नई दिल्ली: आजकल की जरूरत कहें या एडिक्शन कि मोबाइल, टेबलेट और पीसी के बिना रहा ही नहीं जा सकता है। ऑनलाइन की दुनिया में अब इनकी जरूरत बढ़ती ही जा रही है, लेकिन जरूरत से ज्यादा इनका इस्तेमाल आंखों की रोशनी तक छीन सकता है। ड्राई आई सिंड्रोम और तेज़ी से घटती आंखों की रोशनी इसी का परिणाम है।
इस खतरे से एक कदम आगे और एक खतरनाक साइड इफ़ेक्ट की बात सामने आई है। यूनिवर्सिटी ऑफ टोलेडो ने हाल ही एक रिसर्च में दावा किया है कि मोबाइल, टेबलेट और पीसी से निकलने वाली ब्लू लाइट बहुत खतरनाक होती है।

नई स्टडी में साफ तौर पर सामने आया है कि ब्लू लाइट ब्लाइंडनेस की ओर धकेलती है। इस लाइट से मस्क्युलर डिजनरेशन बढ़ता है और इससे ब्लाइंडनेस का खतरा बढ़ता जाता है। खास कर जब इसका इस्तेमाल रोज़ाना ही 3 या 4 घंटे से ज्यादा किया जाए तो ये खतरा तेज़ी से बढ़ता है।
साइंटिस्ट्स का ये भी कहना है कि आंखों पर खतरे का असर कम या ज्यादा हो सकता। अगर आंखे पहले से कमज़ोर हों या आपकी उम्र 40 से ऊपर है तो खतरा ज्यादा होगा। बच्चों पर भी इसके खतरे ज्यादा होते हैं। हालांकि कुछ तरीके से इन खतरों को थोड़ा कम किया जा सकता है।
ज्यादातर डिवाइस में ब्लू लाइट फ़िल्टर नहीं होते लेकिन एप्पल, गूगल और अमेज़न के ब्लू लाइट फिल्टर्स वाली सेटिंग्स हैं। जिन्हें डिसेबल कर आप आंखों की रोशनी को जाने से रोक सकेंगे।
डॉक्टर्स ब्लू लाइट्स को अवॉयड करने की सलाह देते हैं। खास कर अंधेरे में अपनी डिवाइस को बिल्कुल न देखें या सनग्लेससेस यूज़ करने को कहा जाता है ताकि यूवी और ब्लू लाइट के साइड इफ़ेक्ट से बच जा सके।
ऐसे बचाएं अपनी आंखें
- लगातार मोबाइल देखने से बचें। मोबाइल की ब्राइटनेस कम रखें।
- पलकों को झपकाते रहें। आंखों में सूखापन न आये।
- आंखों से पानी गिरे और चुभन हो तो इसे खतरे की घंटी समझें। तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।
- आंखों को थोड़ी थोड़ी देर पर बंद कर आराम दें।
- कंप्यूटर पर काम करते हुए आंखों के प्रोटेक्शन के लिए चश्मे का यूज करें, ताकि सीधी इनके लाइट इफेक्ट्स से बचा जा सके।















