
नई दिल्ली। हाल ही में किए गए एक अध्ययन में यह जानकारी सामने आई है कि हमारे शरीर में माइक्रोप्लास्टिक की मौजूदगी हृदय संबंधी गंभीर समस्याओं का कारण बन सकती है। शोधकर्ताओं ने पाया है कि जिन लोगों के शरीर में माइक्रोप्लास्टिक पाया गया है, उनमें हार्ट अटैक, स्ट्रोक और मौत का खतरा सामान्य लोगों की तुलना में चार गुना अधिक हो सकता है।
यह माइक्रोप्लास्टिक हमारे घरों में इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक के सामान, हवा और पानी के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है। खास बात यह है कि ये माइक्रोप्लास्टिक कण कैल्शियम और बैड कोलेस्ट्रॉल के साथ मिलकर खून की नसों में जम सकते हैं, जिससे धमनियों में क्लॉट बनने की आशंका बढ़ जाती है। इससे रक्त प्रवाह बाधित होता है और हृदयाघात का खतरा बढ़ जाता है।
रिसर्च में 275 व्यक्तियों के शरीर से निकाले गए प्लाक का अध्ययन किया गया, जिनमें से 150 व्यक्तियों में माइक्रोप्लास्टिक पाया गया। इन लोगों का करीब तीन साल तक फॉलोअप करने पर पता चला कि इनकी मौत का खतरा सामान्य लोगों की तुलना में 4.53 गुना अधिक है।
डॉक्टर विकास ने बताया है कि घर पर आप इमरजेंसी के लिए डिस्प्रिन, सॉर्बिट्रेट, अटोर्वा और क्लॉपिडोग्रेल नामक चार दवाइयां जरूर रखें। यदि किसी को हार्ट अटैक आए, तो इन दवाइयों को तुरंत देना चाहिए। साथ ही, तुरंत सीपीआर (कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन) देने का प्रयास करें।
सामाजिक जागरूकता के साथ-साथ व्यक्तिगत सावधानियों का भी पालन जरूरी है। घर में प्लास्टिक के सामान का उपयोग कम करें और पानी को कांच या स्टील के गिलास में पीना बेहतर है। शरीर से माइक्रोप्लास्टिक को बाहर निकालने के लिए पसीना बढ़ाने वाले उपाय जैसे सॉना बाथ का सहारा लिया जा सकता है, लेकिन इन उपायों से पहले अपने डॉक्टर से सलाह अवश्य लें।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि माइक्रोप्लास्टिक का यह बढ़ता खतरा गंभीर चिंता का विषय है, इसलिए इसकी रोकथाम और सावधानियों का कठोर पालन आवश्यक है ताकि हृदय रोगों से सुरक्षित रहा जा सके।