वन एंव वन्य जीवों के संरक्षण में मीडिया भूमिका महत्वपूर्ण: मनीष सिंह

बहराइच। बहराइच वन प्रभाग एवं कतर्नियाघाट वन्य जीव प्रभाग के संयुक्त तत्वावधान में विश्व प्रकृति निधि (डब्लू.डब्लू.एफ.-भारत) व एस.ओ.एस. टाईगर के सहयोग से बाघ सुरक्षा माह के शुभारम्भ अवसर पर वन प्रभाग बहराइच परिसर में प्रभागीय वनाधिकारी बहराइच मनीष सिह की अध्यक्षता में ‘‘बाघ संरक्षण में मीडिया भूमिका’’ विषय पर जागरूकता गोष्ठी का आयोजन किया गया।


गोष्ठी को सम्बोधित करते हुए मीडिया प्रतिनिधियों की ओर से सुझाव प्राप्त हुआ कि वन और वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए ज़रूरी है कि किसी स्तर पर संवादहीनता की स्थिति नहीं होनी चाहिए। मीडिया प्रतिनिधियों की ओर से सुझाव प्राप्त हुआ कि वन क्षेत्रों के आस-पास रहने वाले लोगों एवं किसानों को जागरूक करने से भी मानव एवं वन्य जीव संघर्ष की घटनाओं में कमी लायी जा सकती है। गोष्ठी के माध्यम से मीडिया की ओर से यह भी सुझाव प्राप्त हुआ कि विभागीय स्तर पर सूचनाओं के आदान-प्रदान हेतु एक ऐसा मैकेनिज़्म डेवलप करने की आवश्यकता है ताकि वन एवं वन्य जीवों से सम्बन्धित किसी भी घटना की जानकारी तत्काल मीडिया के लोगों को उपलब्ध हो जाय।
प्रभागीय वनाधिकारी कतर्नियाघाट यशवन्त सिंह ने गोष्ठी को सम्बोधित करते हुए कहा कि 01 से 31 दिसम्बर 2020 तक आयोजित होने वाले बाघ सुरक्षा माह के दौरान मानव वन्य जीव संघर्ष को न्यून से न्यूनतम किये जाने, बाघों की सुरक्षा में उच्च तकनीक का सहयोग प्राप्त करने, स्टाफ के स्क्लि डेवलपमेन्ट के साथ-साथ बाघों के लिए बेहतर हैबीटेट के लिए विभिन्न गतिविधियों को संचालित किया जायेगा। प्रभागीय वनाधिकारी ने वन एवं वन्य जीवों के संरक्षण में मीडिया की ओर से मिलने वाले रचनात्मक सहयोग के लिए आभार व्यक्त करते हुए कहा कि सभी स्टेक होल्डर्स व मीडिया के सक्रिय सहयोग का परिणाम है कि लक्ष्य 2022 से 04 वर्ष पूर्व ही वर्ष 2018 में बाघों की संख्या दोगुना करने का लक्ष्य हासिल कर लिया गया है।


कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए प्रभागीय वनाधिकारी बहराइच मनीष सिंह ने किसी व्यक्ति या विभाग की सम्पत्ति नहीं है बल्कि यह राष्ट्र की सम्पत्ति है। वनों एवं वन्य जीवों की सुरक्षा में बाघ की अत्यन्त महत्वपूर्ण भूमिका है यही कारण है कि प्रत्येक वर्ष 01 से 31 दिसम्बर तक बाघ सुरक्षा माह का आयोजन किया जाता है। श्री सिंह ने कहा कि बाघ सुरक्षा माह के दौरान वन क्षेत्रों के आसन्पास के ग्रामों के गन्ना कृषकों को जागरूक करने के साथ-साथ होर्डिंग्स, पोस्टर, बैनर्स, जागरूकता रथ के माध्यम से बाघ संरक्षण से सम्बन्धित गतिविधियाॅ संचालित की जायेगी। श्री सिंह आश्वस्त किया कि वन एवं वन्यजीवों विशेषकर बाघों के संरक्षण हेतु मीडिया बन्धुओं की ओर से प्राप्त हुए सुझावों को अमली जामा पहनाया जायेगा।


डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के वरिष्ठ परियोजना अधिकारी दवीर हसन ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए बताया कि कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग में तेदुएं के हमले से प्रभावित गांवो के हाट-स्पाट ऐरिया की मैपिंग की गयी है। प्रभाग अन्तर्गत लगभग 30 ग्राम पंचायतों में मानव वन्य जीव संघर्ष के दौरान ग्रामीणों को वन्य जीवों के हमले से बचाने एवं वन्य जीवों को बचाने हेतु वन कर्मियों की मानीटरिंग एवं ट्रेकिंग तथा रेस्क्यू में सहयोग करने हेतु स्वेच्छा के आधार पर ‘‘बाघ मित्रों’’ का चयन किया गया है। जिन्हें बाघ सुरक्षा माह के दौरान ही प्रशिक्षित किया जायेगा। इसी क्रम में प्रभागीय वनाधिकारी ने बताया कि बाघ मित्रों के चयन से मानव वन्य जीव संघर्ष की घटनाओं में निश्चित रूप से कमी लायी जा सकेगी।


गोष्ठी को ए.सी.एफ. अजीत प्रताप सिंह, प्रशिक्षु आई.एफ.एस. ज्ञान सिंह, वरिष्ठ मीडिया कर्मी मुकेश पाण्डेय, शादाब हुसैन, मसीउद्दीन खान ‘कमल’ सहित अन्य वक्ताओं ने सम्बोधित किया। इस अवसर पर एस.डी.ओ. पीसी पाण्डेय, क्षेत्रीय वनाधिकारी नत्थूराम व कल्पेश्वर नाथ, उप क्षेत्रीय अधिकारी वन दीपक सिंह, एस.ओ.एस. टाईगर के फैज मोहम्मद खान सहित अन्य अधिकारी/कर्मचारी, मीडिया प्रतिनिधि व अन्य सम्बन्धित लोग मौजूद रहे।