भाजपा (BJP) ने यूपी, उत्तराखंड और गोवा के युवा मुख्यमंत्रियों को यूं ही मौका दुबारा सीएम बनने का मौका नहीं दिया है, बल्कि इसके पीछ जरूर कुछ न कुछ वजह रही होगी। क्यों जिसके घर में चाणक्य जौसा व्यक्ति हो उसका हर काम बिना किसी मंशा के नहीं होता। हालांकि दुबारा सीएम पद की शपथ का मौका देकर भारतीय जनता पार्टी ने एक बड़ा संदेश दिया हैं। आपको बता दे कि भारतीय जनता पार्टी का पहला संदेश ये है कि इन राज्यों में एक अच्छी जीत हासिल होने के बावजूद पार्टी 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले नेतृत्व को लेकर किसी भी तरह का कुछ ऐसा प्रयोग करने का सोच भी नहीं सकती है।
पुराने चेहरों को भाजपा बना रही मजबूत
भाजपा केवल जो मौजूदा चेहरे है उन्हीं को और मजबूत बनाकर राजनीति में और भी बेहतर स्थान देना जाती है और अपनी पार्टी को आगे बढ़ाने के लिये उनके स्थानीय नेतृत्व में ही लोकसभा चुनाव को पूरे दमखम के साथ उसे प्रचंड जीत की धार देने की कोशिश करना चाहती है। वहीं दूसरा बड़ा संदेश ये है कि भाजपा में युवा नेता जो भी है वो बेहद दिमाग और समझदार हैं, आने वाले भविष्य और राष्ट्रीय राजनीति के लिए भी एक नया और युवा नेतृत्व तैयार करने जरूरत है, जिसे भाजपा बखूबी समझती है।
दुबारा से यूपी पर बीजेपी का राज
खास बात ये है कि यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में भाजपा की सरकार दुबारा से उत्तर प्रदेश पर राज करने वाली है। बता दे कि दुबारा मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेकर योगी आदित्यनाथ अपने शासन काल में यूपी की बागडोर संभालेंगे। फिलहाल योगी आदित्यनाथ की उम्र 49 साल है। इसी तरह उत्तराखंड के पुष्कर सिंह धामी की उम्र 46 साल और गोवा की दोबारा से बागडोर संभालने जा रहे डॉक्टर प्रमोद सावंत की उम्र 48 वर्ष है। ये दोनों ही नेता और योगी आदित्यनाथ की उम्र में कोई ज्यादा फर्क नहीं है, बल्कि इस तीनों नेताओं की उम्र काफी एक दूसरे से तालमेल खाती है।
खास बात यह है कि इस तीनों राज्यों के सीएम की उम्र 50 साल से कम है। बस यहीं कारण है कि इनकी कम उम्र में ही बड़ी जिम्मेदारियों खरा उतरना ही भाजपा के मुखिया को प्रभावित कर गया है, और उनका मन इन मंत्रियों पर आ गया। साफ शब्दों में कहे तो ये पार्टी तीनों चेहरों को आने वाले भविष्य के लिए और मजबूत बनाने की कोशिशों में लगी हुई हैं।
जानिए सरकार में आयु का क्या हैं मांजरा
बीजेपी की ओर से संगठन और सरकार दोनों स्तर पर सेकंड लाइन लीडरशिप को मौका दिया जा रहा है। ताकि भविष्य की दृष्टि से किसी स्तर पर योग्य और सक्षम नेतृत्व की कमी न हो। मिसाल के तौर पर मोदी सरकार के मंत्रिपरिषद की औसत आयु 58 वर्ष हो चुकी है। इसके पहले 60 वर्ष औसत आयु थी। भारतीय जनता पार्टी के एक वरिष्ठ राष्ट्रीय पदाधिकारी ने पत्रिका से कहा, 2014 से राजनीति की दशा दिशा बदल चुकी है। अब राजनीति फुलटाइम हो चुकी है। फुलटाइम राजनीति वही कर सकेगा जो ऊर्जावान होगा। पार्टी बूथ और मंडल से लेकर प्रदेश स्तर तक युवा नेतृत्व को बढ़ावा देने में जुटी है। संगठन और सरकार दोनों स्तर पर युवा नेतृत्व को प्रमोट किया जा रहा।