत्र का इस्तेमाल करना होगा.

कैसे बनी ईवीएम?

इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें कई बैठकें करने, प्रोटोटाइपों की परीक्षण-जांच करने एवं व्यापक फील्ड ट्रायलों के बाद दो लोक उपक्रमों अर्थात भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, बेंगलूर एवं इलेक्ट्रॉनिक कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया, हैदराबाद के सहयोग से निर्वाचन आयोग की ओर से तैयार और डिजाइन की गई है.

कितनी है कीमत?
चुनाव आयोग के अनुसार, साल 1989-90 में जब मशीनें खरीदी गई थीं उस समय प्रति ईवीएम (एक कंट्रोल यूनिट, एक बैलेटिंग यूनिट एवं एक बैटरी) की लागत 5500/- थी. प्रारंभिक निवेश भले ही अधिक हो, लेकिन इससे मत पत्र से होने वाले वोटिंग की तुलना में कम खर्च होता है.