मालदीव में फँसे भारतीयों को लेकर नौसेना का जहाज जलाश्व रविवार (अप्रैल 10, 2020) को सुबह माले से कोच्चि बंदरगाह पहुँचा। इसके साथ ही कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिए लगाए लॉकडाउन के दौरान विदेशी सरजमीं से भारतीयों को निकालने का भारतीय नौसेना का पहला बड़ा अभियान पूरा हो गया।
बता दें कि नौसेना ने विदेश में फँसे लोगों को लाने के लिए समुद्र सेतु नाम से अभियान चलाया है। इस जहाज से 19 गर्भवती महिलाओं समेत 698 भारतीय यात्रियों को स्वदेश लाया गया। जहाज पर दवाओं के साथ अन्य चिकित्सा सामग्री पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध थे।
जहाज में सवार एक गर्भवती महिला ने इसके लिए भारतीय नौसेना का शुक्रिया अदा किया है। उन्होंने कहा कि उन्हें विमान में खाना, दवाई, सैनिटाइजर, मेडिकल सुविधाएँ जैसी हर की सहायता प्रदान की गई। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अगर आप मालदीव में हैं और किसी तरह की मुश्किल में हैं या प्रेगनेंट हैं, तो वो शिप में वापस आ सकती हैं। यहाँ पर उनका काफी अच्छे से ख्याल रखा जाता है। महिला ने इसके लिए खास तौर पर भारतीय नौसेना को धन्यवाद दिया।
ऑपरेशन के पहले चरण के तहत नौसेना के दो बड़े युद्धपोत माले पहुँचे थे। उनमें से आईएनएस जलाश्व 698 भारतीयों को लेकर शुक्रवार (मई 8, 2020) को केरल के कोच्चि के लिए रवाना हुआ था। भारतीय नौसेना ने आईएनएस जलाश्व और आईएनएस मगर की मदद से मालदीव में रह रहे करीब 1800 से 2000 लोगों को स्वदेश वापस लाने की योजना बनाई है।
इसके लिए नौसेना के जहाजों को चार बार चक्कर लगाने होंगे। इसमें दो चक्कर कोच्चि के लिए और दो चक्कर तूतीकोरिन के लिए होंगे। स्वदेश वापसी में जबसे ज्यादा प्राथमिकता जरूरतमंद लोगों को ही दी जा रही है। इनमें बच्चे, बूढ़े, बुजुर्ग और गर्भवती महिलाएँ शामिल हैं।
नौसेना के मुताबिक कोरोना वायरस महामारी फैलने के कारण भारत सरकार विदेशों में फँसे भारतीयों को वापस लाना चाहती है। इसके लिए सरकार ने नौसेना को जरूरी इंतजाम करने का निर्देश दिए थे।
विदेश से लाए गए नागरिकों को सुरक्षित स्थानों पर ठहराने के लिए सभी बंदोबस्त कर लिए गए हैं। इनमें केरल के 440 लोग और बाकी देश के अन्य हिस्सों के लोग हैं। आईएनएस जलाश्व से आए लोगों में दिल्ली, हिमाचल प्रदेश के नागरिक भी शामिल हैं।