देश इस वर्ष एक माह के दौरान अब तक 30 से अधिक भूकंप के झटके झेल चुका है। सबसे ज्यादा भूकंप के झटके जम्मू कश्मीर, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के लोगों ने महसूस किए हैं। 19 जनवरी से 18 फरवरी के बीच अब तक आए भूकंप में सबसे अधिक तीव्रता का भूकंप 18 फरवरी को अरुणाचल प्रदेश के तंवाग में आया है। उस दौरान रिक्टर स्कैल पर भूकंप की तीव्रता 5.3 रही थी। अब तक आए भूकंप ने देश के कई शहरों को हिलाकर रख दिया, लेकिन किसी भी शहर से बड़े जानमाल के नुक्सान की सूचना नहीं मिली, यही राहत की बात कही जा सकती है। उधर, 18 फरवरी को राजस्थान के सीकर शहर में आए भूकंप से लोग सकते में आ गए, हालाकि किसी तरह के जानमाल के नुकसान की सूचना नहीं मिली है।
सीकर में तीव्रता 3.8 दर्ज
मौसम विभाग जयपुर केंद्र के निदेशक राधेश्याम शर्मा की माने तो सीकर में भूकंप सवेरे 8.01 बजे आया था। रिक्टर स्केल पर तीव्रता 3.8 दर्ज की गई है। भूकंप की तीव्रता 3.8 रिक्टर, केंद्र 27.55, 75.19 (देवगढ़, सीकर) व सतह से पांच किलोमीटर नीचे दर्ज किया गया। जयपुर से 92 किमी उत्तर-पश्चिम दिशा में यह भूकंप आया। लोगों का कहना था कि कहीं-कहीं पर हल्के झटके महसूस किए गए और भूकंप की सूचना के बाद लोग घरों से बाहर आ गए। बतादें कि पिछले साल भी शेखावाटी अंचन में तीन बार भूकंप के झटके महसूस किए गए थे।
यह तीव्रता होती है सबसे खतरनाक
मौसम वैज्ञानिकों की माने तो भूकंप की असली वजह टेक्टोनिकल प्लेटों में तेज हलचल होती है। इसके अलावा उल्का प्रभाव और ज्वालामुखी विस्फोट, माइन टेस्टिंग और न्यूक्लियर टेस्टिंग की वजह से भी भूकंप आते हैं। रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता मापी जाती है। इस स्केल पर 2.0 या 3.0 की तीव्रता का भूकंप हल्का होता है, जबकि 6 की तीव्रता का मतलब शक्तिशाली भूकंप होता है।
यूं लगाया जा सकता है अंदाजा
नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक भूकंप की तीव्रता का अंदाजा उसके केंद्र (एपिसेंटर) से निकलने वाली ऊर्जा की तरंगों से लगाया जाता है। सैकड़ों किलोमीटर तक फैली इस लहर से कंपन होता है। धरती में दरारें तक पड़ जाती हैं। भूकंप का केंद्र कम गहराई पर हो तो इससे बाहर निकलने वाली ऊर्जा सतह के काफी करीब होती है, जिससे बड़ी तबाही होती है।