भोपाल । मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में एक बार फिर मानवता को शर्मसार कर देने का मामला सामने आया है। रविवार सुबह मंडवा बस्ती के पास नाले में एक आठ साल की बच्ची का शव मिलने से क्षेत्र में सनसनी फैल गई। बच्ची शनिवार रात से लापता थी। आशंका जताई जा रही है कि दुष्कर्म के बाद उसकी हत्या की गई है। मामले में पुलिस की लापरवाही भी सामने आ रही है। फिलहाल शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। लड़की की खोज में लापरवाही बरतने के आरोप में छह पुलिसकर्मियों को निलंबित भी किया गया है। निलंबित पुलिसकर्मियों में एक एएसआई, एक हवलदार और चार सिपाही शामिल हैं।
Bhopal: Body of a 8-year-old girl was found in a drain at Kamla Nagar earlier today. Akhil Patel, ASP says,"Body has been sent for post-mortem. Reason of her death can be ascertained once medical reports come." One policeman has also been suspended. #MadhyaPradesh pic.twitter.com/CxWhdBwb6B
— ANI (@ANI) June 9, 2019
जानकारी अनुसार मामला कमला नगर थाने के मंडवा बस्ती का है। यहां रविवार सुबह नाले में एक आठ साल की बच्ची का शव मिला है। बच्ची का शव मिलने की खबर से क्षेत्र में सनसनी फैल गई। सूचना के बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने जांच शुरू की। जांच में पता चला कि बच्ची उसी बस्ती की रहने वाली थी और शनिवार रात 8 बजे से लापता थी।
फॉरेंसिक टीम ने भी मौके पर पहुंचकर जांच की है, उधर पुलिस इलाके में लगे सीसीटीवी फुटेज खंगालने की कोशिश कर रही है। इस मामले में परिजनों ने पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगाए हैं, समय रहते अगर उसकी तलाश शुरू की जाती तो वह मिल जाती। लेकिन पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया। बच्ची से दुष्कर्म के बाद हत्या की आशंका जताई जा रही है। पुलिस ने शव को निकालकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया, जिसके बाद ही सच सामने आ पाएगा। बच्ची का शव जैसे ही हमीदिया अस्पताल पहुंचा, वहां आए परिजनों ने हंगामा किया।
पुलिस की लापरवाही उजागर
इस पूर मामले में बच्ची के परिजनों ने पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगाया है। बच्ची के चाचा अनवर खान का कहना है बच्ची शनिवार रात 8 बजे घर से कुछ दूर एक दुकान पर सामान लेने गई थी। इसके बाद वापस नहीं लौटी। फिर उसकी खोज शुरू हुई, लेकिन जब आस-पास में वह नहीं मिली तो 9 बजे उसके माता-पिता पुलिस के पास पहुंचे। पुलिस ने इसकी रिपोर्ट लिखने से मना कर दिया और कहा कि वह पास में ही कहीं खेल रही होगी। इसके बाद वे वापस लौट आए और फिर रातभर आस-पास के इलाकों में उसे तलाशते रहे। क्षेत्र के पार्षद के हस्तक्षेप के बाद देर रात 11:30 बजे करीब थाने से तीन कांस्टेबल बच्ची के घर पहुंचे और वहीं कुर्सी लगाकर बैठ गए। रहवासियों का कहना है कि दो कांस्टेबल शराब के नशे में थे और बच्ची के बारे में अभद्र भाषा बोल रहे थे। इस दौरान उन्होंने बच्ची के परिजनों से चाय और गुटका खिलाने की भी मांग की।
इस पूरे मामले पर बाल कल्याण समिति की सदस्य डॉ. निवेदिता शर्मा का कहना है कि झुग्गी बस्ती में रहने वाले लोग अपनी आजीविका के लिए रोजमर्रा के काम पर निर्भर रहते है और अपने बच्चों को घर में छोडक़र काम करने जाने के लिए मजबूर होते है। ऐसे बच्चों के लिए सरकार को ज्यादा से ज्यादा खुला आश्रय केन्द्र खोलने चाहिए, जहां बच्चों के पढऩे लिखने और खानपान की सुविधा हो। आश्रय केन्द्र में बच्चों का सही विकास भी होगा और वे सुरक्षित रहेंगे। वहीं पुलिस द्वारा 24 घंटे में एफआईआर दर्ज किए जाने में बदलाव करने की बात करते हुए डॉ निवेदिता शर्मा का कहना है कि ऐसे संवेदनशीन मामलों में पुलिस को बिना एफआईआर दर्ज किए उचित कार्रवाई करनी चाहिए।