नयी दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पहले देश में 31 प्रतिशत अप्रत्यक्ष कर लगाने और अब जीएसटी दर में कमी की माँग को लेकर मोदी सरकार पर हमला करने के लिए कांग्रेस की कड़ी आलोचना करते हुये सोमवार को कहा कि 12 प्रतिशत और 18 प्रतिशत के स्लैबों का विलय कर एक मानक दर तय की जा सकती है। श्री जेटली ने कहा कि जो लोग जीएसटी दर घटाने की माँग करते हैं उनको आत्ममंथन करना चाहिये क्योंकि गैर-जिम्मेदार राजनीति और गैर-जिम्मेदार अर्थव्यवस्था सिर्फ देश को नीचे ले जायेगी।
जीएसटी से पहले पूरी दुनिया में भारत में सबसे खराब अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था होने का हवाला देते हुये उन्होंने कहा कि केन्द्र और राज्यों को कई तरह के कर लगाने के अधिकार थे। कुल 17 तरह का कर लगाता था। एक उद्यमी को इस तरह 17 इंस्पेक्टरों, 17 रिटर्न और 17 असेसमेंट का सामना करना पड़ता था। उन्होंने कहा कि जीएसटी से पहले देश में कर की दर बहुत अधिक थी। वैट की मानक दर और उत्पाद शुल्क क्रमश: 14.5 प्रतिशत और 12.5 प्रतिशत थी। इस पर केन्द्रीय विक्रय कर जोड़ा जाता था और इस तरह कर पर कर लगता था। अधिकांश वस्तुओं पर मानक दर 31 प्रतिशत होती थी। इसलिए, करदाताओं के पास सिर्फ दो ही विकल्प होते थे – अधिक कर चुकाये या कर चोरी करे। इसलिए कर चोरी अधिक होनी तय थी।
मंत्री ने कहा कि देश में कई बाजार हैं। प्रत्येक राज्य में अलग-अलग बाजार हैं क्योंकि कर की दर अलग-अलग हो सकती है। एक राज्य सें दूसरे राज्य में माल बेचना बहुत अधिक होता था क्योंकि राज्योें की सीमाओं पर ट्रकों को घंटों या एक-एक दिन तक रुकना पड़ता था। श्री जेटली ने कहा कि जीएसटी 01 जुलाई 2017 से लागू हुआ। इसने अप्रत्यक्ष कर को पूरी तरह से बदल दिया है।
जीएसटी दरों को तर्कसंगत बनाने का पहला चरण लगभग पूरा होने वाला है। इसके लिए लग्जरी और स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह पदार्थाें को छोड़कर 28 प्रतिशत की दर के स्लैब को चरणबद्ध तरीके से समाप्त किया जाना है। अभी आम लोगों के उपयोग की सीमेंट ही एक ऐसी वस्तु है जिस पर 28 प्रतिशत कर है। अब अगली प्राथमिकता इस पर जीएसटी को कम करने की है।
उन्होंने कहा कि 12 प्रतिशत और 18 प्रतिशत की दो मानक दरों का विलय कर एक दर बनाने की दिशा में काम किया जा सकता है। इन दोनों दरों के मध्य की दर तय की जा सकती है। इसके लिए कर राजस्व बढ़ने तक इंतजार करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि देश में आगे शून्य, पाँच प्रतिशत और एक मानक दर तथा लक्जरी एवं स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह वस्तुओं के लिए अलग दर होनी चाहिए।