![](https://dainikbhaskarup.com/wp-content/uploads/2025/02/WhatsApp-Image-2025-02-12-at-1.45.49-PM.jpg)
Seema Pal
प्रयागराज के संगम घाट पर आज अमृत बरस रहा है। एक बूंद हमको भी मिल जाएं तो जीवन धन्य हो जाए। हमको भी महाकुंभ जाना है… गाड़ी, बस और ट्रेन सब खचाखच भरी हैं। महाकुंभ कैसे जाएं? कुछ महिलाएं ये सोच ही रहीं थी कि ट्रैक्टर -ट्राली में लदी महाकुंभ की टोली आ गई। फिर क्या था, कोई ट्राली में लद लिया तो कोई अन्य साधनों में ठसाठस बैठ लिया। हर हर महादेेव के जयकारे लगा रहें लड़के लटक कर चल दिए। सड़कों पर महाकुंभ श्रद्धालुओं की टोलियां बता रहीं हैं कि रास्ता कैसा भी हो, साधन जैसा भी हो, बस हमें महाकुंभ जाना है।
![](https://bhaskardigital.com/wp-content/uploads/2025/02/kumbh-scaled.jpg)
आज महाकुंभ में माघ पूर्णिमा के दिन श्रद्धालु शाही स्नान कर रहे हैं। माघी स्नान के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु घर से निकल पड़े हैं। कुछ अभी रास्ते में हैं और तो कुछ संगम की पवित्र धारा में डुबकी लगाकर लौट रहा है। प्रयागराज में माघी स्नान पर्व पर सड़कों पर केवल महाकुंभ श्रद्धालुओं को ही रेला दिखाई दे रहा है। मेले में भीड़ को अनियंत्रित करने के लिए प्रशासन ने प्रयागराज आने वाली बस और ट्रेनों को सीमित कर दियया है। जिससे अब श्रद्धालु महाकुंभ पहुंचने के लिए अन्य साधनों का सहारा ले रहे हैं।
महाकुंभ मेला श्रद्धालुओं के लिए एक पर्व है जो श्रद्धा और विश्वास को एक नई ऊँचाई पर पहुंचा देता है। फिर चाहे वह पैदल यात्रा हो, ट्रैक्टर ट्राली हो, या अन्य कोई साधन-श्रद्धालु अपनी यात्रा को अपने विश्वास और आस्था के साथ पूरा कर रहे हैं। उनके लिए कुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि एक आत्मिक यात्रा है।
![](https://bhaskardigital.com/wp-content/uploads/2025/02/kumbh-2-scaled.jpg)
पैदल ही निकल पड़े महाकुंभ जाने को…
इस बार महाकुंभ मेले में कई अनोखे नजारे देखने को मिल रहे हैं। जहां एक ओर संगम की रेती पर कल्पवासी अडिग साधना कर रहे हैं तो वहीं गंगा मईया के आम भक्त भी किसी से कम नहीं है। बस और ट्रेन की लंबी कतारों और भीड़-भाड़ के चलते, कई श्रद्धालु पैदल ही अपने घर से कुंभ के लिए चल पड़े हैं। श्रद्धालुओं की इस कठिन यात्रा ने महाकुंभ को और भी खास बना दिया है।
![](https://bhaskardigital.com/wp-content/uploads/2025/02/WhatsApp-Image-2025-02-12-at-1.04.44-PM.jpeg)
कुछ श्रद्धालुओं को महाकुंभ जाने के लिए बस या ट्रेन नहीं मिली तो वो ट्रैक्टर-ट्रालियों में ठसाठस भरकर चल दिए। इन ट्रैक्टर ट्रालियों में बैठे श्रद्धालु न केवल यात्रा के कठिनाई को झेल रहे हैं, बल्कि उनके चेहरे पर एक विशेष आत्मविश्वास और श्रद्धा भी दिखाई दे रही है। ये श्रद्धालु अपनी मंजिल तक पहुँचने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। ट्रैक्टर ट्राली में बैठकर वे अपनी यात्रा का आनंद ले रहे हैं और एक दूसरे से धार्मिक चर्चा करते जा रहे हैं।